बिहार

मौत के दर्द ने सिखाई इंसानी जान की कीमत, फिर इस अनोखे काम की शुरुआत की, अब तक बचाई ऐसी जान

आखरी अपडेट:

सड़क सुरक्षा को लेकर एक और जहां जिला प्रशासन कार्यक्रम चल रहा है। वहीं दूसरी ओर जिले के युवा भी सड़क पर दर्शकों से प्रेरित होकर जनजीवन के संकट पर काम कर रहे हैं। आज हम जिस स्पेशलिस्ट को लेकर बात कर रहे हैं,…और पढ़ें

संस्था:- सड़क सुरक्षा अत्यंत महत्वपूर्ण है, फिर भी दुकान में इस दिशा में ध्यान नहीं दिया गया है। जिले में सड़क किनारे सरकारी आंकड़ों के मुताबिक हर साल 250 से ज्यादा लोगों की मौत की रिपोर्ट सामने आती है. वहीं हजारों लोग घायल हो जाते हैं. हालाँकि सड़क सुरक्षा को लेकर एक और जहाँ जिला प्रशासन कार्यक्रम चल रहा है। वहीं दूसरी ओर जिले के युवा भी सड़क पर दर्शकों से प्रेरित होकर जनजीवन के संकट पर काम कर रहे हैं।

आज हम जिस स्पेशलिस्ट को लेकर बात कर रहे हैं, उस स्पेशलिस्ट ने 100 से भी ज्यादा लोगों की जान बचाने का काम किया है। लोगों की जान बचाने की पहली सड़क सुरक्षा को लेकर शुरुआत के दिनों में पुलिसिया जुर्म का शिकार भी हुआ। लेकिन धीरे-धीरे अपने इस कारवां को आगे बढ़ाया और फिर साल 2023 में सड़क सुरक्षा को लेकर जिला प्रशासन ने भी मंजूरी दे दी।

लोगों को मदद देखने की सलाह दी जाती है
समीर चौहान ने लोकल 18 को बताया कि मेरा घर सड़क के किनारे है और घर के सामने शहर का कटाव है जिसके कारण लोग सड़क दुर्घटना में घायल हो गए और प्राणों से हाथ धोते देख हमने संकल्प लिया कि लोगों की मदद समय पर कर से अस्पताल ले जाया गया, तो जान बच सकती है। फिर हमने मदद करना शुरू कर दिया. शुरुआत में सड़क दुर्घटना में घायल लोगों की मदद करने पर पुलिस से पूछताछ के नाम पर टिप्पणी की गई थी। लेकिन धीरे-धीरे पुलिस को भी समझ आ गया कि हम लोगों की जान बचा रहे हैं, फिर पुलिस ने परेशान होकर बंद कर दिया। संस्था के सामाजिक कार्यकर्ता भास्कर चौधरी ने बताया कि पिछले 10 वर्षों से जिस समीर को हम जानते हैं, वो समाज के लोगों को एकजुट करने के लिए सड़क सुरक्षा अभियान का हिस्सा बन गए हैं।

ये भी पढ़ें:- मिथिला की गजब परंपरा! बंद कर दी गई है दुल्हन की सैर, फिर पीछे से दोस्ती है ये बारात

100 लोगों की जान बची है
समीर चौहान ने लोकल 18 को बताया कि सड़क दुर्घटना में दो-तीन लोग घायल हो गए हैं, तो कोशिश है कि समय से सभी को हॉस्पिटल से बचा लिया जाए, ताकि सभी की जान बच जाए। लेकिन हम देखते हैं कि अस्पताल में अगर तीन लोगों को ले जाया गया, तो एक या दो की जान ही बच जाती है, लेकिन ईमानदार है। जागरूकता कार्यक्रम के लिए हम फूल या आरती लेकर बैचलर न वैल्यूएशन वाले, सीट बेल्ट नहीं लगाने वाले लोगों का स्वागत करते हैं। फिर रोड पर आगे से हमारे स्वागत के बाद वह वैज्ञानिक परामर्श का पालन करते हैं।

घरबिहार

मौत के दर्द ने सिखाई इंसानी जान की कीमत, फिर शुरू हुई इस अनोखी पहल की शुरुआत

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *