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ई बिहार बा…कुछ भी हो सकेला! कंधे पर रेलवे को लाड पहले गोदाम में रखा, फिर किया वन विभाग का गोदाम

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चनपटिया के ऐतिहासिक स्थल चूहड़ी गांव में मौजूद एक तालाब में पिछले आठ महीने से बड़े पैमाने पर चनपटिया के खंडहर को देखा जा रहा था। ग्रामीण लाल बाबू की सलाह तो, तालाब के आसपास के सभी लोग इस बात से रुके थे कि वहां एक…और पढ़ें

पश्चिमी चंपारण:- सोमवार को बिहार के पश्चिम चम्पारण जिले के चुहड़ी में कुछ ऐसा हुआ, देखने के लिए देखें पूरा गांव भालूगाड़ी. सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण एक तालाब से जाल के माध्यम से करीब पांच फीट लंबे शहर को पकड़ते हुए देखा गया। जाल में रिपब्लिक को ले जाया गया, इसके बाद बच्चे, मगरमच्छ और युवा सभी ने मिलकर उसे कंधे पर टाँग दिया और फिर तालाब से बाहर गोद में लेटे हुए लोहे के पिंजड़े से बाँध दिया। पिंजड़े में बांधने के बाद ग्रामीण उसे एक सुखी जगह पर ले गए, जहां सूचना के बाद उपसंहार हुआ। वन विभाग की टीम को पुनः सुरक्षित स्थिति में लाया गया।

आठ महीने से तालाब में दिख रहा था रिपब्लिक
बता दें कि जिले के चनपटिया खंड स्थित चुहड़ी गांव में मौजूद एक तालाब में पिछले आठ महीने से बड़े पैमाने पर गणतंत्र को देखा जा रहा था। ग्रामीण लाल बाबू की बाइक तो, तालाब के आसपास के सभी लोग इस बात से रूके हुए थे कि वहां एक राक्षसी रह रही है। किसी भी तरह के हादसे से बच निकलने के लिए उन्होंने कई बार उन्हें पकड़ने की कोशिश की, लेकिन डर की वजह से ये काम पूरा नहीं हो सका। गणतंत्र के होने के साथ-साथ जब उसने तालाब की मछलियों को सफाचट करना शुरू किया, तब गांववासियों ने उसे किसी भी कीमत पर पकड़ने की ठान ली।

गणतंत्र को जाल में पकड़ कंधे पर ले जाएँ जंगल ग्रामीण
अन्यत्र की समीक्षा तो, उन्होंने इसकी सूचना वन विभाग को भी दी थी। लेकिन जब तक वन कर्मियों ने वहां पर बहाली अभियान शुरू नहीं किया, तब तक रिवॉल्यूशन ने खुद ही क्रांति को मछली पकड़ने वाले तालाब के किनारे अपने कब्जे में ले लिया। गौर करने वाली बात यह है कि रॉकेट को स्क्रीनशॉट के बाद शीशा ने उसे कंधों से बांध दिया और फिर कंधे पर ही लाडकर की तरह ले जाने लगे। आश्चर्य की बात यह है कि रानू के कंधे पर टांगने वालों में छोटा बच्चा भी शामिल था।

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रायपुर में वन विभाग के गोदाम का निर्माण किया गया
बता दें कि राजकुमार की लंबाई करीब 5 फीट और वजन 80 किलो था। बुलेट के बाद उसे ज़मीन पर पुश्तैनी ने एक लोहे के पिंजड़े से बांध दिया। इस दौरान न तो किसी ग्रामीण के साथ हादसा हुआ और न ही गणतंत्र को चोट आई। यहाँ की सूचना पर परमाणु वन विभाग की टीम ने रिपब्लिक को अपने व्यवसाय में ले लिया। वन जीवों की खोज तो, रावल गंडक नदी से निकल किसी नहर के किनारे तक पहुँच गई होगी। पुनर्स्थापना के बाद अब उसे गंडक नदी में वापस छोड़ दिया जाएगा।

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