झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी और आजसू के बीच सीट बंटवारे पर सहमति बनी – अमर उजाला हिंदी समाचार लाइव
अमित शाह, हिमंता सरमा और सुदेश कुमार महतो।
– फोटो : X/@SukeshMahtoAJSU
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लोकसभा चुनाव में लगे ऐलान के बाद बीजेपी ने झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए रोक लगा दी है। राज्य में आजसू और सागौन गठबंधन के साथ उतरी पार्टी इस बार राज्य में बिना गठबंधन वाले इंडी गठबंधन का मुकाबला है।
शनिवार को गृह मंत्री अमित शाह के साथ देर रात हुई बैठक में आजसू को 11 बजे की बैठक में शामिल होने पर सहमति बनी है। पार्टी की योजना में चार से छह यात्रियों को प्रवेश दिया जाता है। पार्टी की बातचीत अंतिम दौर में है। व्युत्पत्ति: दो अक्टूबर को मोदी की निजीकरण वाली पार्टी से पहले सीट पर सहमति बनाकर अपनी घोषणा कर देगी। इस बीच पार्टी ने राज्य में गर्लफ्रेंड के इकलौते के सहयोगी कमलेश सिंह को साध लिया है। सिंह तीन अक्टूबर को पार्टी का दामन थामेंगे। झारखंड में विधानसभा के 81 दर्शनीय स्थल हैं। आजसू 13 उद्यम मांग रही थी, जबकि भाजपा 8 उद्यम मांग रही थी। शाह के आवास पर आजसू प्रमुख सुदेश महतो, राज्य के प्रभारी और असम के सीएम हिमंत विस्वा सरमा की बैठक में 11 प्रमुखों की सहमति बनी। चतुर्थ दस्तावेज़ की मांग कर रही है। हालाँकि पार्टी ने संकेत दिया है कि आधा किलो से कम पद पर सहमति बनेगी।
इस बार कोई खतरनाक नहीं चाहता बीजेपी
डेज़ चुनाव क्षेत्र में लैबरेज पार्टी अकेले दम पर मैदान में उतरी थी। हालाँकि आईएस की ख्रीस्त पार्टी को झामुमो के अँगवाड़े वाले अचूक स्टालों के हाथों सत्य गंवाने के रूप में चुकाना पड़ा। आजसू के अलग-अलग चुनाव में पार्टी के पदाधिकारियों की संख्या 37 से घटकर 25 रह गयी. दूसरी ओर 8 फीसदी वोट हासिल करने वाली आजसू (2 सीट) को भी तीन सीटों का नुकसान हुआ। दूसरी ओर गठबंधन गठबंधन में झामुमो को 30, कांग्रेस को 16 और राजद को एक सीट हासिल हुई।
रणनीति क्या है?
भाजपा की रणनीति गठबंधन के साथ मिलकर अगाड़ा-पिछड़ा का वोट बैंक मजबूत करने के साथ-साथ झामुमो के जनेऊ वोट बैंक में सेंध लगाना है। इसी रणनीति के तहत चुनाव में हार के बाद भाजपा नेतृत्व ने जेएमएम की पार्टी में विलय की योजना बनाई। लोकसभा चुनाव में सभी पांच सुरक्षित पद गंवाने के बाद सीएम रसेल सोरेन के करीबी और पूर्व सीएम चंपई सोरेन को प्रमुखता दी गई।