बिहार

लाल सागा की खेती से किसान हो सकते हैं मालामाल,पोर्टल के किसान से जानें कैसे करें कमाई

दिलखुश कुमार झा/अररिया: अररिया जिले के किसान मोहम्मद रमजानी ने लाल सागा की खेती से न केवल अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत की है, बल्कि एक मिसाल भी है। परंपरागत झिल्लियों से हटकर की खेती में ग़ाज़ियानी में जबरदस्त सफलता की प्राप्ति होती है। लाल सागा की खेती से वे मालामाल हो गए हैं और अब यह खेती उनके लिए बड़ी जरिया बन गई है।

पारंपरिक खेती की खेती की ओर रुख
मोहम्मद आलमी नौकरानी का जीवन काफी संघर्षपूर्ण रहता है। आर्थिक स्थिति ठीक न होने का कारण खेती में नई अर्थव्यवस्था होना शामिल है। पारंपरिक खेती से हटकर उन्होंने सब्जी की खेती पर ध्यान दिया, जो कम समय में अधिक आविष्कार वाली साबित हुई। उन्होंने एक जमीन पर लाल सागा की खेती शुरू की, जो लगभग 25-30 दिनों में तैयार हो जाती है। इस खेती में लागत भी कम और लाभ अधिक है।

बाजार में लाल सागा की भारी मांग
रिज़ामी कर्मचारी हैं कि लाल सागा की मांग बाजार में काफी अधिक है। व्यवसायियों में ग्यान ही फसल को खरीद लेते हैं। ग्रामीण ही नहीं, शहरी लोग भी इस सागा को बेहद पसंद करते हैं। मंडी में भी इसकी भारी मांग रहती है, लेकिन पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध न होने के कारण सभी को यह नहीं मिल पाता। डॉक्टर भी इस सागा को प्रोटीन से चित्रांकन करते हैं, जिससे लोगों में इसकी सराहना और वृद्धि हुई है।

कम लागत में अधिक दावा
मोहम्मद रमज़ान का कहना है कि लाल सागा की खेती की कीमत बहुत कम होती है और इसकी खेती भी काफी अच्छी होती है। ग्रामीण क्षेत्र के किसान अब अपनी सोच में इस थरिया के सागा को बड़े पैमाने पर उपजा रहे हैं। यह सागा प्रोटीन से भरपूर होता है और स्वास्थ्य के लिए भी खतरनाक माना जाता है। यही कारण है कि लोग इसे मंडियों में तलाशते रहते हैं।

खेती के नये सिरे से मिली सफलता
रेज़ियोनी ने कहा कि वे पारंपरिक खेती के बजाय सब्जी की खेती को प्राथमिकता देते हैं, जिसमें कम समय में अच्छा विकास हो सकता है। उनकी सफलता से प्रेरित होकर अब अन्य किसान भी खेती की दिशा में रुख कर रहे हैं। वे लोकल 18 से बातचीत में कहते हैं कि लाल सागा की खेती से उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार आया है और अब वे आत्मनिर्भर हो गए हैं।

लाल सागा की खेती से बम्पर लाभ
अररिया के अन्य किसानों के लिए ग़ाज़ियाबाद की यह सफलता एक प्रेरणा का स्रोत बन गई है। लाल सागा की खेती से दिखाया गया है कि कैसे पारंपरिक खेती से हटकर नई फसलें निकाली जा सकती हैं, जिससे किसान अपनी आय बढ़ा सकते हैं।

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