बिहार को विशेष दर्जा देने की मांग को लेकर लालू यादव बाइक से दिल्ली रवाना
भागलपुर. बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिला, अन्यत्र लेकर वर्षों से मांग चल रही थी, लेकिन केंद्र सरकार द्वारा इस पर पूरी तरह से विराम लगा दिया गया है। बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिलना चाहिए लेकिन बिहार को बजट में कुछ तोहफे जरूर दिए गए हैं, लेकिन अभी भी बिहार के लोगों की मांग है कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिले।
बिहार के विशेष राज्य के बारे में बताते हुए कहा कि भागदौड़ के युवाओं ने ऐसी ठान ली कि दिल्ली तक का यात्रा जागरूकता अभियान के तहत बाइक से निकाल दिया गया। वैशाली के रहने वाले आलोक कुमार यादव ने अपने मित्र के साथ मोटरसाइकिल से दिल्ली तक की यात्रा के लिए लोगों से बातचीत की। आलोक यादव का नाम भी जाना जाता है।
आलोक यादव से अधिक लोग इनके नाम से जानते हैं, क्योंकि ये आलोक यादव की हुबहु अदाएं करते हैं, और इनकी आवाज में बातें भी करते हैं। लोक 18 की टीम ने जब आलोक से बात की तो उन्होंने बताया कि बिहार को स्पेशल स्टेट के बदले लॉलीपॉप थमा दिया गया है.
अगर आइडियॉट लॉलीपॉप भी कहे तो उसका भी अपमान होगा। उन्होंने बताया कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिया गया है, लेकिन सरकार पूरी तरह से छलावा कर रही है। इसमें बिहार अंकित है
आलोक ने बताया कि अगर बिहार की बात करें तो यहां अभी भी ज्यादातर लोग गरीब रहते हैं और यह जहरीला और जहरीला भी है। इसके अलावा नामांकित विशेष राज्य का कोई अवाप्त यह काफी अलॉटमेंट नहीं है। यह विशेष आलेख भी बिहार पर दबाव का कारण मिला है, अन्यथा हर हमेशा बिहार के साथ धोखा ही होता है।
बिहार के युवाओं को छोड़कर कोई भी सरकार हो सिर्फ ठगने का काम किया है। उन्होंने कहा कि भागलपुर से दिल्ली तक जगारूक करते हुए रेस्तरां और जंतर मंतर में विक्रेता अपनी बात रखूंगा। यदि इसके बाद भी किसी विशेष राज्य के दर्जे की मांग को खारिज कर दिया जाता है तो यहां के युवा आमरण अनशन पर बैठेंगे।
जब उनसे पूछा गया कि अब विशेष राज्य को मंजूरी नहीं मिल सकती है क्योंकि केंद्र ने इसे खारिज कर दिया है, तो इस पर उन्होंने कहा कि मेरा हक है मांगना, अब हम किस तरीके से मांगते हैं यह हमारा अनुमोदित मंजूरी है . केंद्र सरकार को मजबूरन मजबूर होना पड़ेगा।
उन्होंने बताया कि बिहार की शिक्षा व्यवस्था काफी लचर है। इसकी वजह यहां की व्यवस्था और गरीबी रेखा है। गरीब परिवार ने अपने बच्चों को अर्थशास्त्र की पढ़ाई के लिए बाद में मथने के लिए भेज दिया। आर्थिक तंगी के बच्चों को नहीं पढ़ना चाहिए। ऐसे में अगर राज्य की विशेष स्थिति है तो शिक्षा प्रणाली में काफी सुधार होने की संभावना है।
वहीं आलोक ने यह भी बताया कि बिहार में जिन खाद्य पदार्थों की तैयारी के लिए राज्य के विशेष प्रवेश द्वार की आवश्यकता है। यहां हर साल कोसी और गंगा दोनों के कारण बाढ़ का प्रकोप झेलना पड़ता है, तो वहीं यहां से अंतरराष्ट्रीय सीमा भी छूती है। उद्योग के मामले में बिहार बिल्कुल ही पिछड़ गया है।
अगर शिक्षा की बात करें तो यहां शिक्षा प्रणाली ही नहीं है, इसलिए विशेष राज्य का नामांकन होना चाहिए। पैकेज तो सिर्फ और सिर्फ बिहार की जनता को ठगने के लिए दिया गया है। ताकि फिर से बिहार की जनता उनकी ओर आकर्षित हो जाये।
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पहले प्रकाशित : 25 जुलाई, 2024, 08:35 IST