
संभल ही नहीं, यूपी के इस शहर में भी बंद है 300 साल पुराना मंदिर, 1977 के असंतोष में यहां डीएम ने चलाई थी गोली, फोटो वायरल होती है ही फोर्स
संभल के बाद वाराणसी के मुस्लिम बाहुल्य इलाके में बंद मिला प्राचीन मंदिर इतिहासकार का दावा है कि यह मंदिर 300 साल से भी ज्यादा पुराना है लोगों का दावा है कि सिद्धेश्वर महादेव मंदिर है, जो मिर्ज़ाख़री काशी खंड में भी है
वाराणसी. संभल के बाद वाराणसी के मुस्लिम बाहुल्य इलाके मदनपुरा में एक प्राचीन शिव मंदिर की तस्वीर वायरल ही पुलिस और प्रशासन में आ गई। हिंदू संगठन भी मक्के पर पहुंच गया और मंदिर का ताला शिखरने की मांग उठाने लगा। सिद्धेश्वर महादेव का यह मंदिर कई वर्षों से बंद पड़ा हुआ है। दावा किया गया है कि मंदिर के पास स्थित गोल चबूतरा सिद्धेश्वर मंदिर का कूप हुआ था। फिलहाल, सार्जेंट मंदिर के आसपास पीएसी के पांच युवा और स्थानीय मंदिरों के दो सिपाही तैनात हैं। पुलिस प्रशासन की स्थिति पर नजर रखी गयी है.
मुस्लिमहुल्य मदनपुरा की घुटने की पट्टियों में बंद पड़े मंदिर की सूचना से सोमवार को पुलिस व प्रशासन में बाउंस मच गया। मंदिर पर ताला लगा था जो काफी पुराना था। मस्जिद पर पुलिस और पीएसी के जवान इंजीनियर बने हुए हैं। मंदिर मदनपुरा के प्रसिद्ध गोल चबूतरा के सामने स्थित है। इतिहासकार अनिल कुमार सिंह के अनुसार यह मंदिर काफी पुराना है। इसकी शैली स्पष्ट रूप से बताती है कि यह तीन मंदिर सौ साल से भी ज्यादा पुराना है।
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मंदिर के बाहर युवा आश्रम
वायरल फोटो में मंदिर का पूरब उत्तर और दक्षिण भाग खुला हुआ दिखाई दे रहा है. पश्चिम भाग में ताज बिजनेस का मकान है। स्थानीय लोगों ने बताया कि दक्षिण भाग की तरफ का दरवाजा टूट गया था और अंदर जानवर चले गए थे। इसके डिज़र्वेशन के लिए किसी ने दरवाजा लगाया। इंकट्स लॉक ने इसे तैयार करने के लिए कोई सुझाव नहीं दिया। मंदिर के आसपास पीएसी के पांच जवान और स्थानीय मंदिरों के दो सिपाही दिए गए हैं। प्रशासन स्थिति पर नजर रखी जा रही है. मंदिर का आकार एक शिव मंदिर का है। बाहरी आकार को देखकर इसका गुंबद का शीर्ष शिव मंदिर ही दिखता है। कुछ बुजुर्गों का कहना है कि यह एक बंगाली परिवार का मकान था, जिसे बाद में उसने मुस्लिम व्यापारियों को बेच दिया। वर्तमान में बेरोजगारी की गद्दी है और कुछ लोग भी रहते हैं। उसी मकान के पूर्वी भाग में यह मंदिर स्थित है।
वैभव एक बैलर राजा कंकड की
इस मंदिर के बंद रहने की अवधि का सटीक अनुमान यह लगाया जा सकता है कि इस संपत्ति के कथित मालिक मुस्लिम परिवार के तीन बेटों की उम्र करीब 45 से 50 साल है। त्रि का कहना है कि बचपन से ही मंदिर को देख रहे हैं। उनका कहना है कि उनके बुजुर्ग राजा ने यह प्रतिभा एक बैलर कंकड से निकाली थी।
काशी खंड में मंदिर का दृश्य अंकित है
दावा किया जा रहा है कि यह सिद्धेश्वर महादेव का मंदिर हजरत काशी खंड में भी है। लोगों का दावा है कि यहीं पर असल में सिद्धेश्वर मंदिर स्थित गोल चतरा हुआ था। मंदिर की स्थापत्य कला भी शिव मंदिर होने की पुष्टि कर रही है।
1977 के दंगे में टीचर को यहां गोली मारी गई थी
स्थानीय प्रशिक्षुओं को 1977 के दंगों में यहां के प्रशिक्षुओं को भी गोली मार दी गई थी। दंगल की सूचना पर आधारशिला महोत्सव महेश प्रसाद मदनपुरा क्षेत्र थे। तब उन पर एक मकान से सोना निकल गया था, जो उनकी कनपटी की छुट्टियाँ निकली हुई थी। इसके बाद डॉक्टरों ने भी पीएसी जवान के राइफल से जवाबी फायरिंग की थी।
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पहले प्रकाशित : 17 दिसंबर, 2024, 12:43 IST