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एपीजे अब्दुल कलाम पुण्यतिथि: मछुआरे का बेटा बना मिसाइल मैन और भारत का राष्ट्रपति, अखबार बेचकर जानिए सफलता की कहानी, इसरो डीआरडीओ

डॉ। एपीजे अब्दुल कलाम की जयंती: बचपन में दो वक्त की रोटी बड़ी मुश्किल से मिलती थी. घर जैसे-तैसे चलता था. पिता एक साधारण मछुआरे थे. घर परिवार में हाथ बटाने के लिए 8 साल की कम उम्र में सुबह तड़के उठकर अखबार भी बेचे. अपने भाई-बहनों में सबसे छोटे थे. जिस वजह से सबके लाडले भी थे, लेकिन दिल और दिमाग में मानों पढ़ाई कर देश के लिए कुछ कर गुजरने का जज्बा था. जिसके चलते आगे चलकर भारत के राष्ट्रपति भी बने. जी, हां हम बात कर रहे दुनिया में मिसाइल मैन के नाम से मशहूर भारत के पूर्व राष्ट्रपति रहे ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की.

पूर्व राष्ट्रपति रहे ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का जन्म तमिलनाडु के रामेश्वरम में साल 1931 में हुआ था. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का परिवार गरीब था. उनके पिता मछुआरे थे और घर में पैसे की तंगी थी. लेकिन कलाम का मन पढ़ाई में लगा रहता था. जिसके चलते कलाम जब महज 8 साल के थे, तब वह सुबह 4 बजे उठकर अखबार बेचने जाता थे. वह पढ़ाई का खर्च निकालने के लिए यह सब करता थे. दिन भर अखबार बेचने के बाद, वह घर आकर पढ़ाई करता थे. एक दिन उनके टीचर ने बच्चों को पक्षियों के बारे में बताया और यह सवाल पूछा कि पक्षी कैसे उड़ पाते हैं. उस दिन कलाम ने मन ही मन ठान लिया कि वह बड़ा होकर एक एयरोनॉटिकल इंजीनियर बनेंगे.

यहां से की पढ़ाई

रामनाथपुरम के श्वार्ट्ज स्कूल से शिक्षा पूरी करने के बाद कलाम तिरुचिरापल्ली के सेंट जोसेफ कॉलेज गए. यहां से उन्होंने 1954 में फिजिक्स में ग्रेजुएशन की. डॉ. कलाम ने अपनी मेहनत और लगन से मद्रास इंजीनियरिंग कॉलेज से एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की. उन्होंने भारत के रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) में कई महत्वपूर्ण पदों पर काम किया. उन्होंने भारत में बैलिस्टिक मिसाइलों के विकास में अहम भूमिका निभाई और उन्हें ‘मिसाइल मैन’ के नाम से जाना जाने लगा.

राष्ट्रपति तक का सफर

कलाम का जीवन संघर्षों से भरा रहा, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी. वह भारत के 11वें राष्ट्रपति बने. उन्होंने देश के युवाओं को हमेशा प्रेरित किया. कलाम का मानना था कि अगर हम दृढ़ निश्चय के साथ कुछ करना चाहते हैं तो हम जरूर सफल हो सकते हैं.

दूसरों के लिए प्रेरणा हैं डॉ. कलाम

डॉ. कलाम का जीवन हमें सिखाता है कि अगर हम मेहनत और लगन से काम करें तो हम अपनी मंजिल जरूर पा सकते हैं. चाहे हमारे पास कितने भी संसाधन क्यों ना हों, हम अपने सपनों को पूरा कर सकते हैं. कलाम का निधन 27 जुलाई, 2015 को हुआ, लेकिन उनकी प्रेरणा आज भी लाखों लोगों को प्रेरित करती है.

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