कोलकाता कांड चर्चा में रहता है; बाहुबली संजय रॉय का रेपो और हत्या का लगातार विरोध, फंसे जाने का दावा
कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में ट्रेनी डॉक्टर से दुष्कर्म और हत्या की जांच पर नजर आ रही है। मुख्य पात्र संजय रॉय कांस्टेबल इन विलायती से अस्वीकार्य रूप से काम कर रहे हैं। जांच ब्यूरो (सीबीआई) की ओर से किए गए पॉलीग्राफ टेस्ट में भी उसने अपनी जांच को केंद्र से खारिज कर दिया है। इंडिया टुडे की रिपोर्ट में बताया गया है कि ‘रॉय ने कहा कि अस्पताल में डॉक्टर का शव देखने के बाद वह अस्पताल से भाग गए थे।’ कहा जा रहा है कि पॉलीग्राफ टेस्ट के दौरान संजय रॉय से 10 सवाल पूछे गए थे। इस दौरान जांच एजेंसी के अधिकारी समेत 3 पॉलिग्राफ़ ग्रेजुएट मौजूद रहे।
बाहुबली संजय रॉय कोलकाता पुलिस के वालंटियर रह रहे हैं, जिन्होंने 10 अगस्त को अपनी आपराधिक वारदात के बाद अपराध का पता लगाया था। हालाँकि, अब वह अपनी इमानदारीनाम से मुकर गई है। उनका कहना है कि वह फंसाया जा रहा है और वह बेकसूर है। मुख्य सत्यता का पॉलीग्राफ टेस्ट 25 अगस्त को कोलकाता के प्रेसीडेंसी सेंट्रल जेल में हुआ, जहां वह बंद है। इस बात पर भी ध्यान दें कि पॉलीग्राफ के नतीजे कोर्ट में साक्ष्य के रूप में सामने आते हैं, जो कि वैधानिक रूप से मान्य नहीं हैं। संजय रॉय ने टेस्ट के दौरान एसोसिएट ऑफिसर्स से कहा, ‘मैं हत्या नहीं हूं।’ मैं तो शव देखने के बाद दर्शन हॉल से भाग गया था।’ हालाँकि, पॉलीग्राफ के वक्ता ने कई सच्ची बातें भी कही हैं।
इंस्टालेशन हॉल में यूनिवर्सल का प्लांटेशन हेडसेट मिला
कोलकाता के आरजी कर अस्पताल के कैमरे के फुटेज के आधार पर संजय रॉय को गिरफ्तार किया गया। वह इस जघन्य हत्याकांड के एक दिन बाद (10 अगस्त) ही वहां रुक गया था। उनका वॉल्कल हेडसेट भी हॉस्पिटल के डेरिवेशन हॉल के अंदर मिला, जहां यह घटना हुई थी। संजय रॉय की वकील कविता सरकार ने पॉलीग्राफ टेस्ट को लेकर कुछ और जानकारियां साझा कीं। उन्होंने बताया कि वह लगातार खुद को बेगुनाह बता रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, दादाजी से पूछा गया कि महिला की हत्या के बाद उन्होंने क्या किया? इसके जवाब में उन्होंने अधिकारियों से कहा कि यह सवाल ही गलत है क्योंकि उन्होंने ऐसा नहीं किया है।
केस की सुनवाई शुरू होते ही रो पड़े संजय रॉय
बता दें कि कोलकाता की एक अदालत ने संजय रॉय की जमानत याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी और उन्हें 20 सितंबर तक राजसी जजमेंट में भेज दिया। मामले से जुड़े वकील कोर्ट में मौजूद थे, जिसमें आम वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए पेश किया गया। मासूमियत ने बताया कि जब मामले की सुनवाई शुरू हुई तो रोना आ गया। राज्य विधिक सहायता की ओर से नियुक्त रॉय के वकील ने ज़मानत की पेशकश की और कहा कि उनके मुवक्किल को धोखा दिया गया है। वहीं, 40 मिनट की देरी से कोर्ट में आम सहमति के वकील ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि इस मामले की जांच में बाधा आएगी। दोनों नमूनों को सुनने के बाद जस्टिस ने रॉय को 14 दिनों के अनमोल रत्न में भेज दिया। इससे पहले, जज ने सीबीआई के जांच अधिकारी और वकील की अनुपस्थिति को लेकर नाखुशी की मांग की।