घुटनों से जुड़ी समस्या होगी जड़ से खत्म! इस अस्पताल में एक छत के नीचे मिलेगा हर तरह का इलाज
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Delhi: आजकल कम उम्र में ही लोगों को घुटनों की समस्या होने लगी है. इस बीमारी की गंभीरता को देखते हुए दिल्ली के इस अस्पताल ने घुटनों की सभी बीमारियों का इलाज एक छत के नीचे उपलब्ध कराया है. इससे मरीजों को बहुत फाय…और पढ़ें

प्रोग्राम लॉन्च करते हुए अपोलो हॉस्पिटल के डॉक्टर्स की टीम
हाइलाइट्स
- दिल्ली के अपोलो अस्पताल ने जॉइंट प्रिजर्वेशन प्रोग्राम लॉन्च किया.
- घुटनों की समस्याओं का इलाज एक छत के नीचे मिलेगा.
- कस्टमाइज्ड थेरेपी और वजन प्रबंधन पर जोर दिया जाएगा.
दिल्ली. भागदौड़ भरी जिंदगी और बदलते हुए लाइफस्टाइल की वजह से घुटने खराब होने की समस्या, जो पहले 50 साल के बाद होती थी, अब 30 से 45 साल की उम्र में ही देखने को मिल रही है. घुटनों के सटीक इलाज के लिए और एक ही छत के नीचे सभी प्रकार के उपचार उपलब्ध कराने के लिए दिल्ली के एक अस्पताल ने पहल की है.
लॉन्च किया ये प्रोग्राम
दरअसल, अपोलो हॉस्पिटल्स ने भारत में अपने आधुनिक अपोलो जॉइंट प्रिजर्वेशन प्रोग्राम को लॉन्च किया है, जो जॉइंट केयर में बड़ा बदलाव लाने वाला साबित होगा. यह पहल जोड़ों की देखभाल के लिए जल्दी और व्यक्तिगत उपचार पर केंद्रित है, जिससे मरीज की गतिशीलता बनी रहे.
लॉन्च के अवसर पर डॉ. संगीता रेड्डी, जॉइंट मैनेजिंग डायरेक्टर, अपोलो हॉस्पिटल्स, डॉ. ब्रेट फ्रिट्श, ऑर्थोपेडिक सर्जन, आर्थोस्कोपिक एवं रिप्लेसमेंट स्पेशलिस्ट, रॉयल प्रिंस अल्फ्रेड हॉस्पिटल, सिडनी और अपोलो हॉस्पिटल्स के ऑर्थोपेडिक विभाग के वरिष्ठ डॉक्टर मौजूद रहे. यह प्रोग्राम जोड़ों के दर्द, आर्थराइटिस, सूजन और लिगामेंट की चोट से पीड़ित मरीजों की जरूरतों को पूरा करने में कारगर होगा.
कस्टमाइज्ड थेरेपी से होगा इलाज
डॉ. संगीता रेड्डी ने बताया कि यह प्रोग्राम हर उम्र के उन मरीजों को राहत और सहयोग देने के लिए डिजाइन किया गया है, जो जोड़ों के दर्द या डिजनरेशन के उपचार के विकल्पों से परिचित नहीं हैं. इस अनूठे प्रोग्राम के तहत विशेषज्ञों की टीम “3T” पर ध्यान केंद्रित करेगी. टेलर्ड एडवाइस यानी मरीज की जरूरत के अनुसार सलाह, ट्रीटमेंट यानी मेडिकल और सर्जिकल उपचार और थेरेपी यानी पुनर्वास, पोषण और वैकल्पिक थेरेपी.
डॉ. रेड्डी ने बताया कि इस प्रोग्राम के तहत मरीजों को जल्द निदान और कस्टमाइज्ड थेरेपी दी जाएगी, ताकि बीमारी गंभीर रूप न ले.
इसलिए खास है यह पहल
डॉ. राजेश मल्होत्रा, सीनियर कंसल्टेंट, ऑर्थोपेडिक सर्जन, इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल्स ने बताया कि इस प्रोग्राम में वजन प्रबंधन, जीवनशैली में बदलाव, फिजियोथेरेपी और सहायक डिवाइसेज का उपयोग किया जाएगा. नॉन-इनवेसिव और मिनिमल इनवेसिव दर्द प्रबंधन तकनीकों, रीजनरेटिव थेरेपी (PRP और स्टेम सेल इंजेक्शन) पर जोर दिया जाएगा.
अगर जोड़ों का अलाइनमेंट खराब हो या कोई मैकेनिकल समस्या हो, तो ऑर्थोस्कोपिक डेब्राइडमेंट, हाई टिबियल ऑस्टियोटॉमी और पार्शल नी रिप्लेसमेंट जैसी जॉइंट-प्रिजर्विंग सर्जरी भी उपलब्ध कराई जाएगी.
जरूरत पड़ने पर ही होगा नी रिप्लेसमेंट
डॉ. हरविंद टंडन, सीनियर कंसल्टेंट, क्लिनिकल एडवाइजर, एडल्ट जॉइंट रिकंस्ट्रक्शन सर्जन, अपोलो हॉस्पिटल्स ने बताया कि इस प्रोग्राम में फिजियोथेरेपी, पुनर्वास, वजन प्रबंधन के लिए आहार की सलाह, योग और अन्य वैकल्पिक थेरेपी भी दी जाएंगी. जॉइंट रिप्लेसमेंट केवल तभी किया जाएगा, जब यह अत्यंत आवश्यक हो.
PRP (प्लेटलेट रिच प्लाज्मा) इंजेक्शन से जोड़ों की सूजन ठीक होती है और उनकी मरम्मत होती है. वहीं, स्टेम सेल उपचार से कार्टिलेज फिर से सामान्य होती है और जोड़ का काम करने का तरीका बेहतर होता है.
काम की साबित हो सकती है यह पहल
यह पहल घुटनों और जोड़ों की समस्या से जूझ रहे मरीजों को जल्द और प्रभावी इलाज उपलब्ध कराने की दिशा में बड़ा कदम है. इससे मरीजों को उनकी जरूरत के अनुसार सही उपचार मिलेगा, जिससे उनकी जिंदगी की गुणवत्ता बेहतर होगी.
19 मार्च, 2025, 11:42 है