बिहार

भोजपुर में एफडीआर तकनीक से सड़क निर्माण, सामग्री का आईआईटी बिहटा में होगा परीक्षण, गुजरात से लायी जायेंगी मशीनें

भोजपुरी. बिहार के भोजपुर जिले में हाईटेक सिस्टम का उपयोग करते हुए फूल डेप्थ रिक्लेमेशन (एफ स्टोरेज) तकनीक से सड़क बनाई जाएगी। ट्रायल के तौर पर जिले के थ्री रोड अगिआंव, नोएलवर व जगदीशपुर में चयन हुआ है। इसका निर्माण ग्रामीण कार्य विभाग द्वारा प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत किया जाएगा। इस तरीके से सड़क निर्माण में आने वाली लागत पुरानी तकनीक यानि अलकतरा वाली सड़क की लागत से कम होगी और अन्य सड़कों की तुलना में भी सड़क की तुलना में कटौती होगी।

एफ.आर.ओ.डी. के तहत डैमेज या सड़क को उखाड़कर सड़क में से पुराने मैटेरियल (अपशिष्ट) को बेच दिया जाता है, केमिकल्स और आवश्यक सामग्री के साथ नए पदार्थ तैयार कर सड़क पर डाला जाता है। पुराने जमाने के युवाओं के उपयोग से निर्माण लागत में कमी आएगी। इसके अलावा अन्य धातुओं के कॉस्ट्यूम कॉस्ट भी होंगे।

एफ इलेक्ट्रॉनिक्स टेक्नोलॉजी से बनेंगी सड़के

एफ इंडस्ट्रीज टेक्नोलॉजी से बन रही दोनों रोड के किनारे सोल्डर (मिट्टी भराई) का कार्य जारी है। अगिआंव से बागापुल तक 11.97 किमी रोड गिरी, जिसमें 5 साल के मेंटेनेंस की कीमत 14.39 करोड़ है। सड़क निर्माण में 11.05 करोड़ खर्च आया। इसमें 35 फ़्लोरिडा का निर्माण और 10 फ़्लोरिडा की परतें की जाएंगी। दूसरी सड़क एनएच-30 प्लांटनगर से मानिकपुर, राजापुर, डुमरिया, मथुरापुर, चकिया तक 13.95 किमी, जो 10.81 करोड़ की लागत से बढ़ेगी। वहीं 5 साल के मेंटेनेंस के लिए 3.23 करोड़ की राशि ली गई है।

बिहटा में हागी मेटेरियल की जांच

एफ हार्डवेयर टेक्नोलॉजी से सड़क निर्माण की लागत पुरानी तकनीक अर्थात अलकतरा वाले सड़क से कम होगी। इसके साथ समय की बचत होगी. सड़क पर्यावरण अनुकूल। जिसमें कार्बन फूट प्रिंट को कम करने से प्रदूषण में कमी आ सकती है। इन इंडस्ट्रीज में स्टोन की गिट्टी का कम उपयोग होगा, जिससे प्राकृतिक सामग्रियों के दोहन का काम किया जा सकेगा। वहीं डैमेज रोड से उखड़े हुए मीटर रियल में डिमांड की मात्रा की जांच के लिए आस्था बिहटा भेजा गया। जहां अलग-अलग मात्रा में क्रमिक 7 दिन और 28 दिन पर जांच होगी। रिपोर्ट आने पर अनिश्चितता की मात्रा का पता चल गया। यदि रिपोर्ट में मात्रा कम आने पर 6% से अधिक मात्रा में सामग्री प्राप्त होगी।

गुजरात से मंगाईगीजी मशीन

पुरानी तकनीक से सड़क निर्माण में कई तरह के पदार्थों का उपयोग होता है, जिसकी लागत लगभग एक से सवा करोड़ प्रति किमी तक आती है। वहीं पुरानी तकनीक से सड़क निर्माण में पुरानी पीढ़ी को ही दोबारा सायकल कर कम खर्च करना पड़ता है। जिसमें लगभग 75 से 90 लाख रुपए प्रति किलोवाट खर्च आता है। इस तकनीक के साथ काम करने के लिए रीसाइक्लर, कंप्यूटर कंट्रोल बाइंडर, मोटर ग्रेडर, पैड फुट रोलर, ड्रम, वाटर कॉम्बिनेशन आदि विदेशी तकनीक की जरूरत बेकार है।

इस तरह से होगा सड़क का निर्माण

पुराने या डेमेज सुपरमार्केट को उखाड़कर रीसायकल करने के बाद सड़क पर प्लास्टिक बनाकर समतल कर दिया गया है। इसके बाद कच्चे माल में केमिकल वाले अपने ग्लास तैयार करके सतह के रूप में अलग-अलग हिस्सों को डाला जाता है। इसके बाद रीसाइक्लर और मोटर ग्रेडर उपकरण से रोल करने के बाद पैड फुट रोलर और काम्पैक्टर से हटा दिया गया। इसके 7 दिन बाद तक पानी से तराई की जाती है और फिर ट्रैफिक का दबाव झेलने के लिए सतह के रूप में स्ट्रेस एब्सर्बिंग इंटर लेवल तैयार की जाती है। इसके ऊपर पेवर मशीन से बिटुमिन रिलैक्सेंटकर उस पर रोलर रेज़ॉल्यूशन किया जाता है।

जिले में पहली बार सड़क निर्माण का हो रहा है प्रयोग

ग्रामीण विकास विभाग के सहायक अभियंता दानिश शमीम ने बताया कि प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत जिले में पहली बार तीन सड़कें एफ. इस तकनीक के माध्यम से कम खर्च में टिकाऊ व मजबूत सड़क का निर्माण होता है। जबकि पुरानी सड़क के मेटेरियल में ही वैलकॉम और केमिकल आर्किटेक्चर का इस्तेमाल कर नई सड़क बनाई जाती है। जांच के लिए डैमेज रोड के उखाड़े गए मीटरियल को बिहटा भेजा जाएगा, एक माह बाद रिपोर्ट आएगी। जिसके बाद गुजरात से मशीन मंगाकर वर्क वर्क्स का उपयोग किया जाएगा। इस तरह का प्रयोग पहली बार भोजपुर जिले में हो रहा है.

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