उत्तर प्रदेश

उड़द दाल की फसल रोग से बचाव के टिप्स खेती पिला मोज़ेक रोग से बचाव के उपाय सा

वः उड़द दाल की फसल पर बार-बार कीड़े-मकोड़े लगते हैं। बह कृषि विज themaurीauraurauraura ने ने कैसे कैसे आप कैसे कैसे कैसे कैसे कैसे कैसे कैसे कैसे कैसे आप आप कैसे कैसे आप कैसे आप कैसे कैसे कैसे कैसे आप कैसे ने ने ने ने ने ने ने ने ने ने ने ने ने ने ने ने ने ने ने ने ने ने तमामार बातें तद। उड़द दाल की खेती करने वाले किसानों की सबसे बड़ी समस्या है पीला मोजेक रोग। इन औषधियों को पीला कर बेजान कर दिया जाता है और औषधियां नष्ट हो जाती हैं। साथ ही यह रोग एक उपचार से दूसरे प्रमाणित में बहुत आसानी से उपलब्ध है। उत्तर प्रदेश सरकार के कृषि विभाग की ओर से जारी विज्ञप्ति के अनुसार, पीला मोजेक रोग, जिसे पीला मोजेक रोग भी कहा जाता है।

उड़द की खेती को रोग से कैसे बचाएं?
येलो मोजेक रोग से बचने के लिए बीज की कटाई जुलाई के पहले सप्ताह तक मात्रा में की जाती है। शुरुआती समय में ही पीली मोजेक से खरीदे गए इलेक्ट्रिकल को उखाड़कर नष्ट कर देना चाहिए। पीला मोजेक रोग से बचने के लिए रोगग्रस्त इंजीनियरों को उखाड़कर खेत से दूर फेंकना या जला देना चाहिए।

उड़द की रिकार्ड तोड़ विध्वंस!
ग्रीष्म ऋतु में 12 से 15 किलोमीटर प्रति हेक्टेयर की दर से बोया जा सकता है। उदाद की 15 फरवरी से 15 मार्च तक 15 फरवरी से 15 मार्च तक 15 मार्च को उदाद की 15 मार्च से 15 मार्च तक 15 मार्च को 15 मार्च को 15 मार्च को 15 मार्च 2018 को उदित की गई।

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डैमेज सीज़न में किसानों ने दालों की बुआई की बम्पर की है। दाल उत्पादन में आत्मनिर्भर बनने के लिए केंद्र की ओर से मिले प्रोत्साहन का असर रकबे में भारी वृद्धि के रूप में देखा गया है। हालाँकि, मूंग और फूलद के फल में दो कीट रोग, पीला चितकबरी या मोजेक रोग और सरकोस्पोरा पत्ती धब्बा रोग का खतरा बढ़ गया है। इस बार बारिश के खतरे और कीट हमलों की समस्या पर अधिक ध्यान दिया जा रहा है।

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