खाना कम खाने से वाकई बढ़ती है उम्र, क्या कहती है साइंस?
भारत में प्राचीन काल से ये कहावत है कि ज्यादा खाने से उम्र घटती है. साइंस मानती है कि लंबा जीवन जीने के लिए खाने को नियंत्रित करना बेहद जरूरी है.
लंबी आयु का रहस्य क्या है: अक्सर जब कोई मरते-मरते बच जाता है या अंतिम सांसें गिन रहा होता है लेकिन प्राण नहीं छूट पाते तो बड़े-बूढ़ों को आपने ये कहते सुना होगा कि भगवान ने हर व्यक्ति को इस दुनिया में उसका दाना-पानी निश्चित करके भेजा है, अभी इसका अन्न-पानी बाकी है. वहीं कई बार बच्चों और युवाओं को टोकते हुए भी सुना होगा कि कम-कम खाना खाया करो, ज्यादा जीओगे, उम्र लंबी होगी? ज्यादा खाना खाने से उम्र घटती है. कभी आपने सोचा है कि क्या वास्तव में खाना कम खाने से उम्र बढ़ती है? बुजुर्गों की ये बातें खामखां हैं या आधुनिक विज्ञान भी इस पर कुछ कहता है, आइए जानते हैं..
देखा जाए तो जब से इंसानियत शुरू हुई, तभी से इंसान ने अपनी उम्र बढ़ाने, चिरंजीवी रहने और अपनी सेहत बढ़ाने की खोज की है. ये किस्सा समुद्र मंथन से ही शुरू होता है, जब देवताओं और असुरों ने अमृत को हथियाने की कोशिश की थी. ताकि वे अमर हो सकें और हमेशा जीवित रह सकें. हमारे प्राचीन इतिहास में 7-8 चिरंजीवियों की भी बात की जाती है. ये ऐसे मनुष्य हैं जो अभी तक जिंदा हैं.
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ज्यादा खाना खाने से उम्र घटती है.
आयुर्वेद में भी इस पर बहुत जोर दिया जाता है कि हम स्वस्थ, तंदुरुस्त और जवान कैसे रहें और बुढ़ापे से कैसे बचें? बाकी देशों के ग्रंथों में भी लंबी उम्र पाने का जिक्र किया जाता है. सबसे पुरानी किताब कही जाने वाली मेसोपोटामिया के समय की किताब द एपिक ऑफ गिल्गामेश ये आज के इराक या पुराने सुमेरिया में लिखी गई किताब है. इसमें गिल्गामेश राजा ऐसे पौधे की खोज में निकलते हैं, जिससे व्यक्ति मृत्यु पर विजय प्राप्त कर ले. बाइबिल में भी लिखा हुआ है कि लोग पहले 100-200 साल तक जीते थे.
मॉडर्न साइंस ने किए हैं कई रिसर्च
एसोसिएशन ऑफ लॉन्गेविटी एंड एंटी एजिंग मेडिसिन के प्रेसिडेंट और करनाल स्थित भारती अस्पताल के जाने-माने एंडोक्राइनोलॉजिस्ट डॉ. संजय कालरा कहते हैं कि मॉडर्न साइंस में आधुनिक डॉक्टरों ने भी इस पर काम करने की कोशिश की है और ये देखा गया है कि अगर हम कैलोरी रिस्ट्रिक्शन करते हैं तो हमारी उम्र बढ़ती है. ज्यादातर लोग कैलोरी रिस्ट्रिक्शन का मतलब समझते हैं भूखे रहना, कमजोर रहना और कुपोषित रहना. जबकि ऐसा नहीं है. कई रिसर्च में कीड़े-मकोड़ों, छोटे जानवरों और बंदरों में पाया गया कि अगर वे अपने फूड इंटेक यानि भोजन ग्रहण करने की क्षमता को 80 फीसदी कर लें तो ये ज्यादा दिनों तक जीते हैं. ये भी ख्याल रखें कि कुपोषित न हो जाएं, भोजन संतुलित रहे.
ब्लू जोन में ज्यादा जीते हैं लोग
ये सब स्टडीज जानवरों में ही हुई हैं लेकिन मनुष्य में भी पाया गया है कि पूरी दुनिया में पांच इलाके हैं, इनका नाम है ब्लू जोन (Blue Zones). ये पांच देशों में मौजूद जगहें हैं. इनमें एक जापान में ओकिनावा, ग्रीस में इकारिया, अमेरिका में लोमा लिंडा, इटली में सर्डीनिया और कोस्टा रिका में निकोया है. वहां ये देखा गया है कि यहां लोग लंबी उम्र (Longevity) जीते हैं. इन ब्लू जोन्स में रहने वाले लोगों का 80 फीसदी फूड का नियम है. ये कहते हैं कि सिर्फ तब तक खाइए जब तक आप 80 फीसदी फुल नहीं हो जाते. यानि 20 फीसदी छोड़ दें. यही इनकी लंबी उम्र का राज है.
कैलोरी रिस्ट्रिक्शन से क्यों बढ़ती है उम्र?
जब इस पर पता करने की कोशिश की गई कि कैलोरी रिस्ट्रिक्शन से उम्र क्यों बढ़ती है? तो ये देखा गया कि हमारे शरीर में खूब सारे ऑर्गन्स हैं, इनमें अलग-अलग सेल्स हैं, हर कोशिका के भी अलग-अलग हिस्से हैं और कोशिका के इन हिस्सों का जो पॉवर हाउस है, उसे माइट्रोकॉन्ड्रियम कहा जाता है. इसमें एक एंजाइम होता है, जिसका नाम है एएमपी काइनेज. जब हम कम खाना खाते हैं तो एएमपी काइनेज एक्टिव होता है, ज्यादा चुस्त हो जाता है. अगर हमारी कोशिका का पॉवरहाउस या बैटरी ज्यादा चुस्त हो जाएगी तो ऑटोमेटिकली हमारा पूरा शरीर ज्यादा चुस्त, तंदुरुस्त और प्रभावशाली हो जाएगा. इससे उम्र की लंबाई भी बढ़ेगी.
लोगों के लिए मुश्किल है ये काम
स्विगी जोमेटो के दौर में खाना कम करना लोगों के लिए मुश्किल होता जा रहा है.
आजकल की दुनिया में खाना अनलिमिटेड उपलब्ध है. इसलिए लोगों के लिए बहुत मुश्किल होता है कैलोरी रिस्ट्रिक्शन करना. डॉक्टर सलाह देते हैं कम खाएं लेकिन लोग ऐसा कर नहीं पाते. ऐसे में जरूरी है कि लोग खुद को ट्रेन्ड करें और खुद को कम खाना खाने के प्रति रेगुलेट करें.
ढूंढी जा रही हैं दवाएं
दूसरा विकल्प ये भी है कि अब दवाइयां ढूंढी जा रही हैं जो कैलोरी रिस्ट्रिक्शन करती हैं और ये एएमपी काइनेज को एक्टिवेट करती हैं. ऐसे ही कुछ उदाहरण हैं डायबिटीज की दवा जैसे मेटफॉर्मिन. ऐसी ही कुछ और दवाएं हैं, एसजीएलटी-2 इनहेबिटर्स ये भी डायबिटीज की दवा है. तीसरी है जीएलपी-1आरए. ये डायबिटीज और मोटापे दोनों को कम करने की दवा है. देखा गया है कि इन दवाओं से भी एएमपी काइनेज एक्टिवेट होता है.
दवा लेते समय रखें ध्यान
भले ही दवाओं के बारे में आपको जानकारी है लेकिन हमेशा ध्यान रखें कि इन दवाओं का इस्तेमाल तभी करें जबकि ये आपको डायबिटीज या मोटापे के लिए प्रेस्क्राइब की गई हों. इन्हें डॉक्टर की सलाह के बिना बिल्कुल न लें क्योंकि इनके लिए मॉनिटरिंग भी चाहिए. लाइफस्टाइल हेल्दी रखें.
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पहले प्रकाशित : 24 सितंबर, 2024, 4:50 अपराह्न IST