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अब आपकी जमीन का भी बनेगा ‘आधार कार्ड’, जानें क्या है भू-आधार और इसके फायदे

केंद्र सरकार ने आम बजट-2024 में ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में भूमि सुधार को लेकर अहम कदम उठाएं हैं। इसके तहत ग्रामीण क्षेत्रों में भूमि के लिए विशिष्ट पहचान संख्या या ‘भू-आधार’ और सभी शहरी भूमि अभिलेखों के डिजिटलीकरण का प्रस्ताव रखा है। सरकार अगले तीन वर्षों के भीतर इन भूमि सुधारों को पूरा करने के लिए राज्यों को वित्तीय सहायता प्रदान करेगी। भू-आधार से जमीन का मालिकाना हक स्पष्ट होगा और भूमि से जुड़े विवाद भी खत्म होंगे।

क्या है भू-आधार

इस योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों की सभी भूमि को 14 अंकों की विशिष्ट पहचान संख्‍या मिलेगी, जिसे भू-आधार (ULPIN) के नाम से पहचाना जाता है। इसमें भूमि की पहचान संख्‍या के साथ सर्वे, मानचित्रण व स्‍वामित्‍व और किसानों का रजिस्ट्रेशन किया जाएगा। इससे कृषि ऋण मिलने में आसानी होगी और अन्य कृषि सेवाओं में भी सुविधा होगी। गौरतलब है कि सरकार ने यह महत्वाकांक्षी परियोजना भारत के भूमि अभिलेखों को डिजिटल बनाने और एक एकीकृत भूमि अभिलेख प्रबंधन प्रणाली प्रदान करने के लिए 2008 में शुरू की थी।

शहरों में जीआईएस मैपिंग होगी

शहरी क्षेत्रों में भूमि अभिलेखों को जीआईएस मैपिंग के साथ डिजिटल किया जाएगा। संपत्ति रिकॉर्ड प्रशासन, अपडेशन और टैक्स प्रशासन के लिए एक आईटी आधारित सिस्टम स्थापित किया जाएगा। इससे शहरी स्थानीय निकायों की वित्तीय स्थिति में सुधार करने में भी मदद मिलेगी।

कैसे काम करता है भू-आधार

1. भूखंड को पहले जीपीएस तकनीक का उपयोग करके जियोटैग किया जाता है ताकि इसकी सटीक भौगोलिक स्थिति की पहचान की जा सके।

2. फिर सर्वेक्षणकर्ता भूखंड की सीमाओं का भौतिक सत्यापन और माप करते हैं।

3. भूखंड के लिए भूमि मालिक का नाम, उपयोग श्रेणी, क्षेत्र आदि जैसे विवरण एकत्र किए जाते हैं।

4. सभी एकत्रित विवरण फिर भूमि रिकॉर्ड प्रबंधन प्रणाली में दर्ज किए जाते हैं।

5. सिस्टम स्वचालित रूप से भूखंड के लिए 14 अंक का भू-आधार संख्या तैयार करता है, जो डिजिटल रिकॉर्ड से जुड़ा होता है।

भू-आधार में क्या-क्या जानकारी होती है

आधार कार्ड की तर्ज पर बनने वाले भू-आधार में राज्य कोड, जिला कोड, उप-जिला कोड, गांव कोड, भूखंड की विशिष्ट आईडी संख्या आदि होते हैं। भू-आधार संख्या को डिजिटल और भौतिक भूमि रिकॉर्ड दस्तावेज पर अंकित किया जाता है। भले ही भूमि हस्तांतरित हो, कई हिस्सों में विभाजित हो या उसमें कोई बदलाव हो, भू-आधार संख्या भूखंड की भौगोलिक सीमा के लिए समान रहेगी।

ेभू-आधार के फायदे

भूमि-स्तर मानचित्रण और माप के माध्यम से सटीक भूमि अभिलेख सुनिश्चित करता है

भूखंड पहचान में अस्पष्टता दूर होती है, जो अक्सर भूमि विवादों का कारण बनता है

आधार से लिंक करके भूमि अभिलेखों तक ऑनलाइन पहुंच सक्षम होती है

भूखंड से संबंधित संपूर्ण इतिहास और स्वामित्व विवरण को ट्रैक किया जा सकता है

नीति निर्माण के लिए सरकार को सटीक भूमि डाटा मिलता है

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