क्राइम

जब लाहौर में भूमि हुई भारत की ‘गंगा’, पाक सेना के बेड़े पर प्लेन में लगी आग, तैरे 29 यात्री!

विमान अपहरण कहानी श्रृंखला: उस दिन ‘गंगा’ को सचिवालय से उड़ान भरने के लिए जम्मू भेजा गया था। तय समय पर फ़्लाइट फ़्लैग एयरपोर्ट से टेक ऑफ़ हुई और कुछ ही मिनटों के बाद जम्मू एयरपोर्ट पर लैंड वाली थी। फ़्लाइट लैंड होता है, इससे पहले हाशिम शहीद और अशरफ शहीद ने गंगा को अपने आस्तिक में ले लिया और अपने साथ लाहौर ले गए। लाहौर हवाई अड्डे पर भूमि होती ही नहीं केवल भारत, बल्कि बस्ती की सुरक्षा सक्रियण हो गयी। गंगा के लाहौर हवाईअड्डा पहुंच की खबर के साथ विदेश मंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो भी हवाईअड्डा पहुंच गए।

इसके बाद, फार्मासिस्टी विदेश मंत्री जुल्फिकार अली, फार्मासिस्टी सिक्योमोरिटिटी एजेंसी और साइंटिस्ट के बीच लांग कानाफूसी को छोड़ दिया गया। इस कानाफूसी का नतीजा यह निकला कि करीब 80 घंटे पहले जद्दोजहद कर रही गंगा को आग के हवाले कर दिया गया। देखते ही देखते आग की लपटों में ग्राही गंगा लाहौर एयरपोर्ट पर राख में बदल कर रह गए। दरअसल, यहां जिस गंगा की हो रही है, वह इंडियन एयरलाइंस की बात उस समय का सबसे पुराना फ़ोर्कर F27 एयरक्राफ्ट था, जिसे सभी ‘गंगा’ के नाम से बुलाते थे। इस गंगा एयरक्राफ्ट को जम्मू के बीच दो हाईजैकर्स ने हाईजैक कर लिया था।

‘गंगा’ के हाईजैक की कहानी में रची गई
असल, आज से करीब 53 साल पहले गुलामी संगठन नेशनल लिबरेशन फ्रंट के मकबूल भट्ट ने कशमीर के मुद्दे को दुनिया की नजर में आने के मस्कद से भारतीय एयरलाइंस के खिलाड़ियों को हाईजैक करने की साजिश रची थी। इस स्टूडियो को अंतिम रूप देने के लिए मकबूल भट्ट ने हाशिम के प्रतिष्ठित कलाकारों को चुना था। मकबूल भट्ट ने सबसे पहले हाशिम शहीद रावलपिंडी में गोरिल्ला वॉर में पढ़ाई की थी। इसके बाद, विदेशी वायु सेना के पायलट जमशेद मंटो ने उन्हें हाईजैक को लेकर स्किल पर ट्रेंड किया। आतंकवादियों की कोशिश के दौरान हाशिम मस्जिद भारतीय सुरक्षा मस्जिद की पकड़ में आ गया।

पूछताछ के दौरान, हाशिम को इस बात पर यकीन हो गया कि वह कशमीर से एक्टिव नेशनल लिबरेशन फ्रंट के आंतकियों और उनके गुप्तचर की जानकारी भारतीय सुरक्षा की जानकारी तक पहुंचाने की बात कर रहे हैं। यही शर्त उसे रिक्शा पर कर दिया गया। रिक्शा होने के बाद हाशिम ने एक बार फिर इंडियन एयरलाइंस के प्लेन को हाईजैक करने की योजना का अंजाम दिया। इस वसीयत को अंजाम देने के लिए हाशिम ने अपने चचेरे भाई अशरफ शहादत को भी शामिल किया। शुरूआत के तहत हाशिम अपने चचेरे भाई अशरफ के साथ मिलकर इंडियन एयरलाइंस के विमान गंगा को हाईजैक कर लाहौर ले गए थे।

भुट्टो की नजर के नीचे हुई हाईजैकर्स से बातचीत शुरू हुई
योजना के तहत, 30 जनवरी 1971 को हामिश और अशरफ विस्फोट लेकर श्रीनगर हवाईअड्डे से जम्मू के लिए उड़ान भरने की तैयारी के लिए इंडियन एयरलाइंस के विमान गंगा में उड़ान भरने के लिए तैयार हो गए। प्लेलेन के टेकऑफ होने के कुछ देर बाद हाशिम कॉकपिट में हार गए। उन्होंने कैपटन को धमकाते ही प्लैन को लाहौर ले जाने के कहा। ऐसा नहीं करने पर उसने प्लास्टिक को विस्फ़ोट कर उड़ान देने की धमकी दी। कैप प्लेन ने प्लेन का रुख करके लाहौर की ओर रुख किया और प्लेन हाईजैक होने की सूचना भारतीय एयर क्रूज़ कंट्रोलर को भेजी दी। उपयोग के कुछ ही मिनट बाद प्लायन लाहौर हवाईअड्डे के ऊपर ट्रक लगा।

लाहौर हवाईअड्डे के एटीसी से उड़ान भरने के बाद लाहौर हवाईअड्डे पर उड़ान भरी गई। वहीं, इंडियन एयरलाइंस के प्लायन गंगा के लाहौर पहुंच की जानकारी से पता चलता है कि विदेश मंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो भी एयरपोर्ट पहुंच गए हैं। व्यापारी मंत्री की नज़र के नीचे प्लेलेन हाईजैकर्स और नौकरानी हितग्राही एजेंसी के बीच बातचीत शुरू हुई। बातचीत में हाईजैकर्स ने भारतीय जेलों में बंद नेशनल लिबरेशन फ्रंट के 36 कक्षाओं को छूट की मांग रख दी। वहीं भारतीय एजेंसी ने किसी भी तरह की मांग पूरी करने के लिए पहले यात्रियों और क्रू को प्रस्थान की शर्त रखी दी।

भारतीय एजेंसी के ट्रैप में धूमकेतु हाईजैकर्स, और फिर…
उस समय हाईजैकर्स को लगा कि भारतीय प्लेन अपने डीजे में हैं, तो इम्पैक्ट कैब्स पैसेंजर्स को निकाला जा सकता है। प्लायन को नाटकीय रूप से दिए गए हाईजैकर्स ने सभी 29 यात्रियों और 3 क्रूज़ को रिहा कर दिया। इन यात्रियों और क्रूज़र्स को अटारी सीमा के रास्ते भारत भेजा गया। वहीं यात्रियों ने क्रूज़ के अमृतसर में ही भारतीय धर्मशाला ने हाईजैकर्स की मांग से इनकार कर दिया। यह पता चलता है हाईजैकर्स में शामिल साकीमोरियोरिटी एजेंसीज बाउखला। डच इंडियन एयरलाइंस के विमान की उड़ान का काम शुरू हो गया और एयरक्राफ्ट में मौजूद एयरलाइंस और डाक को अपने बैग में ले लिया।

इसके बाद, सियाली सेना की सलाह पर हाईजैकर्स ने इंडियन एयरलाइंस के प्लैन गंगा को आग के घाट कर दिया। बाद में, भारतीय दबाव की जेल में बंद हाशिम शहीद और उनके चचेरे भाई अशरफ शहीद सहित कुल सात लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया। मामले की जांच के लिए यूरोपियन नूरुल आरिफीन की अध्यक्षता वाली एक वैज्ञानिक जांच समिति का गठन किया गया। इस जांच समिति ने हाशिम शहीद को छुट्टी की जानकारी सभी को दी। वहीं, हाशिम शहीद को सिर्फ 15 माह की सजा दी गई। बाद में मुझे इस सजा से भी मना कर दिया गया.

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