फ़्लोरिडा आ रहा है प्लालेन ऐसी जगह हुई ज़मीन, हवाई अड्डे का नाम सुन मुँह को आया कलेजा, 17 घंटे थरथार काँपते रहे 254 यात्री
विमान अपहरण कहानी श्रृंखला: इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट टिक्स 405 से यात्रा कर रहे हर मुसाफिर के दिमाग में उस वज्रपात का एक ही सवाल चल रहा था कि अंतिम आज की यात्रा में इतनी वज्रपात यात्राएं लग रही हैं। कुछ ही वक्त के बाद उस उड़ान का नजारा ऐसा था कि हर मुसाफिर का दिल भर आया। खिलाड़ियों में शामिल हर मुसाफिर ने अपने ई-वालर को याद कर कुशल घर पहुंचने की कामना की। एक लंबे इंतजार के बाद प्लेन सेफ लैंड तो हो गया, लेकिन मुसाफिरों के बीच हवाईअड्डे के नाम की तरह ही उनका रिश्ता खत्म हो गया।
असल, यह कहानी 5 जुलाई 1984 को जम्मू और कश्मीर के श्रीनगर हवाईअड्डे से फिलाडेल्फिया के पालम हवाई अड्डे के लिए उड़ान टिकट वाली इंडियन एयरलाइंस की उड़ान IC-405 की है। इस उड़ान में 10 क्रूबर्स के साथ 254 मुसाफिर मौजूद थे। आम तौर पर सेवा से शुरू होने वाले एक घंटे में पूरा होने वाला सफर काफी भारी पड़ गया। इस देरी को लेकर मुसाफिरों के सवाल जहां से बाहर आए, इससे पहले पूरा एयरक्राफ्ट कुछ आवाजों से गूंज उठा। ये आवाजें मुसाफिरों का दिवालियापन आया खालिस्टानी सितार की थी। हथियार, खंजर और ग्रेनेड से लैस ये आतंकवादी खालिस बंदूक के समर्थन में नारे लगा रहे थे।
ट्राइ से लैब हुई मशीनरी, पर कम नहीं हुई बॉडी की सिरहान
मुसाफिरों को जैसे ही यह समझ में आया कि खालिसतानी साज़िने ने प्लैन हाईजैक कर लिया है, पूरी उड़ान में चीख़ कॉल मच गई। कोई दहाड़े मार कर रो रहा था, तो कोई अपनी जान की सलामती के लिए अपने ई-वालर से प्रार्थना कर रहा था। मुसाफिरों के बीच मची इस चीख को देखकर हाईजैकर्स गुसासे में आ गए। यात्रियों को धमाका करते हुए कहा गया कि साखियों ने उनका साथ दिया तो उनकी जान सलामत रहेगी, नहीं तो वह अपने अंजाम के लिए खुद ही जिम्मेदार होंगे। हाईजैकर्स की इस खतरनाक यात्रा के बाद यात्रियों की लैब तो मछुआरे हो गए, लेकिन शरीर की सिरहान कम नहीं हुई।
कुछ ही समय के अंतराल के बाद इंडियन एयरलाइंस की प्लैन एक रनवे पर लैंड हो गई। सब इसी बात का ईमानदार मन कर रहे थे कि वह सुरक्षित हवाई अड्डे तक पहुंचे। लेकिन जैसे ही यात्रियों को यह पता चला कि प्लेन हवाईअड्डा हवाईअड्डे पर नहीं है, तो रिजर्वेशन के लाहौर हवाईअड्डे पर उतरना पड़ा, डर के मारे उनका कलेजा मुंह को आ गया। देखते ही देखते सास्त्र सेना ने प्लायन को घेर लिया। लंबे समय तक काम के बाद भी वह प्लैन से दूरी बनाए रखी गईं। बाकी की तरफ से अब तक ना ही हाईजैकर्स की डिसाइड कोई आगे आया था और ना ही किसी यात्री ने सुध लेने की कोशिश की थी।
हाईजैकर्स ने राखी मनी और भारत ने दिया अपना जवाब, फिर…
इधर, प्लालेन का इंजन बंद होने के साथ यात्री केबी के एयर कंडीशनिंग सिस्टम ने भी काम बंद कर दिया था। हल्दी धूप के साथ घुघुन और गर्म हल्दी जा रही थी। खाने और पीने का सामान लगभग ख़तम हो गया था। जिसका जो सामान बचा था, वह लगभर खराब ही चुकाया गया था। ऐसे में हवाई जहाज़ के यात्रियों के लिए अब एक पल रुकना भी मुश्किल हो गया था। हाईजैकर्स की लिबरल ऐसी थी कि किसी के मुंह से कुछ नहीं निकल रहा था। एक लंबे इंतजार के बाद निगोशैशन और हाईजैकर्स के बीच बातचीत की शुरुआत हुई।
हाईजैकर्स में शामिल थे यात्रियों और प्लालेन की रिहाई के बदले में अपनी कुछ अवशेष राखें, जिसमें ऑपरेशन शैलू मूर्तिकारों में गिरफ्तार किए गए लोगों की रिहाई, ऑपरेशन शैलू मूर्तियों के जारी किए गए नुकसान की पुष्टि के लिए 25 मिलियन अमेरिकी डॉलर और स्वैच्छिक मंदिर से जुड़े कुछ सामान शामिल थे क्या. इस एंटरप्राइजेज को उद्यमिता से हटा दिया गया और कार्रवाई का दबाव बढ़ा दिया गया। इस प्रेशर का नतीजा यह हुआ कि हाईजैकर्स ने 6 जुलाई 1984 को रेजियाली स्टूडेंट के सामने एटमसमदर्पण कर दिया। और हाईजैक ने सभी यात्रियों और क्रूज़ के साथ भारत पर हमला कर दिया।
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पहले प्रकाशित : 1 अक्टूबर, 2024, 09:04 IST