भयानक हो रहे हालात, AIIMS ने जारी कर दी है चेतावनी, 50 फीसद मामलों में मौत, संभल जाएं नहीं तो… – aiims delhi warning on hepatitis a hepatitis e children young people most affected 50 percent death rate
नई दिल्ली. राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में पिछले कुछ सप्ताह से तेजी से बढ़ रहे हेपेटाइटिस A के मामलों के बीच दिल्ली स्थित ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (AIIMS) के डॉक्टरों ने चेतावनी जारी की है. AIIMS दिल्ली के डॉक्टरों ने लोगों को दूषित भोजन और दूषित पानी का सेवन करने से बचने की सलाह दी है. AIIMS के पेट रोग से जुड़े विभाग के प्रोफेसर डॉ. शालीमार ने एक बताया कि अस्पताल में हेपेटाइटिस A के मामलों की संख्या में वृद्धि हो रही रही है. अधिकतर रोगी बच्चे और 18 से 25 आयु वर्ग के लोग हैं.
AIIMS दिल्ली के पेट रोग के विभागाध्यक्ष डॉ. प्रमोद गर्ग ने बताया कि हेपेटाइटिस A और E मुख्य रूप से मल और दूषित पेयजल से फैलते हैं. यह सेल्फ रिस्ट्रिक्टेड इंफेक्शन है और इनके इलाज के लिए किसी खास एंटी वायरल मेडिसन की आवश्यकता नहीं होती है. शुरुआत में ही इसका इलाज करना जरूरी होता है. उन्होंने कहा कि विभाग की ओर से किए गए एक अध्ययन से पता चला है कि हेपेटाइटिस A और E दोनों मिलकर तेजी से लिवर को डैमेज करते हैं. लिवर डैमेज के 30 प्रतिशत मामलों में इन दोनों बीमारियों का योगदान है. इस स्थिति में मृत्यु दर 50 फीसद तक होती है.
देश में खतरनाक हालात
इस साल विश्व हेपेटाइटिस दिवस का थीम था- दिस इज एक्शन टाइम. वैश्विक स्तर पर नए हेपेटाइटिस संक्रमणों को कम करने, वायरल हेपेटाइटिस से संबंधित मौत को कम करने और साल 2030 तक वायरल हेपेटाइटिस के वैश्विक उन्मूलन के लक्ष्य को हासिल करने की तत्काल आवश्यकता पर जोर देता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, वैश्विक स्तर पर भारत समेत 10 देशों में वायरल हेपेटाइटिस B और C के 66 प्रतिशत मामले हैं. AIIMS दिल्ली के डॉक्टर प्रमोद गर्ग ने कहा, ‘भारत वायरल हेपेटाइटिस के सबसे अधिक मामलों वाले देशों में पहले स्थान पर है और विश्व के वायरल हेपेटाइटिस के लगभग 12 प्रतिशत मामले यहीं हैं.’
WHO के लक्ष्य
WHO का लक्ष्य साल 2030 तक नए क्रोनिक हेपेटाइटिस संक्रमणों में 90 प्रतिशत की कमी और वायरल हेपेटाइटिस से संबंधित मौतों में 65 प्रतिशत की कमी लाना है. भारत में राष्ट्रीय वायरल हेपेटाइटिस नियंत्रण कार्यक्रम इस लक्ष्य की ओर काम कर रहा है. डॉक्टर गर्ग ने बताया कि इस कार्यक्रम के तहत सभी नवजात शिशुओं को जन्म के समय हेपेटाइटिस बी के लिए टीका लगाया जाता है और हेपेटाइटिस बी और सी वायरस के इलाज के लिए दवाएं मुफ़्त दी जाती हैं.
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पहले प्रकाशित : 30 जुलाई, 2024, शाम 6:24 बजे IST