शाहजहाँ की बहू की कब्र कैसी है? एएसआई या वफ़्फ़ बोर्ड…उच्च न्यायालय ने दिया बड़ा फैसला
भोपालः भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षक (ए असोसिएट्स) द्वारा मप्र के पुरातत्व सर्वेक्षण में शामिल दस्तावेजों की सूची तैयार की गई। इस दौरान कोर्ट ने जो फैसला सुनाते हुए कहा कि बुरहानपुर में तीन प्राचीन स्मारक स्थित हैं, जिनमें मुगल सम्राट शाहजहां की बहू बिल्किस की कब्र भी शामिल है, वो वक्फ की संपत्ति का हिस्सा नहीं हैं। कैथोलिक ने एमपी हाईकोर्ट की जबलपुर पीठ के साथ एक रिट फाइल शीट की घोषणा की, जिसमें तर्क दिया गया कि सीईओ एमपी वक्फ बोर्ड ने 2013 में एक ऑर्डर के माध्यम से इन साइट्स को वक्फ संपत्ति घोषित की थी। कोर्ट ने कहा कि प्राचीन स्मारक संरक्षण अधिनियम, 1904 के तहत प्राचीन और संरक्षित स्मारकों को घोषित किया गया है, तो उन्हें वक्फ घोषित संपत्ति नहीं दी जा सकती।
फाइनेंस जीएस अहलूवालिया, 26 जुलाई को अंतिम आदेश जारी किया गया, उन्होंने कहा कि “विचारधारा संपत्ति एक प्राचीन और संरक्षित स्मारक है, जो प्राचीन स्मारक संरक्षण अधिनियम, 1904 के तहत मंजूरी प्राप्त है और इसलिए, सीईओ, एम.पी. वक्फ बोर्ड ने इसे खाली करने का निर्देश देते हुए कहा कि यह एक बड़ा अपराध है।” अकीदतमंद ने तर्क दिया कि ईसा मसीह के तीन स्थल – शाह शुजा स्मारक, नादिर शाह का मकबरा और बुरहानपुर के किले में स्थित बीबी साहिबा की मस्जिद भी प्राचीन और संरक्षित स्मारक हैं।
शाह शुजा स्मारक मुगल सम्राट शाहजहाँ के पुत्र शाह शुजा की पत्नी बिल्किस की कब्र है। उनकी बेटी के जन्म के समय बताया गया कि उनकी मृत्यु के बाद उन्हें बुरहानपुर में दफनाया गया था। यह मकबरा जिसे खरबुजा महल के नाम से भी जाना जाता है, “गुंबद से बना है।” यह स्थल “एक उभरते हुए बांसुरीदार जंगलात चबूतरे पर बना है” और “पत्थर से बना है और शैल समुदाय से बना है और संस्कृति से बना है।”
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पहले प्रकाशित : 31 जुलाई, 2024, 14:35 IST