हैल्थ

धोखा: आप भी खरीद रहे चाइनीज लहसुन, कैसे करें देसी गार्लिक की पहचान, एक्‍सपर्ट ने बताए 5 टिप्‍स

चीनी लहसुन: आपको शायद पता हो या न हो लेकिन भारत में साल 2014 से ही प्रतिबंधित किया गया चाइनीज लहसुन एक बार फिर मार्केट में धोखे से बेचा जा रहा है. जिस लहसुन को देसी समझकर आप अपने घर ले जा रहे हैं और दाल-सब्‍जी में तड़का मारकर खा रहे हैं, वह सिंथेटिक रूप से खतरनाक कैमिकल्‍स से बना फंगस वाला चाइनीज लहसुन हो सकता है. चाइनीज लहसुन को लेकर यूपी के एक शख्‍स ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका भी दाखिल कर दी है और लोगों की सेहत के साथ हो रहे खिलबाड़ का मामला कोर्ट के सामने रखा है. आज उस पर सुनवाई होनी है.

आपको बता दें कि यूपी, गुजरात के कई हिस्‍सों में मिले चाइनीज लहसुन को जब्‍त भी किया जा चुका है और बाकी मंड‍ियों में इस लहसुन की तलाश की जा रही है. हालांकि ज्‍यादातर छोटी मंडियों और बाजारों में पहुंच चुके इस जहर जैसे चाइनीज लहसुन को खरीदने से पहले अगर आप एक्‍सपर्ट के बताए इन 5 टिप्‍स को अपना लेंगे तो इस धोखे का शिकार नहीं बनेंगे और देसी लहसुन खरीदकर लाएंगे.

ये भी पढ़ें

काली या पीली, कौन सी किशमिश है सुपरफूड, जहर को निकाल फेंकती है बाहर, पता है किससे बनती हैं?

आजादपुर मंडी में लहसुन के थोक आढ़ती सुशील कुमार गर्ग News18hindi से बातचीत में कहते हैं कि सिर्फ यूपी में ही नहीं देश के अन्‍य राज्‍यों की मंडियों में भी चाइनीज लहसुन धड़ल्‍ले से बिक रहा है. इसकी बिक्री के पीछे असल वजह ये है कि खरीदने वाले लोग देसी लहसुन और इसमें अंतर ही नहीं कर पाते. जबकि इनमें स्‍पष्‍ट अंतर है.

. साइज में अंतर
गर्ग कहते हैं कि जब भी मंडी से लहसुन खरीदें तो ध्‍यान रखें कि लहसुन की गांठ का साइज छोटा हो, क्‍योंकि देसी लहसुन, चाइनीज गार्लिक के मुकाबले कुछ छोटा होता है.

. बढ़िया तुरी
जहां देसी लहसुन की कलियां या तुरी बारीक और पतली होती हैं वहीं चाइनीज लहसुन की कलियां खिली हुईं और मोटी होती हैं.

. रंग में अंतर
चाइनीज लहसुन चूंकि कैमिकल्‍स के इस्‍तेमाल से बनता है, इसमें सिंथेटिक प्रोसेस का इस्‍तेमाल होता है, ऐसे में यह एकदम सफेद, साफ और चमकदार होता है. जबकि देसी लहसुन कुछ क्रीम या पीलापन लिए हुए सफेद लहसुन होता है.

. खुशबू में अंतर
जब भी आप लहसुन खरीदें तो गांठ की एक कली को तोड़कर सूंघें, देसी लहसुन की गंध तेज और तीखी होती है, जबकि चाइनीज लहसुन में इतनी तेज गंध नहीं आएगी.

. छीलने में आसान
चाइनीज लहसुन छीलने में आसान होता है, इसलिए महिलाएं अक्‍सर मंडियों से इसे ही खरीदती हैं, जबकि देसी लहसुन को इसकी बारीक और पतली कलियों के चलते छीलना थोड़ा मुश्किल होता है.

चाइनीज लहसुन क्‍यों खराब
चीन लहसुन का उत्‍पादन बड़े पैमाने पर करता है. यहां लहसुन को उगाने और सहेजने सिंथेटिक पदार्थों का प्रयोग किया जाता है जो सेहत के लिहाज से खतरनाक है. यही वजह है कि भारत में चीनी लहसुन साल 2014 से ही बैन है. इस लहसुन को खाने से पेट की बीमारियां जैसे अल्‍सर, इन्‍फेक्‍शन आदि होने का खतरा रहता है. साथ ही किडनी पर भी यह लहसुन बुरा असर डालता है.

हिमाचल से भी आ रहा चाइनीज जैसा लहसुन
सुशील गर्ग कहते हैं कि लहसुन भारत में कई जगहों से आता है जैसे कोटा-राजस्‍थान, पंजाब, हरियाणा, मध्‍य प्रदेश और हिमाचल प्रदेश आदि. हिमाचल प्रदेश से जो लहसुन आता है वह भी कुछ कुछ चाइनीज लहसुन जैसा लगता है लेकिन फिर भी दोनों को हाथ में लेने पर अंतर स्‍पष्‍ट नजर आ सकता है.

दिल्‍ली में भी चाइनीज लहसुन?
गर्ग कहते हैं कि आजादपुर मंडी के अंदर तो चाइनीज लहसुन नहीं है लेकिन सुनने में आया है कि बाहर लोगों ने चोरी छिपे कुछ गोदाम खोल रखे हैं जहां चाइनीज लहसुन इंपोर्ट कर स्‍टॉक किया हुआ है. यहां से रिटेलर इस लहसुन को खरीदकर रिटेल बाजार में बेच रहे हैं.
बता दें कि दिल्‍ली आजादपुर मंडी में लहसुन का थोक रेट 150-240 रुपये प्रति किलोग्राम तक चल रहा है जो रिटेल बाजार में जाकर महंगा बिक रहा है.

ये भी पढ़ें

मोबाइल फोन की लत में फंस गया है बच्‍चा? डॉ. ने बताए 5 आसान टिप्‍स, खुशी-खुशी खुद छोड़ देगा देखना

टैग: इलाहबाद उच्च न्यायालय, स्वास्थ्य समाचार, लखनऊ समाचार, सब्जी मंडी

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *