नंबर 1 बनो या मिटा दो, रतन टाटा के मंत्र में बीच में कुछ भी नहीं है, 100 वर्षीय पूर्व सहयोगी कहते हैं – अमर उजाला हिंदी समाचार लाइव – झारखंड: ‘रत्न टाटा का मंत्र था’
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– फोटो : instagram/ratantata
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‘टाटा ग्रुप’ के प्रमुख सहयोगियों में महत्वपूर्ण पद पर कार्यरत कोल इंडिया के पूर्व दिग्गज आर एन शर्मा ने कहा कि रतन टाटा के साथ उनकी यात्रा मित्रता की कहानी है। शर्मा 12 अप्रैल को 100 साल हो गए। उन्होंने कहा कि रतन टाटा ने अपने हर प्रयास में गुणवत्ता और प्रतिष्ठा का प्रदर्शन किया।
जिज्ञासा और दृढ़ संकल्प से परिपूर्ण युवा थे ताता, पहली मुलाकात 56 साल पहले
शर्मा ने कहा, ‘1960 के दशक का आखिरी समय था। यह मेरे इतिहास का महत्वपूर्ण समय था, क्योंकि मैं जामाडोबा में मुख्य खनन संयंत्र के रूप में था। यही वह समय था जब 1967-68 में रतन टाटा से पहली बार मेरी मुलाकात हुई। वह जिज्ञासा और दृढ़ संकल्प से परिपूर्ण युवा थे।’
सदैव ऊँचे लक्ष्य रखें, जीवन में दिखावे की कोई जगह नहीं
उन्होंने कहा, ‘उनका (टाटा का) मंत्र सरल दोस्ती गहरा था: ‘शीर्ष पर पहुंचो या जाने के लिए तैयार रहो। इन दोनों के बीच में कुछ भी नहीं है।’ उसने यही कहा था। उनका यह मंत्र सभी को प्रेरणा देता है कि लक्ष्य को हमेशा ऊंचा रखें, सीमा से आगे बढ़ें और उत्कृष्टता के लिए प्रयास करें।’ शर्मा ने कहा कि टाटा के जीवन दर्शन के लिए कोई जगह नहीं थी।
आस्था के साथ नेतृत्व की प्रेरणा
शर्मा ने स्वर में कहा, ‘जब मैं समय के बारे में सोचता हूं तो मुझे उस प्रभाव की याद आती है, जो उन्होंने केवल ग्रुप पर ही नहीं निकाला था, बल्कि उन सभी को भी इसमें शामिल किया गया था, जिसमें उन्हें शामिल किया गया था। ।। उनकी विरासत हमें बेहतर बनाने, उत्कृष्टता के लिए प्रयास करने और स्मारकों के साथ नेतृत्व करने के लिए प्रेरित करती रहेगी।’ बता दें कि रतन टाटा को याद दिलाते हुए पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने भी इस बात का जिक्र किया था कि उनके शामिल सहयोगियों के सामने भी दो टूक डॉग्स में सच बोलने का साहस था, जो उन्हें अति विशिष्ट कार्य करता है।