एम्स दिल्ली में ये क्या हुआ? इन मरीजों की आ गई आफत, 90% बिना इलाज लौटे, हड़ताल से मचा हड़कंप
डॉक्टरों की देशव्यापी हड़ताल का सबसे बुरा असर मरीजों की सेहत पर पड़ रहा है. कोलकाता में आरजी कर मेडिकल कॉलेज में ट्रेनी डॉक्टर की रेप के बाद हत्या मामले ने ऐसा तूल पकड़ा है कि पूरे देश में रेजिडेंट डॉक्टर्स हड़ताल पर चले गए हैं और विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. ऐसे में गंभीर से गंभीर मरीजों को इलाज मिलना मुश्किल हो गया है. भारत के सबसे बड़े अस्पतालों में से एक दिल्ली एम्स में आज के मरीजों के आंकड़े काफी चौंकाने वाले हैं. इससे पता चलता है कि हड़ताल के चलते कितने मरीजों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज नई दिल्ली की मेडिकल सुप्रिटेंडेंट डॉ. निरुपम मदान की ओर से हड़ताल के दूसरे दिन यानि 13 अगस्त की स्टेटस रिपोर्ट बताती है कि डॉक्टरों की हड़ताल के चलते एम्स में इमरजेंसी सेवाएं अन्य दिनों की तरह सामान्य रूप से चलीं. इस दौरान एम्स की चारों इमरजेंसी में कुल 393 मरीजों का इलाज किया गया.
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आपातकालीन सेवाओं में ही आने वाली आईसीयू सर्विसेज में भी डॉक्टर तैनात रहे और पूरे दिन सामान्य रूप से आईसीयू की सर्विसेज भी एम्स में ठीक रहीं. हालांकि आउट पेशेंट डिपार्टमेंट यानि ओपीडी सेवाओं में बड़ी कमी देखी गई. अस्पताल की मुख्य ओपीडी से लेकर सर्जिकल ब्लॉक, आरपीसी, जेपीएनएटीसी, मदर एंड चाइल्ड ब्लॉक, कैंसर इंस्टीट्यूट सहित सभी ओपीडी में कुल 5134 मरीजों को ही देखा गया. जो कि सामान्य दिनों के मुकाबले करीब 66 फीसदी कम रहा. ऐसे में डॉक्टरों के ओपीडी में शामिल न होने पर बहुत सारे मरीज बिना ओपीडी में दिखाए ही लौट गए.
इन मरीजों की आई आफत
डॉक्टरों की हड़ताल के चलते एम्स में सबसे ज्यादा परेशानी सर्जरी के मरीजों को झेलनी पड़ रही है. महीनों पहले से ऑपरेशन की तारीख लेकर बैठे मरीजों को मंगलवार को बिना सर्जरी के घर लौटना पड़ा. एम्स के आंकड़े बताते हैं कि एम्स के कुल 10 विभागों के ऑपरेशन थिएटरों में सिर्फ 70 बड़ी और 13 छोटी सर्जरी ही की जा सकीं. ऐसे में अन्य दिनों के मुकाबले सर्जरी में 90 फीसदी की कमी आई और इतने मरीजों को परेशान होकर बिना इलाज घर जाना पड़ा.
मरीजों के एडमिशन भी हुए कम
सिर्फ ओपीडी ही नहीं अस्पताल में मरीजों की भर्ती भी काफी कम हुई. सीनियर और जूनियर रेजिडेंट डॉक्टरों के मौजूद न होने के चलते अस्पताल में सिर्फ 330 मरीज ही भर्ती हो सके. इनमें सभी ब्लॉक सहित मुख्य अस्पताल में 250 मरीज भर्ती हुए. अन्य दिनों के मुकाबले यह संख्या 65 फीसदी कम थी.
लैब से लेकर जांचों पर भी पड़ा असर
इस हड़ताल की वजह से बहुत सारे मरीज अपॉइंटमेंट होने के बावजूद जांचें नहीं करवा पाए. जबकि जांचों के लिए भी मरीजों को अपॉइंटमेंट लेकर महीनों इंतजार करना पड़ता है. 13 अगस्त को जांचें 25 फीसदी घट गईं और एनसीआई व जेपीएनएटीसी में सिर्फ 17095 लैब में जांचें हो सकीं. इसके अलावा रेडियोलॉजिकल जांचों में 40 फीसदी की कमी आई. मरीज एक्सरे, अल्ट्रासाउंड, सीटी स्कैन कराने के लिए भटकते रहे. कैंसर जैसी भयंकर बीमारी में होने वाली जांच पैट स्कैन आदि भी 20 फीसदी कम हुए. हालांकि ब्लड बैंक सुचारू रूप से काम करती रही.
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पहले प्रकाशित : 13 अगस्त, 2024, शाम 7:34 बजे IST