मध्यप्रदेश

देश का पहला राज्य बनेगा मध्य प्रदेश! WhatsApp पर मिलेंगे कोर्ट के समन-वारंट

दीपक पांडे/भोपाल: समय की बचत और समीक्षा में देरी को कम करने के लिए मध्य प्रदेश देश का पहला राज्य बन रहा है। जो ऑनलाइन समन और मार्टीनाइल तामाम चाहता है। इस कदम से पुलिस और न्याय प्रणाली में महत्वपूर्ण सुधार की उम्मीद है।

मध्य प्रदेश सरकार ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) के तहत एक नए कानून को मंजूरी दे दी है, जिसके तहत अदालत अब समन और राष्ट को डिजिटल मीडिया सेलीग जारी करेगी। पुलिस के आवेदन और ईमेल के माध्यम से संबंधित समग्र, शिकायती, या गवाहों को तमिल टीम में शामिल किया जाएगा।

परीक्षण एवं कार्यान्वयन की प्रक्रिया
इस प्रक्रिया का ट्रायल खंडवा जिले में लगभग एक साल पहले पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू हुआ था। इसके सफल नतीजों के बाद, इसे राज्य के 10 उत्पाद में लागू किया गया। अब यह ट्रायल पुलिस की सभी 63 इकाइयों में किया गया है। संभावित राज्य सरकार ने सोमवार को इस नियम को मंजूरी दे दी है और जल्द ही अधिसूचना जारी होने के बाद इसे पूरे प्रदेश में लागू कर दिया जाएगा।

डिजिटल समन-वारंट के मुख्य लाभ
मनपावर की बचत: पुलिस को समन तमिल करने के लिए लोगों के घर नहीं जाना चाहिए, जिससे समय और मनपावर की बचत होगी, और पुलिस में सुधार होगा।सुनवाई में देरी नहीं: समन-वारंट तमिल में देरी नहीं होने के कारण देरी नहीं होगी, जिससे न्याय प्रक्रिया तेज होगी और जल्दी होगी। डिजिटल माध्यमों का उपयोग: एसएमएस, सिलिकॉन, या ईमेल के जरिए समन-वारंट तमिल जाएंगे, जिससे प्रक्रिया तेज और अधिक प्रभावी होगी।

जो लोग डिजिटल माध्यम नहीं अपनाते
जिन लोगों के पास लाइक या ईमेल नहीं है, उन्हें सूचीबद्ध करें। कोर्ट अब पंजीकृत, वकील, या गवाहों का ईमेल एड्रेस और मोबाइल नंबर रिकॉर्ड कर रही है, ताकि पीडीएफ फॉर्म में सामान/वारंट जारी किया जा सके।

तेलंगाना, राजस्थान और कर्नाटक भी अपनाएंगे यह प्रक्रिया
मध्य प्रदेश की सबसे पहले अन्य राज्यों के लिए भी साइटें हैं। तेलंगाना, राजस्थान और कर्नाटक ने इस प्रक्रिया को अपनाने की योजना बनाई है। एडीजी एससीआरबी के चंचल शेखर ने बताया कि अब तक अदालतों के माध्यम से पुलिस को 1.29 लाख से अधिक समन-वारंट डिजिटल रूप में मिल गए हैं।

पुलिस और कानूनी विभाग के बीच समन्वय
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, इस प्रक्रिया को सफल बनाने के लिए मध्य प्रदेश पुलिस और कानूनी विभाग ने पुणे स्थित एनसीआई सीआईएस के मुख्यालय के साथ करीब 42 बैठकें की हैं। इस सहयोग के बाद ही यह डिजिटल सिस्टम लागू किया गया है। बता दें कि, मध्य प्रदेश की यह प्रमुख चट्टानें और पुलिसिंग व्यवस्था में एक महत्वपूर्ण सुधार के रूप में विचार किया जा रहा है, जो देश अन्य राज्यों के लिए भी प्रेरणा देने वाला है।

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