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HC ने अलकायदा से संबंध रखने वाले एक युवक की याचिका खारिज की, कोर्ट ने कहा कि वहां होने पर भी राहत नहीं दी जा सकती – अमर उजाला हिंदी समाचार लाइव – दिल्ली: HC ने अलकायदा से संबंध रखने वाले युवक की खारिज की याचिका खारिज की

HC ने अलकायदा से संबंध रखने वाले युवक की याचिका खारिज की, कोर्ट ने कहा- फिर भी राहत नहीं दी जा सकती

दिल्ली उच्च न्यायालय
-फोटो : ANI

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दिल्ली हाईकोर्ट ने अल क़ानून से संबंध रखने वाले एक युवक की याचिका खारिज कर दी। म्यूजियम पैलेस हाउस कोर्ट द्वारा मैसाचुसेट्स को यूएपीए अधिनियम के तहत दोषी ठहराए जाने को चुनौती दी गई थी। प्रतिष्ठित प्रतिभा एम सिंह और अमीर अमित शर्मा की अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि श्रमिक समूह से जुड़ने के लिए प्राथमिक योग्यता पर राहत नहीं दी जा सकती है। अदालत ने ट्रायल कोर्ट द्वारा दिए गए आदेश की प्रशंसा करते हुए कहा कि अदालत ने स्पष्ट रूप से कानून की व्याख्या की है।

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हजरत मोहम्मद अब्दुल रहमान ने 10 फरवरी 2023 को पटियाला हाउस कोर्ट के स्पेशल मोनस्टी कोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी। इसमें उन्हें यूपीए की धारा 18 और 20 के तहत दोषी करार दिया गया था। मासूम को सात साल छह माह की जेल की सजा सुनाई गई थी। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि ट्रायल कोर्ट ने स्पष्ट रूप से पाया कि मामले में सह दोषी के पास से चार पासपोर्ट मिले थे। इसके अलावा वह पाकिस्तान का दौरा भी कर चुके थे।

सभी अवैध अल-कायदा के खिलाफ भारतीय उपमहाद्वीप (एक्यूआईएस) के सदस्य थे और देश में युद्ध के लिए युवाओं की नियुक्तियां कर रहे थे। अदालत ने स्पष्ट किया कि घोषित अपराधी अपराधियों को समर्थन देने वाले और उनके संबंध को बनाए रखने वाले दोषियों को राहत नहीं दी जा सकती।

रोडरेज़िन में ज़मानत है

तीस हज़ारी कोर्ट ने रोड रेज मामले में एक संपत्ति को ज़मानत दी है। इस दौरान कोर्ट ने कहा कि जांच अधिकारी के समसामयिक पेशी के नोटिस के बाद आपराधिक कानून के आदेश का उल्लंघन है। केस में सह-अरोपियों ने कार्डबोर्ड की एक आंख को गंभीर चोट पहुंचाई। मामला वजीराबाद पुलिस स्टेशन का है। जिला जज नीरज शर्मा ने शहरी युवाओं को नियमित जमानत दी, जो नोटिस पर जांच अधिकारी (आइओ) की पेशी जांच में शामिल हुई थी। इसके बाद उन्हें आइओ ने गिरफ्तार कर लिया था। न्यायाधीश ने कहा, एक बार जब सचिवालय को धारा 35(3) बी कास के तहत नोटिस दिया गया है, तो यह अनुमान है कि कलाकारों को आयो की तरफ से गिरफ्तार करने की आवश्यकता नहीं है। जज ने अनाथालय को 20,000 रुपये के ज़मानत वाले बांड और इतनी ही राशि की ज़मानत पर रिहा कर दिया।

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