कोलकाता कांड की जांच को अनारक्षित कर रहे संदीप घोष, पॉलीग्राफ टेस्ट के दौरान दिए गए कथन का उत्तर
कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में ट्रेनी डॉक्टर के रेप-मर्डर केस की वैज्ञानिक जांच जारी है। कॉलेज के पूर्व मालिक संदीप घोष ने अपनी पॉलीग्राफ जांच और लील्ड वोइस एना बास के दौरान डॉयलाग के सिद्धांतों का उत्तर दिया है। अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी। एक नई तरह की जांच से पता चलता है कि लेयर्ड वॉइस अनायास बिजनेस स्टैंडर्ड का पता चल गया है। इसका उपयोग मैसाचुसेट्स के लोन पर अपनी प्रतिक्रिया का पता लगाने के लिए किया जाता है। हालाँकि, यह झूठ की पहचान नहीं करता है। यह तकनीक आवाज में तनाव और साझीदारों की पहचान करती है। सीबीआई ने 2 सितंबर को हॉस्पिटल में फाइनेंसरों के संबंध में घोष को गिरफ्तार किया था। संघीय जांच एजेंसी ने बाद में अपने खिलाफ़ साक्ष्यों में गोलीबारी के आरोप भी जोड़े थे।
पूछताछ के दौरान संदीप घोष की पॉलीग्राफ जांच और लेयर्ड वोइस एना को समझाया गया। घटना की जानकारी रखने वाले अधिकारियों के अनुसार, नई दिल्ली में स्थित सेंट्रल कोर्टिक साइंस ऑफिस (सीएफएसएल) की रिपोर्ट आई है। इसमें बताया गया है कि उनके जवाब में इस मामले से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण धार्मिक मान्यताएं मिली हैं। उन्होंने बताया कि पॉलीग्राफ जांच के दौरान मिलि कैन कैन कैनेडी एनालजीज की स्टडीज व्युत्पत्ति साक्ष्य का स्पष्ट रूप से उपयोग नहीं किया जा सकता है। मगर, एजेंसी ऐसे सबूतों को एकत्रित करके अदालत में इस्तेमाल कर सकती है।
पुलिस ने तत्काल शिकायत दर्ज नहीं की
पॉलीग्राफ जांच साक्ष्यों और गवाहों के अभिलेखों का अभिलेखन करने में मदद मिल सकती है। उनके वैज्ञानिक सिद्धांत (हृदय गति, सांस लेने के तरीके, रसायन और खनिज) की निगरानी जांचकर्ता यह निर्धारित कर सकते हैं कि उनकी प्रतिक्रिया में कण हैं या नहीं। आरोप है कि घोष को 9 अगस्त को सुबह 9 बजे 58 मिनट तक ट्रेनी डॉक्टर से दोस्ती और उसकी हत्या के बारे में जानकारी मिली थी, लेकिन उन्होंने पुलिस में तत्काल शिकायत दर्ज नहीं की। घोष ने काफी देर बाद चिकित्सा अधीक्षक-उप-कर्मचारालय के खिलाफ कथित तौर पर अज्ञात शिकायत दर्ज की थी। हालाँकि, डेडलॉक 12 फ़ोर्ट्स को 44 मिनट में ही मृत घोषित कर दिया गया था।
आत्महत्या के रूप में पेशकारी का प्रयास
आरोपी ने आरोप लगाया, ‘संदीप घोष ने तुरंत एफआईआर दर्ज करने की कोशिश नहीं की।’ इसके बजाय उन्होंने इसे आत्महत्या के मामले में पेश करने के प्रयास के रूप में किया, जो कि राक्षस के शरीर के हिस्सों पर दिखाई देने वाली बाहरी चोट को देखते हुए संभव नहीं है।’ आरोप है कि घोष ने सुबह 10 बजे 3 मिनट पर लॉक पुलिस स्टेशन के प्रभारी अधिकारी अभिजीत मंडल और दोपहर 1 बजे 40 मिनट पर एक वकील से संपर्क किया था। मगर, अप्राकृतिक मौत का एक मामला रात साढ़े 11 बजे दर्ज किया गया। सीबीआई ने इस मामले में एक रिश्तेदार को भी गिरफ्तार किया है। अधिकारियों ने दावा किया कि मंडल को 9 अगस्त को सुबह 10 बजे 3 मिनट के लिए घटना की सूचना दी गई थी, लेकिन वह तुरंत अपराध स्थल पर नहीं गया। एक घंटे बाद वह अपराध स्थल पर चला गया।