अब मुंबई के सिद्धिविनायक मंदिर के गणेश मंदिर पर उठे सवाल, क्या है विवाद
इस मंदिर में हर रोज 50 हजार के करीब आय होती है। प्रसाद के एक पौधे में 50-50 ग्राम के दो लोध होते हैं. त्योहारों के समय प्रसाद की मांग बढ़ती है। लैब टेस्ट रिपोर्ट के मुताबिक, इन बच्चों को सात-आठ दिन तक सुरक्षित रखा जा सकता है।
आंध्र प्रदेश में स्थित बालाजी मंदिर में स्थित बालाजी मंदिर के बालकों में पशु चर्बी के मिलन और आबादी की आस्था को लेकर विवाद के बाद अब मुंबई में स्थित प्रसिद्ध सिद्धिविनायक मंदिर के बालकों की पत्रिका पर भी सवाल उठे हैं। सिद्धिविनायक मंदिर के प्रसाद में चहेते के बच्चे मिलते हैं। इसके बाद ये सवाल सामने आए हैं कि प्रसाद साफा-सुथरे साइट पर नहीं रखे जा रहे हैं और वह कलाकार हैं। ये आरोप एक वीडियो के आधार पर लगाए जा रहे हैं, जिसमें सिद्धिविनायक मंदिर के ट्रस्टों की ओर से आश्रम को बाँटे जाने वाले ‘महाप्रसाद लोध’ के पोषक तत्वों में बच्चे मिले हैं।
एनडीटीवी की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि स्टूडियो में प्रसाद के पैक्ट्स में चूहे दिख रहे हैं। इस आरोप पर सिद्धिविनायक मंदिर के ट्रस्टों की सचिव वीणा पाटिल ने यह आपत्तिजनक टिप्पणी की है, जो कि सिद्धविनायक मंदिर के ट्रस्टों के अंदर हैं। हालाँकि उन्होंने कहा है कि उन्होंने वीडियो फुटेज की जांच की थी।
बता दें कि इस मंदिर में हर रोज 50 हजार के करीब लोग बनते हैं। प्रसाद के एक पौधे में 50-50 ग्राम के दो लोध होते हैं. त्योहारों के समय प्रसाद की मांग बढ़ती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि आस्था के बीच प्रसाद वितरण से पहले खाद्य और सामान विभाग के अधिकारी लोध में इस्तेमाल की जाने वाली वस्तुओं की नियमित जांच करते हैं और उन्हें सर्टी की सलाह देते हैं।
लैब परीक्षण की रिपोर्ट के अनुसार, इन बालकों को सात-आठ दिन तक सुरक्षित रखा जा सकता है, वे बुरे नहीं होते लेकिन बालकों में चूहे के बच्चे की सामने आने वाली तस्वीरें सामने आती हैं – मंदिर के अंदर का साफ-सफाई और प्रसाद की मूर्ति को लेकर बड़े सवाल हो रहे हैं।
तीर्थनगरी, बालाजी मंदिर में स्थित पशु चर्बी के मामले में केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार मंत्रालय ने तिरुमला स्थित बालाजी मंदिर में लोधी प्रसादम के लिए घी की आपूर्ति करने वाली एक कंपनी को ‘कारण’ कल्याण अधिसूचना जारी की है। गोदाम के अनुसार मंत्रालय ने मंदिर में घी की आपूर्ति करने वाली चार कंपनियों के उत्पादों की मांगें कीं और उनका परीक्षण किया गया। इनमें से किसी भी कंपनी के उत्पाद का मानक मानक नहीं पाया गया है।