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लालू यादव: लालू प्रसाद यादव ने क्यों बदला भारत का दूल्हा, राहुल गांधी की खबर से लेकर नीतीश कुमार के बाद ममता बनर्जी तक – अमर उजाला हिंदी समाचार लाइव

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  • ईसाई एकता की बैठक में विश्वनाथ ने राहुल से कहा- ‘हम बारात बनाने को तैयार हैं, आप बाराती बनिए’
  • आश्रम की बैठक नीतीश कुमार ने की थी, लेकिन आश्रम की उपस्थिति अभी तक नहीं बनी
  • महाराष्ट्र में भी कांग्रेस पार्टी और पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी ने बीजेपी को नियंत्रित कर रखा है
  • अगले साल बिहार में विधान सभा चुनाव होने हैं, कांग्रेस के दबाव बनाने से पहले ही मोहरा चला दिया गया
  • विश्वास प्रसाद यादव का मास पर दिया गया बयान चर्चा में है। वह कैथोलिक एलायंस इंडियन नेशनल इंक्लूसिव एलायंस (इंडिया ब्लॉक) की कमान अब पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को देना चाहती हैं। इस नाम पर अब विमर्श भी शुरू हो गया है। बयान आने लगे हैं। इसके साथ नीतीश कुमार ने भी तूफानी टिप्पणी की। देखने के लिए उस मजाक के साथ कही गई इस बात को भी मजाक में दोषी कहा जा सकता है, लेकिन देखने वालों को पता है कि वह मजाक में भी गंभीर बात देखने के आदी हैं। रेस्टॉरेंट के रेस्तरां में महाजुटान के समय उन्होंने राहुल गांधी को ‘दूल्हा’ बनाने की बात कही थी, जो बाद में भी हुई। राहुल हीनोज़म में नामांकन के नेता बने। लेकिन, अब सवाल उठ रहा है कि आखिर क्यों एलिज़ाबेथ यादव ने पलटी मारी? वस्तुत: कई कारण हैं।

    क्या प्रसाद प्रसाद यादव बीमार हैं, इसलिए बोल रहे हैं?

    धार्मिक प्रसाद यादव बीमारी के नाम पर अदालत से छूट में हैं, लेकिन सक्रिय के खाते से वह बीमार नहीं हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लैपटॉप में रहते थे जब पटना में विश्वनाथ के आश्रमों का महाजुटान कर रहे थे, तब भी प्लास्टिक नहीं थे। जब नीतीश कुमार समर्थकों से निकल कर 2020 के लोकतंत्र की वापसी में शामिल हुए तो राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के मुख्यमंत्री बने और बहुमत साबित करने में रोडा अटकाना था, तब भी कार्यकर्ता बीमार नहीं थे। लोकसभा चुनाव में कैथोलिक शास्त्र के पक्ष और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वोट वॉलिट की अपील करते समय भी वह बीमार नहीं थे। और, पिछले दिनों बिहार विधानसभा की चार सीटों के लिए उप चुनाव के समय प्रचार किया गया था, तब भी वह बीमार नहीं थे। इसलिए, बिहार के उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने उन्हें शारीरिक-मानसिक बीमार होने के बारे में बतायापरन्तु वह बीमार नहीं है। उलटा, वह अन्य नेताओं से भी अधिक सक्रियता और आगे की तैयारियों पर नजर रख रहे हैं।

    पलटने की सबसे बड़ी वजह क्या हो सकती है, जानिए

    विश्वास के ताजा बयान को मजाक में नहीं उड़ाया जा सकता है है. वह हमेशा मजाक के बीच गंभीर बातें कहते रहते हैं। बिहार में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। यहां उनकी कांग्रेस पार्टी राष्ट्रीय जनता दल के साथ गठबंधन में है। दादाजी के बाद कांग्रेस ही सबसे बड़ी पार्टी है। हर चुनाव में राजद पर दबाव बना हुआ है और पिछले चुनाव में भी ऐसा ही दिख रहा था। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डॉ. अज्ञानी प्रसाद सिंह दो साल पूरे कर चुके हैं। इन दो सालों में उन्होंने कभी भी युवा यादव को ठीक से स्वीकार नहीं किया। जब असमान्य सरकार थी तो इस तनातनी के बीच वह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से कांग्रेस के लिए दो और मंत्री पद मांगते रह गए। सीएम टैब डिप्टी सीएम सीएम यादव के पाले में गेंद फेंकते रहे। जब तक अखिलेश सिंह का बचपन टूट गया, सरकार बदल गई। बातें पुरानी याद दिलाना की वजह यही है कि कांग्रेस की दबाव की राजनीति को अभी भी प्रसाद यादव नियंत्रित करना चाहते हैं। अगर राहुल गांधी इंडिया ब्लॉक के सर्वे सर्व बने रहे तो वह बिहार में जनता दल पर दबाव बनाकर बड़े पैमाने पर काम करेंगे। इसके अलावा, झारखंड में कांग्रेस ने जिस तरह से झारखंड लिबरेशन मोर्चा से मिलकर कलाकारों के लिए पार्टी का सूखा रखा, असर कुछ उसका भी है।

    राहुल गांधी क्यों बने थे नीतीश कुमार के कारण?

    कांग्रेस के नंबर वन नेता राहुल गांधी को कैथोलिक एकता की बैठक में वोट के लिए तब नीतीश कुमार को वोट प्रसाद यादव की मदद लेनी पड़ी थी, ये बात सही है. इसके साथ ही यह भी पक्की बात है कि लालू प्रसाद यादव अपने बेटे तेजस्वी यादव को तो बिहार की कमान देना चाहते थे, लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को केंद्र की राजनीति में सर्वोच्च पद नहीं देना चाहते थे। देना चाहते हैं तो रिपब्लिक यूनिटी के लिए हुई पहली बैठक के संयोजक नीतीश कुमार को यह पद उसी समय दे दिया गया। टैब प्रसाद प्रसाद यादव ने राहुल गांधी को कहा था- “तुम बारात बनने की तैयारी में हो, हम बारात जाने की तैयारी में हैं।” उन्होंने शादी की बात भी कही थी, लेकिन वह मजाक पीछे था यूनिटी के संयोजक का पद उन्हें भी उनकी बात कह डाली थी। आगे की बैठकों में ये और साफ हो गया, जब बात खुद राहुल गांधी के नेतृत्व की करने के लिए कही गई। नीतीश कुमार बाहरी तौर पर हर बार ऐसे ही किसी पद के लिए मना कर रहे थे, लेकिन जब विश्वास को उनके मन की बात समझ नहीं आई तो उन्होंने कड़ा फैसला लिया। न नैतिकता के नामांकन से, न ही रेस्तरां का एलायंस का नाम तय हुआ और न ही विस्फोट हुआ। इसलिए, वह नाटक करके वापस आ गयी।

    ममता बनर्जी के आगे बढ़ने के कई कारण हैं

    प्रसाद के हर कदम का गूढ़ मतलब क्या होता है। राहुल गांधी को नारायन मटन पार्टी के ऐलान के बाद जब आम चुनाव में उनका कोई असर नजर नहीं आया तो प्रसाद प्रसाद दूसरी जगह संभावना तलाशने निकले पड़े हैं। उत्तर प्रदेश में उनके दिवंगत मौलाना सिंह यादव के परिवार से तारकोल तारी हैं और समाजवादी पार्टी महाराष्ट्र में कांग्रेस की हालत के सामने आने के बाद बाबरी मुद्दे के नाम पर कांग्रेस के सहयोगी मसूद अख्तर की पार्टी से नाताकार हैं। महाराष्ट्र में एक तरफ कांग्रेस पूरी तरह से तोड़फोड़ कर रही है, वहीं दूसरी तरफ बिहार से लेकर पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार और बीजेपी पर हमेशा भारी पड़ रही है। ऐसे में अजूबा का प्रतिरूप कोई अजूबा नहीं है। जब ममता पिछली दफा पटना आई थीं, तब भी उन्होंने सीएम नीतीश कुमार से मुलाकात की थी और उनके स्थान पर मौलाना प्रसाद यादव से मुलाकात की थी। मतलब, कहीं-न-कहीं सॉफ्ट कॉनर था जो माउज़ पर सामने आया है।

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