बिहार

कॅम्बू पर नामांकन का नया वैराग्य! अमित शाह के बयान से भड़के भगवान-तेजस्वी, बिहार में नामांकन को लेकर चुनावी एजेंडा – भीमराव अंबेडकर लालू यादव तेजस्वी यादव के आक्रामक बिहार विपक्ष के चुनावी एजेंडे पर अमित शाह का बयान

केंद्रिय गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में संविधान पर बहस के दौरान बाबा भीमराव कोम को लेकर बयान दिया। बयान में उनके तयशुदा नामांकन के अपमान की तो बराबरी नहीं हो रही थी, लेकिन अंदाज ऐसा था कि नामांकन उन पर दर्ज करने वालों का मौका मिल गया। बिहार में इस मामले पर अधिक मुख्‍यालय हो गया है। विश्वास प्रसाद यादव ने अमित शाह के बयान को अपने अंदाज में आगे बढ़ाया है. उन्होंने कहा कि अमित शाह ने उनके भगवान का अपमान किया है। भगवान को समर्पित अमित शाह के बयान की न केवल निंदा की गई, बल्कि उन्हें सीता से संत लेने की सलाह दी गई।

भाजपाई कान खोल कर सुन लें, बाबा साहेब कमेंट हमारे फैशन भी हैं, पैशन भी हैं, प्रेरणा भी हैं। और प्रेरणा भी हैं. आरएसएस और बीजेपी वालों ने पहले महात्मा गांधी को गिल दी, फिर जननायक कर्पूरी ठाकुर को दी, फिर नेहरू को दी और अब कॉमाम को गिल दे रहे हैं। ‘वे अपने तो सभी नेता माफियावीर रह रहे हैं, इसलिए देश के महापुरुषों को अपमानित करने का यह सिनी स्टार डिजाइन है।’

अमित शाह ने क्या कहा?
संविधान में बहस हो रही है तो केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में कांग्रेस और लोकतंत्र की वकालत करते हुए कहा, ‘अभी एक फैशन हो गया है, गांठ, गांठ, गांठ, गांठ…इतना नाम अगर भगवान का लेते तो सातों जन्म स्वर्ग तक.’ अमित शाह ने यह बात कही, शायद इसलिए कि कहा गया था कि राष्ट्रवादी संविधान और इसमें नैतिकता के प्रोविजन को लेकर भाजपा के खिलाफ नैरावेटिव गढ़ता रहा है। कैथोलिक नेता संविधान की प्रति पॉकेट में लेते हैं। विपक्ष ने चुनाव के दौरान कहा था कि भाजपा संविधान को बदलने और नवीनीकृत करने की तैयारी में है। इसमें कलाकारी को काफी हद तक कलाकारी भी मिली। भाजपा की ओर से पूर्व के दो राज्यों के चर्च घाट कर 240 पर आयोजित की गई।

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अमित शाह ने भी दी सफाई
अमित शाह के बयान पर विपक्ष की आक्रामकता इतनी बढ़ गई है कि बीजेपी भी अब इसे लेकर गंभीर हो गई है। सदन में अमित शाह के बयान के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सफाई विभाग ने कहा कि उन्होंने यह बात क्यों कही। असली, प्रामाणिक बाबा भीमराव बम्बू के संविधान को लेकर उनकी खूब चर्चा होती है। यह दावा करने से कोई फर्क नहीं पड़ता कि भाजपा बाबा साहब के संविधान को मान्यता दी गई है। नरेंद्र मोदी ने लोकसभा चुनाव के दौरान जब 400 पार की यात्रा का नारा दिया था, तब समर्थक ने यही प्रचार किया था कि बीजेपी को इतने बड़े बाबा साहब के संविधान में बदलाव करना चाहिए.

अमित शाह का कहना है कि नामांकन का नाम तो जपता है, लेकिन उन्हें सम्मान देने वाले के नामांकन को कभी समझने की जरूरत नहीं होती। उन्हें भारत रत्न सम्मान देने से कोई मतलब नहीं है।

चुनाव में विधानसभा
अगले साल बिहार और दिल्ली में विधानसभा चुनाव होने हैं। जिस तरह से अमित शाह के बयान पर प्रत्याशी ने प्रतिद्वंद्वी बनाया है, उससे यह बात साफ हो गई है कि आने वाले चुनाव में यह प्रत्याशी जरूर बनेगा। इसी सहयोगी दल ने अपने नैरावेटिव को स्थापित करने की कोशिश की कि भाजपा जब कोम्बा से इतनी घृणा करती है तो उनके संविधान के प्रति उनका रुख क्या होगा। संविधान में कहा गया है कि नाईट की व्यवस्था को बदलने का प्रयास करने का आरोप सबसे पहले भाजपा पर ही लगाया जा रहा है। विश्वास यादव ने यह भी कहा कि अमित शाह के बयान से कॉम के प्रति घृणा की भावना झलकती है।

भाजपा में हलचल जारी है
भाजपा बारम्बार ऐसे दस्तावेज़ में उलझ जाती है। अब तक कम से कम तीन ऐसे मौके आए हैं, जब भी बीजेपी को चर्चा में लाया गया तो नुकसान उठाना पड़ा। इनका पहला बयान संघ प्रमुख मोहन भागवत का रहा, जो उन्होंने 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान दिया था। उन्होंने कहा था कि नाइटलाइफ़ लागू किए गए वेव वॉक को हटा दिया गया है, अब इसकी समीक्षा करने की ज़रूरत है। एबीवीपी यादव ने टैब में अपनी बात रखी और कहा कि नैरावेटिव गढ़ा से बीजेपी को उखाड़ फेंकना चाहते हैं. विधानसभा चुनाव में वोट के इस नैरिटव से बीजेपी को नुकसान हुआ था.

भगवान ने आरएसएस पर बयान दिया
लोकसभा चुनाव के दौरान यूपी की एक सभा में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जापान पार्टी ने कहा कि अब पार्टी को आरएसएस की मदद की जरूरत नहीं है. भाजपा अपने बूटे स्टाक हो चुकी है। उनके इस बयान से संघ से जुड़े लोगों में भ्रम की स्थिति पैदा हुई और भाजपा की दुर्गति से सभी वाक्चात हैं। भाजपा कोओसमेन 240 पर आ गया है। सरकार बनाने के लिए क्षेत्रीय आश्रमों की मदद ली गई। ऐसा माना जाता है कि बीजेपी की ओर से अलग-अलग पार्टियों के समर्थकों के संघ की ओर से भी एक बयान दिया गया था.

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