बिहार

IAS सक्सेस स्टोरी: बेटी की जिद, पिता का साथ, पूरे गांव ने किया विरोध, फिर भी बनीं आईएएस

नई दिल्ली (प्रिया रानी आईएएस सफलता की कहानी). जिस उम्र में बच्चे-बच्चे कूदने, मस्ती-मजाक करने में साथ होते हैं, उसी उम्र में प्रिया रानी अपने सपनों के लिए गांवभर के लोगों से लड़ाई लड़ रही थीं। शिक्षा हर बच्चे का अधिकार है. लेकिन कुछ बच्चों को उनके लिए भी संघर्ष करना पड़ता है। बिहार की रहने वाली प्रिया रानी के साथ भी हुआ कुछ ऐसा। उन्होंने पढ़ाई-लिखाई में बड़ी ताकतें लिखीं, उनके आस-पास के लोग उन्हें अपने टुकड़ों में ही दूर रखने की कोशिश कर रहे थे।

प्रिया रानी बिहार के फुलवारी सरफराज के कुकुरी गांव में रहने वाली हैं। उनके पिता अभय किसान कुमार हैं। प्रिया के गांववाले बचपन से ही उनकी पढ़ाई के विरोध में थे। लेकिन उनके दादाजी ने उनकी भव्यता को टुकड़े-टुकड़े कर दिया और उनकी काबिलियत को समझ लिया (यूपीएससी सफलता की कहानी). प्रिया रानी की कहानी उन लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा है, जो अपनी जिंदगी में किसी भी तरह का संघर्ष कर रहे हैं। साथ ही उन युवाओं के लिए एक सीख, जो मुश्किल रेनबो के सामने पेश करते हैं।

प्रेरक कहानी: पापा-दादा ने बचाए रखा पटना
प्रिया रानी के लिए गांव में रहकर पढ़ाई करना मुश्किल था। इसलिए उनके दादा प्रसाद सुन्दर शर्मा और पिता ने उन्हें स्थानांतरित कर दिया था। उन्होंने डॉन बॉस्को स्कूल से प्राथमिक शिक्षा और सेंट माइकल स्कूल से 12वीं तक की पढ़ाई की। इसके बाद 2018 में बीआईटी मेसा से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में बीटेक किया गया। प्रिया रानी ने यूपीएससी परीक्षा 4 बार दी थी। इनसे वह 2 बार सफल हुईं। 2023 में अपने चौथे प्रयास में 69वीं रैंक के साथ वह एबीओसी बनीं।

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प्रिया रानी आईएएस रैंक: सिविल सेवा के लिए नौकरी छोड़ें
बीटेक की डिग्री हासिल करने के बाद प्रिया रानी को एक कंपनी में अच्छी नौकरी मिल गई। लेकिन वह सिविल सेवा में जाना चाहता था. इसलिए उन्होंने जॉब ऑनलाइन यूपीएससी परीक्षा की तैयारी का निर्णय लिया। उस वक्त उनकी मोटरसाइकिल इस जजमेंट से खुश नहीं थी। हालाँकि उनकी मेहनत रंग लाई. 2021 में यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के दूसरे चरण में उन्हें 284वीं रैंक हासिल हुई थी। तब उनकी सेलेक्शन इंडियन डिफेंस सर्विस के लिए हुई थी।

आईएएस सक्सेस स्टोरी: एस्ट्रोनॉट बनने के लिए दोहरी मेहनत
सरकारी नौकरी मीटिंग के बाद भी प्रिया रानी नहीं रहीं। वह लैबोरेटरी ही चाहता था. पिता के सहयोग और प्रेरणा से ही वह चौथे प्रयास में सफल हो पाईं। प्रिय प्रिया रानी अपनी सफलता का श्रेय निर्देश और कड़ी मेहनत को देती हैं। असंबद्ध बनने के लिए वह प्रतिदिन सुबह 4 बजे स्ट्रेटेजी पढ़ाई करता है। उन्होंने विशिष्ट विषय पर विशेष ध्यान केंद्रित किया था। प्रिया ने एनसीईआरटी और पेपर्स से यूपी यूएसएससी परीक्षा की तैयारी की थी।

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