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रेड मीट से हो सकती है भूलने की बीमारी? नए शोध में चौंकाने वाला सच आया सामने, जानें डेमेंशिया के लिए क्‍या खाना फायदेमंद

क्या प्रसंस्कृत लाल मांस मनोभ्रंश का खतरा बढ़ा सकता है? अगर आप रेड मीट खाना पसंद करते हैं, खासतौर पर प्रोसेस्‍ड रेड मीट से बने बर्गर, पिज्‍जा या सैंडविच आदि, तो जरा संभल जाएं. क्‍योंकि हाल ही में एक शोध में पाया गया कि ऐसा करने से आप भूलने की बीमारी के चपेट में आ सकते हैं. अल्‍जाइमर असोसिएशन इंटरनेशनल कॉन्‍फ्रेंस ने अपने एक शोध का हवाला देते हुए बताया है कि जो लोग अधिक मात्रा में प्रोसेस्‍ड रेड मीट खा रहे हैं, उनमें अधिक मात्रा में डेमेंशिया का खतरा देखने को मिला है, जबकि जो लोग इसकी जगह नट्स, बीन्‍स या दाल का सेवन कर रहे हैं, वे डेमेंशिया के खतरे से बचे हुए हैं.

रेड मीट और डेमेंशिया के बीच संबंध
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के मुताबिक, विनिट क्लिनिक के साइकैट्रिस्ट, डॉ. शाम सिंह का कहना है कि प्रोसेस्ड रेड मीट और डेमेंशिया के बीच संभावित लिंक हो सकता है. उन्होंने बताया कि सॉसेज और बेकन जैसी चीजों में फैट और कोलेस्ट्रॉल की मात्रा काफी अधिक होती है, जिसका अत्यधिक सेवन करने से धमनियों में कोलेस्ट्रॉल के प्लाक जमा हो सकते हैं, जिससे एथेरोस्क्लेरोसिस यानी धमनियों का संकुचन हो सकता है और ब्रेन में ब्‍लड फ्लो प्रभावित होती है. जिससे ब्रेन सेल्‍स को ऑक्सीजन और न्‍यूट्रिशन पर्याप्‍त नहीं मिल पाता, जिससे संज्ञानात्मक गिरावट में तेज आ सकती है और इस तरह यह डेमेंशिया के जोखिम को बढ़ा सकती है.

बता दें कि रेड मीट के सेवन को हार्ट डिजीज, हाई ब्‍लड प्रेशर, कोरोनरी आर्टरी डिजीज और स्ट्रोक जैसी बीमारियां भी हो सकती हैं. जिससे ब्‍लड वेन्‍स डैमेज हो सकते हैं और शरीर के विभिन्न हिस्सों में सूजन हो सकता है, जिसमें दिमाग भी शामिल है. क्रोनिक सूजन और ब्‍लड वेन्‍स में खराबी, डेमेंशिया का कारण बन सकती हैं.

डॉ. सिंह के मुताबिक, जब हम मांस को ग्रिलिंग, फ्राइंग या ब्रॉयलिंग जैसी हाई हीट मेथड से पकाते हैं तो हेटेरोसाइक्लिक एमाइन्स (HCAs) और पॉलीसाइक्लिक एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन्स (PAHs) जैसे डेंजरस कैमिकल बनते हैं. जो ब्रेन में ऑक्‍सीडेटिव स्‍ट्रेस और स्‍वेलिंग का कारण बन सकते हैं. इससे सेल्‍स डैमेज होने लगते हैं और ब्रेन पर एजिंग तेजी से होने लगता है जो न्यूरोडीजेनेरेटिव बीमारियों जैसे अल्जाइमर और डेमेंशिया का कारण बन सकता है.

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क्‍या खाने से डेंमेंशिया से बचाव
इस अध्ययन में यह भी सुझाव दिया गया है कि प्रोसेस्ड रेड मीट की जगह अगर नट्स और फलियों का सेवन किया जाए तो डेमेंशिया के जोखिम को कम भी किया जा सकता है. प्रोवाइज हेल्थकेयर की न्‍यूट्रिशनिस्‍ट वर्षा खत्री ने बताया कि नट्स और फलियों में ऐसे महत्वपूर्ण पोषक तत्व और एंटीऑक्सीडेंट होते हैं जो मस्तिष्क के स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करते हैं.

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टैग: मस्तिष्क शक्ति, स्वस्थ खाएं, जीवन शैली, मानसिक रोग

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