बजट 2024: किसान नेता बोले- मोदी सरकार ने सातवीं बार किसानों को धोखा देने का रिकॉर्ड बनाया – India Hindi News
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बजट 2024: आज नरेंद्र मोदी सरकार ने पहला पूर्ण बजट सदनों का पटल पर रखा। सरकार ने वेतन भोगियों, पेंशन भोगियों, किसानों, महिलाओं, युवाओं, छात्रों सहित कई संगीत के लिए बड़े पैमाने पर विज्ञापन जारी किए। किसानों के फायदे की बात की जाए तो वित्त मंत्री ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए कृषि और संबद्ध क्षेत्रों के लिए 1.52 लाख करोड़ रुपये की घोषणा की। स्कॉलर ने कहा कि अनुसंधान, खेती की खेती को बढ़ावा देने, तिलहन और दलहन के उत्पादन को बढ़ाने और कृषि परिदृश्य में समन्वित करने के लिए एक व्यापक योजना की रूपरेखा तैयार की गई है। हालांकि सरकार द्वारा घोषित बजट से किसान नाखुश हैं। पहले राकेश आमिर और अब शंभू बॉर्डर पर तस्वीर में बैठे किसानों ने मोदी सरकार के बजट को बताया है। उनका कहना है, बजट में किसानों के लिए संवैधानिक कानून और कर्ज़ माफ़ी मिलनी को मिलनी चाहिए।
शंभु बार्डर पर इस बार भी बैठे किसानों को परेशान किया गया 1. 1. 2. 3. 4. 5. 6. 7. 8. 9. 1 … कैथोलिक लॉ एंड कर्ज़ माफ़ी के नाम पर कुछ नहीं मिला। किसान श्रमिक संघर्ष समिति के नेता सरवन सिंह पंढेर ने इसे बजटीय आबंटन रिपोर्ट में कहा है कि वित्त मंत्री कार्मिक ने लगातार सातवीं बार बजट पेश करके एक रिकार्ड बनाया है। वहीं, एक और रिकॉर्ड भी बनाया गया है जिसमें कहा गया है कि मोदी सरकार ने सातवीं बार किसानों की अनदेखी की। यह बजट एक बजटीय बजट से अधिक कुछ नहीं है।
बजट का 3 प्रतिशत भी नहीं मिला
अपने सोशल मीडिया हैंडल पर एक वीडियो शेयर करते हुए पंढेर ने कहा कि किसानों और गरीबों की आबादी लगभग 70 प्रतिशत है। 48 लाख करोड़ रुपये का बजट है जिसमें से 1.52 लाख करोड़ रुपये किसानों को दिया गया है, जो बजट का 3 प्रतिशत भी नहीं है। ओके ने कहा कि इस बजट में ना तो शास्त्रार्थ कानून का हिस्सा है, ना किसानों की कर्ज़ माफ़ी का ज़िक्र है, मैथमेटिक्स को रोजगार देने के लिए कुछ नहीं है। खेती को पूरी तरह से नजरअंदाज किया गया है। सिर्फ 1.52 लाख करोड़ के बजट में कहा जा रहा है कि कुदरती खेती को भी प्रोत्साहन मिलेगा, पर्यावरण के अनुसार सेमेस्टर की खोज होगी और ग्रामीण विकास भी होगा जो कि अप्रभावी है।
नौकरी का नाम पर युवाओं से छल
पंढेर ने कहा कि यह बजट नकारात्मक, दिशाहीन है। खेती के विकास के लिए इसमें कोई योजना नहीं है। वहीं, युवाओं को रोजगार की बात पर सरवन सिंह ने कहा कि सरकारी नौकरी तो मौके पर नहीं और कॉर्पोरेट सेक्टर कौन सी नौकरी देगा। यह सब कुछ सिर्फ एक छलावा है।
रिपोर्ट: मोनी देवी