महाराष्ट्र

मां की हत्या कर बेटे को खा गया अंग-अंग, HC ने नहीं की रहम; कहा- ये नरभक्षण केस, सज़ा-ए-मौत

न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति पृथ्वी चव्हाण की खंडपीठ ने निर्णय लिया कि यह मामला ‘दुर्लभतम में से दुर्लभतम’ है, जिसमें सुधार की कोई संभावना नहीं है। इसलिए उसकी मृत्यु की सज़ा कम नहीं हो सकती।

प्रमोद प्रवीण लाइव हिंदुस्तानमुंबईमंगलवार, 1 अक्टूबर 2024 10:52 पूर्वाह्न
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बॉम्बे हाई कोर्ट ने अपनी ही मां की हत्या के मामले में एक अपराधी को मौत की सजा देते हुए कहा कि यह नरभक्षण का मामला है। सुनील कुचकोरवी के नाम के अपराधी को कोल्हापुर की जिला अदालत ने 2017 में मां की जघन्य हत्या और उसके सहयोगियों पर कथित तौर पर आरोप लगाया था कि उसे मौत की सजा दी गई थी और कहा गया था कि यह नरभक्षण का मामला है। इस सजा के खिलाफ कुचकोरवी ने उच्च न्यायालय में अपील की थी।

न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति पृथ्वी चव्हाण की खंडपीठ ने निर्णय लिया कि यह मामला ‘दुर्लभतम में से दुर्लभतम’ है, जिसमें सुधार की कोई संभावना नहीं है। इसलिए उसकी मृत्यु की सज़ा कम नहीं हो सकती।

अदालती कार्यवाही के दौरान सात साल पहले हुई अपराध की घटना की कहानी भी कोर्ट रूम में सुनाई गई थी, जिसमें बताया गया था कि कुचकोरवी ने न केवल अपनी 63 साल की मां यल्लामा रामा कुचकोरवी की हत्या की, बल्कि वह मां की मौत के टुकड़े-टुकड़े किए थे कर विवरण और उसके मस्तिष्क, हृदय, यकृत, गुर्दे और खण्डों सहित कई अंगों को पकाकर खाया गया था। कथित तौर पर फिल्म को तब पकड़ा गया था, जब वह मां के निधन से अंतिम संस्कार की तैयारी कर रही थी। अभियोजन पक्ष ने बताया कि जब सुनील कुचकोरवी की मां ने शराब के लिए पैसे मांगे तो उसे अस्वीकार कर दिया गया, तब उसने मां की खतरनाक तरीके से हत्या कर दी थी।

मां की नृशंस हत्या और खौफनाक तरीके से डेथ कोट-टुकड़े कर अंग की कहानी हाई कोर्ट के खंडखंड को जानकर ने कहा कि यह स्पष्ट रूप से दुर्लभतम श्रेणी में आता है। पृथिवी ने कहा कि दोषी ने सिर्फ अपनी मां की हत्या नहीं की है, बल्कि उसके पति को भी पकड़ा है, जो जघन्य अपराध की श्रेणी में आता है। उच्च न्यायालय ने कहा कि अपराधियों की प्रवृत्तियों को देखते हुए ऐसा नहीं लगता कि सुधार के कोई लक्षण हैं। कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर इसकी मौत की सजा कम कर स्टूडियो में रखी जाती है, तो वह भी इसी तरह का अपराध कर सकता है।

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लॉ ट्रेंड की रिपोर्ट के मुताबिक, खण्डपीठ ने टू-टूक लॉड में दी गई चेतावनी में कहा है कि अगर इस गैंग के सदस्य को सजा दी जाती है तो यह जेल के अंदर भी इसी तरह का अपराध हो सकता है। कोटा कुचकोरवी पुणे की यरवदा जेल में बंद है। उसे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अदालत में पेश किया गया था।

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