
जरा संभलकर जनाब… FRS जानता है आपके राज, प्लांट की तो करोगे पोस्ट, फेलोशिप पुलिस ने पेश किया बेहतरीन उदाहरण
दिल्ली पुलिस एफआर प्रणाली: अगर आपके दिमाग में कोई खुराफात चल रही है और आप जरा खबरदार हो जाएं। फ़्लोरिडा पुलिस के पास अब एक ऐसा सितम आ गया है, जो आपके साझीदार की साजिश पर न सिर्फ पानी फेर देगा, बल्कि पलभर में आपका राज फाश कर देगा। जी हां, पासपोर्ट्स पुलिस ने इस सिम कार्डम का बेहतरीन उदाहरण पेश किया है। इस सितम की मदद से सीलफ पुलिस ने सार्जेंट से पहचान कर रहे एक अपराधी की न केवल पहचान सुनिशचत की की, बल्कि उसे गिरफ्तार भी कर लिया।
असल में, हम जिस सिस्टम की पहचान कर रहे हैं, उसका नाम है फेसियल रिकग्निशन सिस्टम (चेहरे की पहचान प्रणाली)। कुछ ही दिन पहले फेसिअल रिकग्निशन सिस्टम कोल्फ के नार्थ वे डिजिटल में इंट्रोड्यूस किया गया था। इस सितारम का पहला सफल एसोसिएशन लंबे समय से ऑपरेशंस में तालाबंदी का मामला सामने आया है। इस सितम ने प्राचीन काल से पहचान कर रहे अपराधी का न केवल वास्तविक नाम बताया, बल्कि उसके घर का पता पुलिस टीम के हाथों में थमा दिया।
फ़र्ज़ी दस्तावेज़ बिज़नेस ने संपत्ति को बैंक में रख दिया गिरवी
इस मामले के बारे में आपको छोटे-छोटे चित्र में साक्षात्कार दिए गए हैं। बेंगलुरु में रहने वाली हरमिंदर कौर ने 2011 में राणा प्रताप बाग में 22 लाख रुपये की एक संपत्ति लिखी थी। इस खरीद फरोख्त के बाद हरमिंदर कौर को एक आने का मौका नहीं मिला और यह प्रतिभा यूं ही खाली पड़ी रही। वहीं, 2018 में जब वह इस वैभव को देखने के लिए निकली तो पता चला कि इस वैभव के फर्जी दस्तावेजों ने किसी साख कंपनी के बैंक से 75 लाख रुपये का कर्ज लिया है और इस वैभव को गिरवी रख दिया है।
फर्जी नाम-पते पर लिया था 75 लाख का लोन, और फिर…
तफ्तीश के दौरान, पुलिस टीम को पता चला कि इंफ्रास्ट्रक्चर ने लोन पर फर्जी नाम और पासपोर्ट हासिल किया था। बैंक से लोन मीटिंग के बाद उसने यह नगदी महावीर ट्रेडिंग कंपनी के रजिस्ट्रेशन में ट्रांसफर कर दी थी। बैंक से मिले कागजात पर जब पुलिस ने टिपण्णी की तो पता चला कि यह नाम और पता भी फर्जी है। इसी बीच, पुलिस को फेसियल रिकग्निशन सिस्टम से लॉन्च कर दिया गया। पुलिस ने बैंक से दादा की फोटो हासिल की और उसे यह सिम कार्ड में डाल दिया। अंकित चंद में एक नाम और पता पुलिस टीम के सामने आया था।
पल भर में ख़त माँ हुई प्राचीन प्राचीन पुलिस के किले
फेसियल रिकग्निशन सिस्टम ने पुलिस टीम को बताया कि नाबालिग का असली नाम पंकज सचदेवा है और वह टैग गार्डन इलाके में रहता है। पुलिस टीम बिना समय गंवाए टैगोर गार्डन तक पहुंच गई और साबरमती से लैबोरेशिया को बेहद आसानी से गिरफ्तार कर लिया गया। इतना ही नहीं, पंकज सचदेवा के साथ पुलिस ने इसी मामले में युवा (उत्तर प्रदेश) के सुहैल चौहान और भगत के नितिन वर्मा को भी गिरफ्तार कर लिया। फेसियल रिकग्निशन सिस्टम से पुलिस को यह भी पता चला है कि आपके पास भी तीन मक़बरे मामले हैं।
पहले प्रकाशित : 11 दिसंबर, 2024, 19:27 IST