UP Kanwar Yatra Nameplate Controversy; Supreme Court | Yogi Adityanath – Hindu Muslim | कांवड़ रूट की दुकानों पर नेमप्लेट जरूरी नहीं: सुप्रीम कोर्ट ने UP सरकार का फैसला रोका, कहा- दुकानदारों को पहचान बताने की जरूरत नहीं – Ghaziabad News
उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा रूट पर दुकानदारों को अपनी पहचान बताने के सरकारी आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम रोक लगा दी है। कोर्ट ने सोमवार को कहा कि दुकानदारों को पहचान बताने की जरूरत नहीं है। कोर्ट ने उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और उत्तराखंड सरकार
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उत्तर प्रदेश सरकार ने कांवड़ यात्रा के रूट पर दुकान मालिकों के नाम लिखने का आदेश दिया है। इसके खिलाफ एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स नाम के NGO ने 20 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। याचिकाकर्ता के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि अल्पसंख्यकों की पहचान के जरिए उनका आर्थिक बहिष्कार किया जा रहा है। यह चिंताजनक है।
भोजन शाकाहारी है या मांसाहारी यह बताना जरूरी, नाम नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पुलिस ने इस मामले में अपनी ताकत का गलत इस्तेमाल किया है। उसे ऐसा नहीं करना चाहिए था। होटल चलाने वालों को भोजन के प्रकार यानी वह शाकाहारी है या मांसाहारी की जानकारी देनी होगी। उन्हें अपना नाम लिखने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए।
नाम लिखने का आदेश दो स्तर से जारी हुआ- पुलिस और यूपी सरकार
1. पुलिस: 17 जुलाई को मुजफ्फरनगर के SSP अभिषेक सिंह ने कहा कि जिले के करीब 240 किमी एरिया में कांवड़ मार्ग पड़ता है। सभी होटल, ढाबा, दुकान और ठेले, जहां से कांवड़िए खाने का सामान खरीद सकते हैं, सभी को अपनी दुकान के बाहर मालिक का नाम और नंबर साफ अक्षरों में लिखना पड़ेगा।
ऐसा करना इसलिए जरूरी था, ताकि कांवड़ियों में कोई कन्फ्यूजन न रहे और कानून व्यवस्था में बाधा न आए। सामाजिक सौहार्द बनाए रखने के लिए ये कदम उठाना जरूरी था।
मुजफ्फरनगर पुलिस का आदेश, जिसमें लिखा है कि होटल-ढाबा और दुकान मालिक अपना और स्टाफ का नाम लिखें।
2. सरकार: मुजफ्फरनगर पुलिस का आदेश सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद 19 जुलाई को सरकार ने इसे पूरे राज्य में लागू कर दिया। सरकार के मुताबिक, कांवड़ियों की शुचिता बनाए रखने के लिए ये फैसला लिया गया है। हलाल सर्टिफिकेशन वाले प्रोडक्ट बेचने वालों पर भी कार्रवाई होगी।
कांवड़ यात्रा का रूट 200 किमी लंबा, पूरा रास्ता पैदल तय करते हैं श्रद्धालु
उत्तर प्रदेश में सावन के महीने में आयोजित होने वाली कांवड़ यात्रा में हर साल करीब 4 करोड़ श्रद्धालु शामिल होतें हैं। इन्हें कांवड़िया कहा जाता है। ये कांवड़िए हरिद्वार से गंगा जल लेकर अलग-अलग शहरों में बने शिवालयों में जलाभिषेक करते हैं। कांवड़ यात्रा का रूट नीचे दिए ग्राफिक से समझिए।
कांवड़ यात्रा से हर साल 5000 करोड़ का कारोबार
सरकारी आदेश के बाद के दैनिक भास्कर ने ग्राउंड रिपोर्ट कर हालात का जायजा लिया था। इस रिपोर्ट को यहां पढ़ सकते हैं…
कांवड़ रूट पर इंडिया स्वीट्स बनी सरताज खान की दुकान:दुकानों के बोर्ड बदल रहे मुस्लिम, बोले- 90% कांवड़ मुसलमान बनाते हैं, उनका क्या
22 जुलाई से कांवड़ यात्रा शुरू होने वाली है। इससे एक हफ्ते पहले यूपी की मुजफ्फरनगर पुलिस ने आदेश जारी कर दिया कि कांवड़ यात्रा के रूट की दुकानों, होटलों और ढाबों में मालिक अपना और स्टाफ का नाम लिखवाएं, ताकि कांवड़ियों में कन्फ्यूजन न हो। यात्रा का रूट, यानी जिस रास्ते से कांवड़िए हरिद्वार से गंगाजल लेकर लौटते हैं।
इस आदेश का विरोध भी हुआ, लेकिन 4 दिन बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यही आदेश पूरे यूपी के लिए जारी कर दिया। इसका असर ये हुआ कि मुस्लिम दुकानदार अपनी दुकानों पर बड़े अक्षरों में नाम लिखवा रहे हैं। पूरी खबर पढ़िए….
सोमवार को कोर्ट रूम की मिनट-टु-मिनट कार्यवाही के बारे में जानने के लिए नीचे दिए ब्लॉग से गुजर जाइए…