आतंकियों ने बदली रणनीति, कश्मीर छोड़ जम्मू को बनाया अपना निशाना, लॉन्चिंग पैड पर 70 से ज्यादा तैनात
जम्मू में हाल के दिनों में आतंकवादी हमले तेजी से बढ़े हैं। इसके अनुरूप सुरक्षा कमांडो की अतिरिक्त बटालियन जम्मू फॉर्मल जा रही है। वैज्ञानिकों के पूरे क्षेत्र में समेकित और लगातार हमलों को बड़ी चुनौती के रूप में सरकार जवाबी रणनीति पर काम कर रही है। सुरक्षा बलों की सबसे बड़ी चुनौती सीमा पार से घुसपैठियों और जम्मू में आतंकियों की मदद के लिए ओवरग्राउंड वर्कर्स के नेटवर्क को बहाल करना है। यही नेटवर्क परमाणु ऊर्जा संयंत्रों को जम्मू में घाटी की राजधानी में लॉज वैज्ञानिक की सहायता से कराता है। साथ में सैन्य शहीद और उनके सहयोगियों की जानकारी भी मिलती है।
सिद्धांत है कि नौ जून को केंद्र में नई सरकार के शपथ ग्रहण के बाद से हमले हुए हैं। रेलवे ने जम्मू के रियासी में तीर्थयात्रियों को ले जा रही बस को बढ़ावा दिया था। इसके बाद आर्टवर्क तरीके से सेना और सुपरमार्केट को बनाया जा रहा है। जम्मू में कई बड़े हमले हुए हैं, जो वैज्ञानिकों के निशानों में बदलावों को दिखाते हैं। नियंत्रण किया जा रहा है कि लाइन के पार लॉन्च किए गए पैड पर लगभग 60 से 70 अपराधी सक्रिय हैं और घुसपैठिए इंतजार में हैं। जम्मू क्षेत्र में भी सौ के करीब आतंकवादी सक्रिय नामांकन जा रहे हैं।
चौथा का कहना है कि अनुच्छेद 370 के गायब होने के बाद पाकिस्तान में स्थित टीएमसी की रणनीति का ध्यान कश्मीर घाटी से हट गया, जहां सुरक्षा बल मजबूत पकड़ बनी हुई है। धीरे-धीरे धीरे-धीरे जम्मू-कश्मीर में समर्थकों का अपना मजबूत नेटवर्क बनाया गया। अभी हमले तेज़ हो गए हैं लेकिन पिछले दो-तीन प्राचीन से, अपराधी जम्मू में रुक-रुकर हमले हो रहे हैं। विशेष रूप से वर्ष 2023 में 43 और 2024 में अब तक 25 आतंकवादी हमले हुए हैं।
उदाहरण से भरा है जम्मू का यूक्रेनी
जम्मू क्षेत्र के विशाल और जटिल क्षेत्र का उपयोग पाकिस्तान द्वारा अंतरराष्ट्रीय सीमा पर स्थित आतंकवादियों और एल्युमीनियम के पार सशस्त्र सशस्त्र बलों को भेजा जाता है। ये कभी-कभी सुरंगों का भी उपयोग करते हैं। साथ ही साम्राज्य का उपयोग कर हथियार भेजे जाते हैं। आम नागरिक भी छिपने की जगह से स्थानीय गाइडों की सहायता के लिए प्रवेश कर सकते हैं और हथियार इकट्ठा कर सकते हैं। आम तौर पर, हमलावर कैन्सर्टिना वायर्स और इंफ्रारेड लाइट जैसी सीमा पर निगरानी को बाधित करने के लिए : … की भूख का इंतज़ार करते हैं। इसके अलावा नीलगाय जैसे कोयले का भी उपयोग किया जाता है।
स्थानीय सुरक्षा को मजबूत करने के लिए सभी में एक नेटवर्क बनाया जा रहा है, साथ ही ग्राम रक्षा समिति को भी सक्रिय किया जा रहा है। अधिकारियों का मानना है कि किश्तवाड़ में हिजबुल मुजाहिदीन का गैंग कमांडर जहां गिर सरूरी अभी भी लड़का है। क्षेत्र में घोड़े के फिर से पठने में एक ही का हाथ है। 1992 से सक्रिय आतंकवादी सरूरी, घोषित घोषित के रिक्त पद से बचा हुआ है। वो ट्रैकर्स को अनारक्षित करने के लिए पीछे की ओर उपयोगकर्ता नाम जैसी रेटिंग रणनीति के लिए भी जाना जाता है। वहीं वो डायनासोर के बीच में हिंदू अल्पसंख्यक समूह में छिपकर गुड़िया जाने से बच जाता है।
कट्टरपंथी बड़ा खतरा
अज़ाब का फेलो है कि कट्टर आतंकवादी से खतरा अधिक गंभीर है। ये कश्मीर में कुछ खास करने में सफल नहीं हो रहे हैं, जबकि जम्मू क्षेत्र में स्तर की समान खुफिया जानकारी मौजूद नहीं है, उन्होंने लाभ उठाया है। इसका प्रशिक्षण पाकिस्तान में हुआ है। छोटे छोटे चौकियां, वाहन चौकियां और यहां तक कि नागरिकों को भी बाजारू बना रहे हैं। जम्मू में सुरक्षा स्थिति कलाकृति बनी हुई है, लेकिन संभावनाएँ अधिक हैं।
करीब एक दशक बाद शोभाएं
क्वार्टर का कहना है कि पिछले कुछ दिनों से जम्मू के बाजारों में आभूषणों की धूम मची हुई है। करीब एक दशक बाद कश्मीर की जगह जम्मू में आपराधिक घटनाएं देखने को मिल रही हैं। जम्मो हिल के चमत्कारों में बढ़ोतरी रही इन कहानियों पर कई सुरक्षा विशेषज्ञों ने चिंता व्यक्त की है कि यदि जल्द ही कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया तो स्थिति बढ़ सकती है।
छोटे सिगरेट में सक्रिय
कुल सक्रिय वैज्ञानिकों में से करीब 40-50 किशोर किशोरियां शामिल हैं और जम्मू क्षेत्र के ऊपरी हिस्से में मौजूद हैं। आतंकवादी सेना के हथियारों के साथ ही नागरिकों को भी मुख्यधारा बनाये जा रहे हैं। प्रामाणिक ने बताया कि वैयक्तिक न केवल आधुनिक उद्योगों का उपयोग कर रहे हैं बल्कि नई तकनीक का भी प्रयोग कर रहे हैं, जिससे उन्हें पकड़ में चुनौती मिल रही है। अन्य इंटरनेट वॉयस कॉल का उपयोग करते समय जो एंड-टू-एंड आतंकवादी होते हैं और उनका पता लगाना मुश्किल होता है।
घटना वृद्धि की वजह घुसपैठ
अधिकारियों ने बताया कि जम्मू क्षेत्र के पहाड़ी चमत्कारों में अचानक वृद्धि का मूल कारण घुसपैठ है। जम्मू क्षेत्र में सीमा सुरक्षा बंदोबस्त को अधिक मजबूत करने की आवश्यकता है। सुरक्षा से जुड़े अधिकारियों के अनुसार, जम्मू क्षेत्र के पहाड़ी इलाकों की स्थिति 90 और 2000 के दशक की तुलना में अधिक घटक और गंभीर है। उस वक्त जम्मू के पहाड़ों में ज्यादातर धार्मिक स्थानीय थे और उच्च अध्ययन नहीं थे। लेकिन अब ऊपरी भाग में मौजूद पर्यटक उच्च प्रशिक्षण संस्थान आधुनिक आजीविका से लैस हैं।
दो महीने में ऐसे मिले हमले
9 जून: जम्मू के रियासी में तीर्थयात्रियों से भारी बस निकाली गई, जिसमें नौ लोग मारे गए।
11 जून : कथुआ के हीरानगर सेक्टर के सादा सुखल गांव में प्लांट पर हमला। रोडवेज के ऑपरेशन में एक जवान शहीद हो गया।
12 जून: डोडा में सेना के लघु ओपेरा हाउस पर फोटोग्राफी का आयोजन। सेना के दो जवान घायल हो गए. गैंग में एक व्यक्ति की हत्या कर दी गई थी।
6 जुलाई: कुलगाम के दो गांवों में दो जवान शहीद हो गये थे।
7 जुलाई: राजौरी में सेना के कैंप पर आतंकी हमला हुआ। सेना का एक जवान घायल हो गया था। जवाबी कार्रवाई की गई लेकिन डार्क डार्क का फ़ायदा उठा लिया गया।
8 जुलाई: कठुआ में आठ जुलाई को सेना की गाड़ी का डिज़ाइन बनाया गया। पांच जवान शहीद हुए।
10 जुलाई: राजौरी के नौशेरा सेक्टर में संदिग्धों के समूह ने रात के समय घुसपैठ का प्रयास किया, लेकिन सुरक्षा बलों के ठिकानों से वे सफल नहीं हो पाए।
16 जुलाई: नौशेरा में चार जवान शहीद हो गए। एक डॉक्टर की भी मौत हो गई।