उत्तराखंड की ठंड में न करें इन 8 लक्षणों को नजरंदाज…साबित हो सकता है जानलेवा! जानें एक्सपर्ट की राय
देहरादून : उत्तराखंड के कई हिस्सों में सर्दी की शुरुआत के साथ ही तापमान में लगातार गिरावट देखी जा रही है. जौनसार बावर के पर्वतीय क्षेत्र चकराता में तापमान 9 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है, वहीं मैदानी इलाकों जैसे विकासनगर में तापमान 13 डिग्री सेल्सियस के करीब दर्ज किया जा रहा है. ठंड के बढ़ते असर से नवजात शिशु और छोटे बच्चों में निमोनिया का खतरा भी तेजी से बढ़ रहा है. विशेषज्ञों का कहना है कि दिसंबर से फरवरी का समय संक्रमण के लिहाज से बेहद संवेदनशील होता है और इस दौरान खासकर बच्चों की सेहत पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है.
विकासनगर स्थित उप जिला अस्पताल में बाल रोग विभाग की ओपीडी में रोजाना करीब 60 से 70 बच्चे श्वसन संबंधी परेशानियों और ठंड जनित बीमारियों के इलाज के लिए पहुंच रहे हैं. विकासनगर के सरकारी अस्पताल में सर्दियों के सीज़न में निमोनिया (Pneumonia) के 10 से 12 मामले सामने आते हैं. अस्पताल के सीएमएस, डॉ. विजय सिंह ने बताया कि सर्दियों में श्वसन तंत्र (Respiratory Health) संबंधी समस्याएं तेजी से बढ़ जाती हैं, खासकर छोटे बच्चों और नवजात शिशुओं में. सर्दी-खांसी जैसे मामूली लक्षणों की अनदेखी करने पर बच्चे निमोनिया की चपेट में आ सकते हैं, जो कि जानलेवा साबित हो सकता है.
8 लक्षणों की अनदेखी साबित हो सकती है जानलेवा
डॉ. विजय सिंह ने बताया कि निमोनिया के दौरान बच्चों में कुछ विशेष लक्षण नजर आते हैं जिन पर तुरंत ध्यान देना चाहिए. नीचे दिए गए लक्षणों की अनदेखी जानलेवा साबित हो सकती है, इसलिए माता-पिता का जागरूक रहना जरूरी है.
⦁ बुखार,
⦁ ठंड लगना
⦁ अत्यधिक पसीना
⦁ त्वचा का लाल होना
⦁ सांस लेने में दिक्कत
⦁ नाखून, होंठ और त्वचा का नीला पड़ना
⦁ गाढ़ा या खून से मिश्रित बलगम
⦁ अत्यधिक बेचैनी, चिड़चिड़ापन. ऐसे लक्षणों की अनदेखी जानलेवा साबित हो सकती है, इसलिए माता-पिता का जागरूक रहना जरूरी है.
संक्रमण से बचाने के लिए अपनाएं ये उपाय
डॉ. विजय सिंह ने लोकल18 को ठंड के दौरान बच्चों को निमोनिया और अन्य संक्रमणों से बचाने के लिए कुछ आसान उपाय बताए. उन्होंने कहा कि ठंड में बच्चों को अच्छी तरह गर्म कपड़े पहनाएं और सुबह-शाम के समय उन्हें बाहर घूमाने से बचें. घर की खिड़कियों और दरवाजों को पूरी तरह बंद रखने से बचें ताकि घर में हवा का संचार बना रहे. इसके अलावा, बच्चों में किसी भी संदिग्ध लक्षण दिखने पर तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें और लक्षणों को नजरअंदाज न करें.
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पहले प्रकाशित : 14 नवंबर, 2024, दोपहर 1:05 बजे IST
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