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हैदराबाद के न्यूरोसर्जन ने बिना खोपड़ी खोले आंख से निकाला ब्रेन ट्यूमर, हैरान कर देने वाली कहानी – News18 हिंदी

न्यूरोसर्जनों ने खोपड़ी खोले बिना ही ब्रेन ट्यूमर को हटा दिया: जब भी कोई डॉक्टर क‍िसी मरीज की जान बचाता है, तो वह जीवनदान देने वाले क‍िसी भगवान से कम नहीं होता. पर हैदराबाद के एआईजी अस्पतालों के न्यूरोसर्जिकल टीम के डॉक्‍टरों ने सच में एक चमत्‍कार ही कर द‍िया है. इस अस्‍पताल के डॉक्‍टरों ने 54 वर्षीय महिला के मस्तिष्क के एक क्र‍िट‍िकल ट्यूमर को बिना खोपड़ी में कोई कट लगाए या उसे खोले ही, न‍िकाल द‍िया है. इस प्रक्रिया को वैज्ञानिक रूप से “एंडोस्कोपिक लेटरल ट्रांसऑर्बिटल एप्रोच” के रूप में जाना जाता है. इस प्रक्र‍िया में डॉक्‍टरों ने न्यूरो-एंडोस्कोप का इस्‍तेमाल कर, आंख के चारों ओर एक छोटा मार्ग बनाकर मस्‍त‍िष्‍क के कुछ ह‍िस्‍सों तक पहुंचने का तरीका न‍िकाला है.

डॉक्टरों के अनुसार, 54 वर्षीय महिला मरीज ने पिछले छह महीनों से दाहिनी आंख में धुंधलापन और सिरदर्द की शिकायत की थी. इस मरीज की इस परेशानी का वायरल एन्सेफलाइटिस के रूप में इलाज किया गया था, लेकिन सुधार नहीं हुआ. जब उसकी स्थिति में सुधार नहीं हुआ, तो उसने एआईजी अस्पताल से संपर्क किया और जांच के दौरान पता चला कि वह स्फेनो-ऑर्बिटल कैवर्नस मेनिन्जियोमा (SOM) से पीड़ित थी. यह एक माइल्‍ड ट्यूमर है जो उन क्षेत्रों में बनता है जहां स्फेनॉइड हड्डी (जो खोपड़ी के आधार पर, आंखों के पीछे स्थित होती है), आंख का सॉकेट, और कैवर्नस साइनस (जो खोपड़ी के आधार पर एक बड़ा नस है) मिलते हैं.

एआईजी अस्पताल के सीनियर कंसल्टेंट न्यूरोसर्जन, डॉ. अभिराम चंद्र गब्बिता ने कहा, ‘हमारी न्यूरोसर्जिकल यूनिट और नेत्र रोग विशेषज्ञों की टीम के साथ कई चर्चाओं के बाद, हमें पता चला कि इस मरीज के इलाज में हम ये नई टेक्‍नोलॉजी इस्‍तेमाल कर सकते हैं. हम काफी संतुष्‍ट और खुश हैं कि हमने सफलतापूर्वक ऑपरेशन किया है और न्यूरोसर्जरी में एक नई मिसाल स्थापित की है.’

एआईजी अस्पताल के न्यूरोसर्जरी निदेशक डॉ. सुभोध राजू ने कहा, “एंडोस्कोपिक एप्रोच के जरिए हम एक छोटे से चीरे के माध्यम से ट्यूमर तक पहुंच सकते हैं. क्‍योंकि ऑपरेशन के दौरान मस्तिष्क को सीधे छुआ या दबाया नहीं जाता, इससे मस्तिष्क पर कोई शारीरिक प्रभाव नहीं पड़ता. इससे आसपास के ऊतकों पर कम आघात होता है और शीघ्र ठीक होने की प्रक्रिया होती है. मरीज ने अद्भुत सुधार दिखाया और प्रक्रिया के दूसरे दिन अस्पताल से छुट्टी मिल गई.’

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