सागर में आशुतोष राणा… सजी दोस्तों की महफ़िल, एक से बढ़कर एक शायरी का चला दौर, देखें वीडियो
सागर: बॉलीवुड फिल्म अभिनेता और लेखक आशुतोष राणा का समुद्र से गहरा नाता है। यहां उनकी बहन की शादी सुहाने परिवार में हुई है, तो सागर यूनिवर्सिटी से उन्होंने कॉलेज की पढ़ाई की है। लंबे समय तक सागर विश्वविद्यालय में रहने के कारण उनके दोस्तों की सूची भी सागर में लंबे समय तक रही। वहीं, आशुतोष राणा के बारे में कहा जाता है कि एक बार जब वह अपने दोस्त से बात करते थे, तो हमेशा के लिए वह उनसे मिल जाते थे। आशुतोष अपनी कमेंट्री मिलनसार छवि के साथ मित्रता के लिए भी जाएं।
आशुतोष राणा 2 दिन पहले सागर स्थित अपने मित्र के घर, रिपोर्ट उन्होंने सागर के मित्रों को दी। दोस्तों में उनके एक प्रिय मित्र अशोक मिर्जा बद्री भी हैं, जो शायरी के शौक़ीन हैं। वह बशीर बद्र, रिलीफ डेडोरी, कुमार विश्वास जैसे दिग्गज लोगों के साथ मंच साझा कर चुके हैं। बस फिर क्या था, महफ़िल जम गई। आशुतोष राणा ने मित्र अशोक मिश्रा से शायरी की फरमाइश की तो वह भी आपको रोक नहीं पाए, उन्होंने मजेदार शायरी सुनाई तो खूब तालियां बजाईं और ठहाके लगाए।
ऐसे चला शेर-शायरी का दौर
वीडियो में आप देख सकते हैं कि आशुतोष राणा फर्माइश कहते हैं, ”आपसे मुलाकात हुई, यह अच्छी बात है। आपकी किताब अच्छी लगती है, लेकिन आज सबसे पहले आपने शेर सुनाने वाला, इकहरे बदन वाला” लिखा है। तब मिज़ाज अर्ज करते हैं कहते हैं.. “महकते लफ़्ज़ों को गिलों में ढाल सकते हैं, मैं कागज़ों से भी नरम निकल सकता हूँ, तू मेरे जेब में रखे हुए कलम पर न जा, वक़्त में आने पर चाकू निकाल सकता हूँ।” मेरे इख़रे बदन पर तू कोई तंज न कस, मैं चार-छह को अकेला सहारा बन सकता हूँ…” इसके अलावा वह एक और शायरी पेश की है। आशुतोष राणा कहते हैं कि उन्हें अशोक मिश्रा की शायरी और किताबें अच्छी लगती हैं। वहीं, अशोक मिश्रा कहते हैं कि वह आशुतोष राणा को प्रेरणा देते हैं।
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पहले प्रकाशित : 12 अगस्त, 2024, 09:27 IST