अब स्कूल जाने से पहले बच्चे सीखेंगे मुंह की देखभाल के गुर – अमर उजाला हिंदी समाचार लाइव
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स्कूल जाने से पहले बच्चे के मुँह की देखभाल के गुर सीखेंगे। इसके लिए राष्ट्रीय स्तर पर नीति का निर्माण किया जाएगा। इस नीति को बनाने के लिए एम्स के दंत चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र (सीडियार) ने केंद्र सरकार को एक प्रस्ताव दिया है।
बिहार, रविवार को एम्स में ओरल हेल्थ इन इंडिया कॉन्फ्रेंस का आयोजन हुआ। इसमें दंत विशेषज्ञ के अलावा स्वास्थ्य विभाग के विशेष सचिव, नीति आयोग के सदस्य समेत अन्य शामिल हुए। कॉन्फ्रेंस में 0 से 5 साल तक के बच्चों के लिए ओरल हेल्थ के लिए कॉन्फ्रेंस करने का प्रस्ताव तैयार हुआ।
सीडीएआर के प्रमुख डॉ. ऋतु दुग्गल ने कहा कि प्रस्ताव में स्त्री एवं प्रसूति रोग एवं बाल रोग विभाग के वकील भी शामिल हैं। गर्भावस्था के दौरान गायनी के डॉक्टर व जन्म के बाद बाल रोग विभाग के डॉक्टर मुंह से संबंधित रोग के बारे में परामर्श देंगे। साथ ही सिंटेक्स किस्से कैसे देखे जा सकते हैं। बचपन से ही आदत के बाद भविष्य में लक्ष्य कम होना जरूरी है।
व्यवसाय हुआ ख़राब
डॉ. विजय प्रकाश मथूर ने कहा कि बच्चों के अनुपात में बदलाव से मुंह से जुड़ी बीमारियां बढ़ रही हैं। बच्चों के लिए वर्जित युक्त भोजन की जगह पर रेस्तरां वाले भोजन की तलाश की जाती है। यह मुंह से संबंधित रोग को पुनः प्राप्त करता है। पिछले कुछ पुराने दिनों में तेजी से बच्चों में समस्या अच्छी है। इसके अलावा ब्रूस करने का समय, स्वाद और अन्य लक्षणों से बच्चों में समस्या का समाधान होता है।
बढ़ रहे हैं मुंह से जुड़े रोग
देश में मुंह से जुड़े रोग तेजी से बढ़ रहे हैं। सम्मेलन में डॉ. ने बताया कि मुंह का कैंसर, दांत का टेढ़ा-मेढ़ा होना, दांत टूटना, मसूड़ों में परेशानी, बुजुर्ग अवस्था में दांत न होना सहित अन्य रोग हर उम्र के मरीज में बढ़ते हैं। अचूक इलाज के लिए सुविधाओं का विस्तार किया गया है।
रिसर्च को दिया गया बढ़ावा
डॉ. रितु दुग्गल ने कहा कि कॉन्फ्रेंस में रिसर्च को बढ़ावा देने का फैसला लिया गया है। रोग के इलाज में मदद के लिए बेहतर विकल्प के साथ-साथ स्वदेशी गुणों को विकसित करने पर ध्यान दिया जाएगा। साथ ही निर्णय लिया गया कि रोगी के इलाज से अधिक रोग की रोकथाम पर विशेष ध्यान दिया जाये।
देश भर में होगा सर्वे
मुंह से संबंधित रोग का पता लगाने के लिए पत्रिका में सर्वेक्षण किया जा रहा है। सीडीएआर देश के पूरे राज्य, मेट्रोपॉलिटन शहर और केंद्र का उपयोग घर-घर में 10 लाख से अधिक लोगों की जांच में शामिल हुआ। जांच के दौरान हर उम्र के लोगों में मुंह का कैंसर, दांतों में टेढ़ा-मेढ़ा होना, दांत का टूटना, दांत में कीड़े लगना समेत मुंह के अन्य रोग देखे जाएंगे। सर्वे करीब एक साल बाद। सर्वेक्षण के बाद एक दस्तावेजी दस्तावेज तैयार करने के लिए रणनीति बनाई जाएगी। इससे पहले साल 2014 में ऐसा ही सर्वे किया गया था, हालांकि सर्वे में उसका आकार छोटा आ रहा था।
गाँव-गाँव तक मोबाइल वैन
मोबाइल वैन गांव-गांव तक का पता लगाने के लिए मुंह से संबंधित रोग का पता लगाएं। देश के अभी कुछ राज्यों में डेंटल सुविधा के साथ मोबाइल वैन उपलब्ध है। नीति आयोग के सदस्य वीके पॉल ने समर्थकों को हर गांव तक मोबाइल वैन की सुविधा के लिए नीति बनाने की सलाह दी है। इस वैन में मुंह की जांच के साथ प्राथमिक उपचार की सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं।