रक्षा बंधन 2024: इस बार रक्षा बंधन पर निकली सिक्की राखियां, ये हैं एक से बढ़कर एक रौनकें
गौरव झा/मधुबनी: हर साल भाई-बहन रक्षाबंधन का त्योहार मनाते हैं लेकिन, इस साल बलिया के झंझारपुर खंड के रायम गांव की राधा ठाकुर ने इस अवसर को और भी खास बना दिया है। ठाकुर सिक्की कला की उत्कृष्ट कलाकार और उनकी अनोखी और आकर्षक सिक्की राखियाँ प्रतिष्ठित हो चुकी हैं। उनकी कला न केवल क्षेत्रीय स्तर पर है, बल्कि राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय उद्यमों में भी उभरी है।
सिक्की कला: एक पारंपरिक कला का पुनरुद्धार
सिक्की कला, जिसे मध्य प्रदेश की पारंपरिक कला के रूप में जाना जाता है। यह कला मुख्यतः सिक्की घास के प्रयोग से तैयार की जाती है। इस कला में सिक्की घास को काटा जाता है और रंग-बिरंगे परिधानों पर सजावट की जाती है। राधा ठाकुर ने इस प्राचीन कला को राखियों के रूप में प्रस्तुत कर न केवल जीवित रखा है बल्कि उसे एक नया आयाम भी दिया है।
राधा ठाकुर की कला यात्रा
राधा ठाकुर की कला यात्रा एक प्रेरणा से भरी हुई है। वह और उनके 3-4 साथी मिलकर हर साल रक्षाबंधन के लिए लाखों की संख्या में सिक्की राखियां तैयार करते हैं। इस ग्रुप ने पारंपरिक डिजाइन से लेकर आधुनिक डिजाइन तक सभी की कला को एक नई दिशा दी है। इनका निर्माण राखियों की विविधता और मौलिकता से हुआ है, लेकिन इन्हें केवल अमूर्त में दर्शाया गया है, लेकिन किसी भी चित्रण से इन्हें चित्रित नहीं किया गया है।
सिक्की राखियों की विशेषता
राधा की सिक्की राखियों का वन्यजीव संग्रहालय और बेहतरीन गुणवत्ता वाला है। इन राखियों में रंग-बिरंगे और जटिल डिजाइन होते हैं जो हर एक राखियों को विस्थापित करते हैं। प्रत्येक कलाकृति में कलाकार की मेहनत और सृजनात्मकता की झलकियाँ होती हैं। इन राखियों को हाथों से बनाया जाता है, जिससे प्रत्येक टुकड़े में एक खट्टी कहानी और भावना प्रकट होती है।
अंतर्राष्ट्रीय सिद्धांत और सम्मान
राधा ठाकुर की कला को विभिन्न सम्मानों से नवाजा गया है। उनकी सिक्की राखियों की मांग इतनी अधिक हो गई है कि उन्हें न केवल भारत के अलग-अलग मॉडल से बल्कि पोस्टर से भी ज्यादा ऑर्डर दिए गए हैं। उनके काम ने उन्हें कला और संस्कृति के क्षेत्र में एक प्रतिष्ठित स्थान पर नियुक्त किया है। इस सफलता का श्रेय उनकी अत्यधिक मेहनत, पारंपरिक कौशल और आधुनिक दृष्टिकोण को दिया जाता है।
स्थानीय सहायता और कोचिंग प्रथम
राधा ठाकुर का यह काम केवल व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है बल्कि यह उनकी स्थानीय टीम और समुदाय के लिए भी एक प्रेरणा है। वह स्थानीय कलाकारों को अपने साथ लेकर उन्हें भी कला की शिक्षाओं में प्रशिक्षित करती है जिससे यह पारंपरिक कला जीवित रहती है और आगे बढ़ती है। इस प्रकार राधा ठाकुर ने न केवल अपनी कला को संजोया है बल्कि अपने गांव और समुदाय की आर्थिक स्थिति में भी सुधार किया है।
इस रक्षाबंधन जब आप अपने भाई या बहन के लिए एक खास राखी की तलाश में हों तो राधा ठाकुर की सिक्की राखियों को जरूर देखें। यह सिर्फ एक राखी नहीं, बल्कि एक कला, संस्कृति और परंपरा की चमकीली है। राधा ठाकुर की राखियों को खरीदकर आप न केवल एक अद्वितीय और राखी हासिल करेंगे बल्कि एक पारंपरिक कला को भी आधिकारिक बनाने में अपना योगदान देंगे।
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पहले प्रकाशित : 14 अगस्त, 2024, 19:50 IST