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ताइवान के डॉक्टर ने पत्नी के लिए कराई नसबंदी, पुरुषों का पत्नी को अनचाहे गर्भ से बचाना क्यों जरूरी

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Explainer- पुरुषों की लापरवाही कई बार महिलाओं की सेहत पर भारी पड़ जाती है. पति की इज्जत की खातिर वह कुछ कह नहीं पातीं और बार-बार अनचाहे गर्भ से गुजरती हैं. लगातार प्रेग्नेंट होना महिला के शरीर के लिए ठीक नहीं ह…और पढ़ें

ताइवान के डॉक्टर ने पत्नी के लिए कराई नसबंदी, पत्नी को अनचाहे गर्भ से बचाएं

NFHS 5 के अनुसार शहरों में 0.2% और गांव में 0.3% पुरुष ही नसबंदी कराते हैं (Image-Canva)

इन दिनों सोशल मीडिया पर ताइवान के एक डॉक्टर की वीडियो खूब वायरल हो रही है. डॉ.चेन विए नॉन्ग नाम के सर्जन ने खुद की नसबंदी की और इसे अपनी पत्नी के लिए गिफ्ट बताया. उन्होंने बताया कि उनकी पत्नी को और बच्चे नहीं चाहिए थे. हालांकि पहले उनके कितने बच्चे हैं, उन्होंने इसका जिक्र नहीं किया. उनके इस कदम की सोशल मीडिया यूजर खूब तारीफ कर रहे हैं. पुरुष महिलाओं के मुकाबले नसबंदी बहुत कम कराते हैं. भारत में अधिकतर महिलाओं पर ही नसबंदी कराने का दबाव बनाया जाता है. गर्भनिरोधक के तरीके अपनाना उन्हें केवल अनचाहे गर्भ से ही नहीं बचाता बल्कि कई तरह की बीमारियां भी दूर रहती हैं.

पुरुष नसबंदी से क्यों बचते हैं
नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे 5 के अनुसार भारत में महिलाएं 37.9% नसबंदी कराती हैं जबकि पुरुष 0.3% ही ऐसा कराते हैं. गांव में सबसे ज्यादा महिलाएं ऐसा करवाती हैं. दरअसल हमारे समाज में नसबंदी को लेकर बहुत मिथक हैं. पुरुषों को लगता है कि वह नसबंदी कराएंगे तो उनकी पावर घट जाएगी. यह पितृसत्ता की ही देन है. हमारी सोसाइटी में गर्भनिरोधक की जिम्मेदारी महिलाओं के सिर पर डाल दी गई है. पुरुष ऐसा करना अपनी शान के खिलाफ समझते हैं. यही नहीं पुरुष कंडोम लगाना भी पसंद नहीं करते. नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे 5 के अनुसार 10 में से 1 पुरुष ही इसका इस्तेमाल करते हैं.

नसबंदी क्यों जरूरी है
श्रीनगर सुपर स्पेशिएलिटी हॉस्पिटल में यूरो ऑन्कोलॉजी सर्जन डॉ. तनवीर अहमद कहते हैं कि पुरुषों में नसबंदी के ऑपरेशन के बाद उनकी सेक्स पावर पर कोई असर नहीं पड़ता. पुरुषों के सीमेन से एक बार में 1 अरब तक स्पर्म रिलीज होते हैं जिससे प्रेग्नेंसी होने की आशंका रहती है. लेकिन नसबंदी से स्पर्म निकले वाले रास्ते को बंद कर दिया जाता है. यह दो तरीकों से होती हैं पहली चीरा लगाकर और दूसरी बिना चीरा लगाकर यानी नो स्केलपेल मेथड. नो स्केलपेल तरीके से पुरुषों की बिना सर्जरी किए टेस्टिकल्स में एक छेद बनाकर वास डेफेरेस नली को निकालकर बंद कर दिया जाता है. जिससे स्पर्म शरीर से बाहर नहीं निकलते और महिला अनचाहे गर्भ से बच जाती है.

नसबंदी कराने के 1 हफ्ते तक आराम करना चाहिए, इसके बाद रूटीन काम किए जा सकते हैं (Image-Canva)

किन पुरुषों को करानी चाहिए नसबंदी
नसबंदी कराना पुरुषों के लिए सुरक्षित है. अगर वह पैरेंट्स बन चुके हैं तो इस ऑपरेशन को करा सकते हैं. अगर पत्नी की सेहत ठीक नहीं रहती है या उनके लिए प्रेग्नेंसी खतरा बन सकती हैं तो ऐसा कदम उठाना जरूरी है. नसबंदी की सबसे अच्छी बात यह है कि इसे रिवर्स भी किया जा सकता है यानी टेस्टिकल्स से निकली नली की सील को खत्म किया जा सकता है जिससे पुरुष दोबारा पिता बन सकते हैं.

बार-बार गर्भ ठहरने से महिला पड़ सकती है बीमार
अक्सर महिलाएं पुरुषों की लापरवाही से बार-बार प्रेग्नेंट हो जाती हैं. अनचाहा गर्भ सबसे बड़ी समस्या है. गुटरमैचर इंस्टिट्यूट के अनुसार दुनिया में लगभग 13 करोड़ महिलाएं हर साल अनचाहे गर्भ की समस्या से जूझती हैं और बिना डॉक्टर की सलाह के अबॉर्शन पिल्स खा लेती हैं जिससे उनकी जान तक चली जाती है. महिलाओं को हमेशा डॉक्टर की सलाह से अपने शरीर का ध्यान रखना है. हमेशा दो बच्चों के बीच 3 साल तक का गैप होना चाहिए लेकिन बार-बार गर्भ ठहरने से महिला का शरीर कमजोर होने लगता है. शरीर में खून की कमी होने लगती है जिससे वह एनीमिया का शिकार हो जाती है. कुषोषित भी हो जाती हैं. महिला का वजन कम होता है और उन्हें हाई ब्लड प्रेशर या डायबिटीज होने का खतरा बढ़ जाता है.

नसबंदी से पुरुषों की सेहत पर कोई असर नहीं पड़ता (Image-Canva)

कपल्स रहते हैं ज्यादा खुश
नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन के सर्वे के अनुसर नसबंदी का पुरुषों की सेक्शुअल लाइफ पर कोई असर नहीं पड़ता. बल्कि इसके बाद कपल ज्यादा खुश रहने लगते हैं. दरअसल अक्सर पुरुष पत्नी से प्यार करने का दावा करते हैं लेकिन जब उनकी सेहत की बात आती है तो वादा भूल जाते हैं. नसबंदी या दूसरे कॉन्ट्रासेप्शन के तरीकों को अपनाकर पुरुष अपनी पत्नी को असल में इज्जत और प्यार दे सकते हैं. जो पुरुष अपनी वाइफ की सेहत के बारे में सोचते हैं, उनकी पत्नी बाकी महिलाओं के मुकाबले ज्यादा खुश रहती हैं क्योंकि वह अपने शरीर से संतुष्ट होती हैं और किसी दबाव में अपनी शादीशुदा जिंदगी को नहीं चलाती हैं.

पुरुष क्यों लेते हैं महिलाओं के शरीर का फैसला
भारत एक ऐसा देश है जहां महिलाओं के शरीर से जुड़े फैसले भी पुरुष ही लेते हैं. महिलाओं को नसबंदी या दूसरे गर्भनिरोधक के तरीके अपनाने के लिए पत्नी की रजामंदी चाहिए होती है. सागा जनरल और साइंस डाइजेस्ट के सर्वे के अनुसार पति का कंट्रोलिंग बिहेवियर महिला की खराब सेहत के लिए काफी हद तक जिम्मेदार है. आइडिया फॉर इंडिया में छपी रिसर्च के अनुसार जो महिला अपनी मर्जी से कॉन्ट्रासेप्शन का इस्तेमाल करती है, उन पर 9.3pp (परसेंटेज पॉइंट) तक घरेलू हिंसा होने का खतरा बढ़ जाता है. ऐसी महिलाओं को सेक्शुअल और इमोशनल हिंसा भी झेलने पड़ जाती हैं. वहीं नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन की रिसर्च के अनुसार अधिकतर महिलाएं घरेलू हिंसा से बचने के लिए गर्भनिरोधक के तरीकों को नहीं अपनातीं.

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