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अपने तीसरे प्रयास में IFS अधिकारी को असफलताओं से अनीशा टॉमर की सफलता की कहानी को प्रेरित करना
संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) द्वारा आयोजित सिविल सर्विसेज परीक्षा को पास करना आसान काम नहीं है. यह परीक्षा भारत की सबसे कठिन परीक्षाओं में मानी जाती है और इसे वैश्विक स्तर पर भी चुनौतीपूर्ण माना जाता है. UPSC को क्रैक करने के लिए सिर्फ मेहनत ही नहीं, बल्कि जबरदस्त समर्पण और संघर्ष की भी आवश्यकता होती है.
हर साल हजारों उम्मीदवार इस परीक्षा में बैठते हैं, लेकिन इनमें से केवल कुछ ही फाइनल लिस्ट में जगह बना पाते हैं. हम आपके लिए एक खास सीरीज ‘सक्सेस मंत्रा’ लेकर आए हैं, जिसमें आज हम आपको IFS (इंडियन फॉरेन सर्विसेज) अधिकारी अनिशा तोमर की प्रेरणादायक सफलता की कहानी बताते हैं, जिन्होंने अपनी तीसरी कोशिश में UPSC की परीक्षा पास की और यह साबित किया कि संघर्ष और जूनून से सफलता मिल सकती है.
इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान की तैयारी
अनिशा को बचपन से ही पढ़ाई में गहरी रुचि थी, जो उनके भविष्य की उपलब्धियों की नींव बनी. उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय से इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की, और अपनी अंडरग्रेजुएट के समय से ही UPSC परीक्षा देने का ठान लिया था. 2016 में अपनी ग्रेजुएशन पूरी करने के बाद, अनिशा ने UPSC परीक्षा की तैयारी शुरू की. उन्होंने अपनी पढ़ाई के सामग्री को यूपीएससी सिलेबस के अनुसार व्यवस्थित किया और एक नियमित अध्ययन रूटीन तैयार किया, जिसका पालन उन्होंने लगातार किया.
कठिनाइयों का सामना करना
पहले प्रयास में अनिशा प्रीलिम्स के कटऑफ से बहुत कम अंक से चूक गईं, जिससे वे थोड़ी निराश हो गईं. हालांकि, उन्होंने इस असफलता को खुद पर हावी नहीं होने दिया और अपनी दूसरी कोशिश के लिए मेहनत जारी रखी.
स्वास्थ्य समस्याओं से जूझना
अपने दूसरे प्रयास की तैयारी करते समय फरवरी 2018 में अनिशा को ‘आईडियोपैथिक इंट्राक्रेनियल हाइपरटेंशन’ (IIH) बीमारी का पता चला. हालांकि, स्वास्थ्य समस्याओं के बावजूद, उन्होंने अपनी लक्ष्य की ओर बढ़ना जारी रखा. रिपोर्ट्स के मुताबिक, अनिशा ने कहा था कि उन्हें लगता था कि उनकी ताकत कम हो रही है, लेकिन दवाइयों के सेवन, एमआरआई और स्पाइनल टैप जैसी मुश्किलों के बावजूद उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी. उनके दूसरे प्रयास में, वे प्रीलिम्स को पास करने में सफल रही, लेकिन मेन्स परीक्षा में उन्हें सिर्फ छह अंकों से असफलता मिली.
सफलता प्राप्त करना
कई सालों की मेहनत और संघर्ष के बाद, अनिशा ने अपनी तीसरी कोशिश में सफलता प्राप्त की. उन्होंने ऑल इंडिया रैंक (AIR) 94 प्राप्त की और IFS अधिकारी बनीं. अनिशा की कहानी यह साबित करती है कि अगर कोई व्यक्ति अपने लक्ष्य के प्रति पूरी तरह से समर्पित हो और हार न माने, तो सफलता जरूर मिलती है.
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