रिवेराज़ की तरह बँटी जा रही थी यूनिवर्सिटी की डिग्रियाँ, बिना कॉलेज गए हो रहे थे ग्रेट, गुट में खुला राज
जयपुर. पिछले कुछ दिनों से राजस्थान में पेपर लाइक के मामले सबसे ज्यादा चर्चा में हैं ऐसे ही अब जयपुर में बड़े पैमाने पर फर्जी डिग्रियां चमकने का मामला सामने आया है, जहां समंदर से रेवरीज की तरह डिग्रियां बंटी जा रही थी। जयपुर के प्रताप नगर इलाके में एक ई मित्र पर फर्जी डिग्रियन और मार्क रिजेरियन का मामला सामने आया है, जिसमें पुलिस के मुताबिक ई मित्र लीडर 16 यूनिवर्सिटियों के फर्जी डिग्रियन लोगों को कई साझेदारों से जोड़ा जा रहा था। इन फर्जी डिग्रियों से लेकर 10 करोड़ रुपये कमाए हैं। अभी इस मामले में जांच चल रही है, जिसके बाद और खुलासा सामने आया है।
बता दें कि पुलिस ने 18 अक्टूबर को ई मित्र से बात की जिसके बाद आपको पूरा मामला सामने आया। इस पूरे फर्जीवाड़े में कई विश्वविद्यालय भी शामिल हैं, जिनकी अभी भी जांच चल रही है। फ़्यूरी डिग्री के इस गोरखधंधे को बनाने वाले दस्तावेजों ने पूछताछ के दौरान बताया कि फ़्यूरीज़ डिग्रीज़ से मार्कसाइज़, डिग्री, मैगज़ीन फ़ीसदी के रुपए सीधे ज़मीनी स्तर के बैंकों में ऑफ़लाइन जमा करवाते थे, इसके बदले में यूनिवर्सिटी में कमीशन दिए जाते थे।
700 बिना कॉलेज के 700 मिली डिग्री
फ़र्ज़ी डिग्रियों के इस स्टॉक में बैटर वाली बातें सामने आती हैं। पुलिस के दस्तावेजों के अनुसार ई मित्र सहयोगी द्वारा अब तक 700 स्ट्रक्चर बिना कॉलेज गए और बिना क्लास में बैठे ही डिग्री दिए गए हैं, जिसमें यूनिवर्सिटी के एनरोलमेंट नंबर में भी फर्जी फीस शामिल होने की बात सामने आई है। इस पूरे प्रकरण में राजस्थान ही नहीं बिहार, झारखंड, यूपी, आंध्र और तेलंगाना के कुल 16 विश्वविद्यालयों के दिग्गज शामिल हैं। बता दें कि ई मित्र पर कार्रवाई के दौरान 700 डिग्रियों के अलावा 3000 से अधिक दस्तावेज मिले हैं, जिनमें से एक पोस्ट क्रैजुएशन इन कंप्यूटर एप्लीकेशन के मार्कशीट, योगा थेरेपी में पाइथियन, बीएससी सीबीजेड, पोस्ट ग्रेजुएशन इन कंप्यूटर एप्लीकेशन, बीआई, बीसीए हैं। , बीएससी पीसीएम, बीकॉम, बीएमडब्लू, बीएमडब्लू, बीबीई, एमएससी, बीएमबी फाइनेंस और फर्म जैसे हीरेरो डिग्रियां और बीएमडब्लू के फर्म शामिल थे।
2 साल में फर्जी डिग्रियों से पीट के लिए करोड़ों रुपये
ई मित्र सैमसंग ने 2 साल के अंदर 10 करोड़ रुपए कमाए, जिसमें एक-एक डिग्री 50 हजार से 2.50 लाख रुपए तक के फर्जी डिग्रियां शामिल हैं। फर्जी किराएदारों के अलावा ई-मित्र पर फर्जी किराएदार नाम, चेक बुक, शपथ पत्र, 14 बैंकों की पास बुक, डेबिट कार्ड, मोबाइल, एक वारंट मशीन जैसी दस्तावेजी वस्तुएं बरामद की गईं। ई मित्र अध्यापक ने अपना पूरा इस गोदाम के कार्य का पूरा लेखा-जोखा जोखा भी सहायक के पास रखा था। ई-मित्र के पंजीकृत लोगों को फर्जी डिग्रियां और अन्य दस्तावेज बाटे जाने का रिकॉर्ड पेन ड्राइव में सेव किया गया, जिसके बाद अब पुलिस गहनता से जांच कर रही है।
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पहले प्रकाशित : 8 नवंबर, 2024, 16:12 IST