
ग्राउंड रिपोर्ट: खरगोन में ही कुंडा मैली क्यों? सफाई पर हर साल लाखों खर्च, फिर भी खतरे में नदी, सामने आई वजह
खरगोन. मध्य प्रदेश को सबसे अधिक नदियों वाला प्रदेश भी माना जाता है। यहां करीब 207 छोटी-बड़ी नदियां हैं। सरकार इन नदियों की सफाई और संरक्षण पर हर साल करोड़ों खर्च करती है, बावजूद इसके नदियों का हाल बेहाल है। खरगोन की जीवनदायिनी कुंडा नदी का हाल भी कुछ ऐसा ही है। पूरे शहर का गंदा पानी ऐसी ही नदी में गियान मिल रहा है। गंदगी से पसरी यह नदी अपनी तूफ़ान पर तूफ़ान बहा रही है। लेकिन, पूरी तरह से सफाई को लेकर अब तक कोई ठोस योजना नहीं बन पाई है।
हालाँकि, नगर पालिका हर साल इस नदी की सफाई पर लाखों खर्च करती है, लेकिन दरवाज़े जस के तस बने हुए हैं। 2 साल में शहर गौरव दिवस के पहले नगर पालिका ने कुंडा नदी की सफाई के लिए करीब सवा दो करोड़ रुपये खर्च किये हैं। डेज़ इयर में कई इलेक्ट्रॉनिक मशीन प्लग नदी से गाड निकाले गए। सफाई कर्मचारियों की मदद से कूड़े और जलकुंभियों को बाहर निकाला गया। जन सहयोग लेज़र सफाई अभियान भी चला। जिसमें आम लोगों से लेकर सुपरमार्केट और डॉक्टर-एसपी भी शामिल हुए।
पानी से दुर्गंध, बैठना पाना मुश्किल
बता दें कि कुंडा नदी के तट पर कई प्राचीन और ऐतिहासिक मंदिर हैं। कुछ जगहों पर स्नान-पूजन के लिए घाट भी बनाए गए हैं। जिसमें प्राचीन श्री सिद्धिविनायक गणेश मंदिर के सामने बना अहिल्या घाट भी प्रमुख है, लेकिन इस घाट पर अब स्नान करने की कोई विद्या नहीं मिलती है। लोग शाम के समय सार्वभौम के दो पल पाने के लिए इस नदी के किनारे आते हैं, लेकिन दुर्गंध और गंदगी की वजह से देर से इतनी देर तक नहीं मिलते हैं।
कुंडा के किनारे शहर का गौरव दिवस
इस वर्ष फिर से गौरव दिवस के अवसर पर नगर पालिका ने कुंडा नदी की सफाई शुरू कर दी है। फिर एक बार लाखों खर्च करके दो-तीन दिन तक इस नदी को साफ-सुथरा बनाए रखने का प्रयास किया जाएगा, ताकि शहर का गौरव दिवस मनाया जा सके। त्रिपुरा, खरगोन अपना गौरव दिवस हर साल मकर संक्रांति के दिन कुंडा नदी के तट पर मनाता है। इस दौरान शहर के सामुहिक, अधिकारी कुंडा नदी का पूजन-अभिषेक और आरती करते हैं। साथ ही नदी के तट पर कई सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होते हैं। जिसमें शहर भर के लोग शामिल होते हैं.
लोकल 18 की ग्राउंड जीरो से स्क्रैच
लोक 18 की टीम ग्राउंड जीरो पर घुसपैठ और पता लगाने की कोशिश की गई कि हर साल लाखों खर्च करके नदी की सफाई की गई और बाद में भी यह कैसे हुआ। विश्लेषण में पाया गया कि कुंडा नदी शहर के बाहर काफी अच्छी स्थिति है। ग्रामीण क्षेत्र के लोग सीधे तौर पर इस नदी का पानी पीने के लिए भी इस्तेमाल कर रहे हैं। लेकिन, जैसे ही नदी खरगोन में प्रवेश करती है, का गंदा पानी नालों के माध्यम से इस नदी में मिल जाता है और नदी को शहर कर देता है।
7 नालों से गंदा पानी नदी में देखें
शहर की सीमा में करीब सात ऐसे नाल हैं, जो इस नदी से सीधे तौर पर जुड़े हुए हैं। पूरे शहर का गंदा पानी नालों में पाया जाता है। इनमें ओंडल, कालादेवल, गणेश मंदिर, इमलीपुरा, बावड़ी बस स्टैंड, आनंद नगर और डालकी नाला शामिल हैं। एनजीटी की रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि सतपुड़ा पर्वत उद्गम स्थल से खरगोन तक यह नदी काफी साफ है। लेकिन, जैसे ही वह खरगोन की सीमा में प्रवेश करता है। शहर के ब्लॉग नालों के संपर्क में आकर ही नदी एकजुट हो जाती है।
सफाई के लिए ठोस कदम जरूरी
क्षेत्रीय रहवासी धन्नालाल, रामू वर्मा और उर्मा बाई ने स्थानीय 18 को बताया कि हंटर 20 साल पहले कुंडा नदी की स्थिति काफी अच्छी थी। गहरा पानी था. नदी पार करने के लिए नाव मोटर थी। हम लोग पीने के लिए अपनी इसी नदी से उतरे थे. सुबह-शाम इसी तरह नदी में नहाना हुआ था। लेकिन, धीरे-धीरे नदी साझीदार गायब हो गया और अब स्थिति यह है कि पीने के लिए संस्थान छोड़ना भी हम इस पानी का उपयोग नहीं करते हैं। नदी में कचरे की वजह से मौजूद है, इसलिए इसका पता भी नहीं चल पाता है। नगर पालिका और शासन को नदी की सफाई के लिए ठोस कदम उठाना चाहिए।
साफ-सफाई के लिए तैयार हो रही रबड़
कुंडा नदी संरक्षण एवं सफाई के लिए नगर पालिका ने क्या योजना बनाई है? इस संबंध में जब हमने नगर पालिका के स्वास्थ्य अधिकारी अमित डामोर से बात की तो उन्होंने कहा कि गौरव दिवस के लिए नदी की सफाई जारी है। शहर के एनालॉग्स नालों में शामिल पानी नदी में नहीं मिला, इसके लिए पेंसिल तैयार की जा रही है। लागत ज्यादा है तो सरकार से मदद लेगी और जल्द ही नदी को पूर्णतया साफ करने का प्रयास करेगी।
पहले प्रकाशित : 8 जनवरी, 2025, 20:03 IST