बिहार

किसानों के लिए…कृषि विश्वविद्यालय कर रहा अनोखा शोध, जानिए क्यों है खास

दिल्ली: बिहार कृषि विश्वविद्यालय (बीईयू) अब किसानों से मिलें तकनीक पर भी शोध करें। असल में, किसानों के प्रति विश्वविद्यालय में कई तरह के नियम रहते हैं, जिससे किसानों को खेती में मदद मिलती है। इसके लिए आप एडवांस्ड बिजनेस के बीज, एडवांस्ड बिजनेस की टेक्नोलॉजी सहित अन्य तरह के काम पर रहते हैं, जिससे किसानों की स्थापना हो सके। लेकिन अब किसान किस तरीके से कम पैसों में खेती कर पाएं, इस पर काम करना होगा।

प्रौद्योगिकी पर होगा शोध

वहीं जब इसे लेकर यूनिवर्सिटी के फादर डॉ. डी आर सिंह से बात की गई तो उन्होंने बताया कि विश्विद्यालय ने किसानों से ही तकनीक ली थी और इसे सूचीबद्ध करके तैयार किया गया है। अब इस तकनीक को अनुसंधान केंद्र भेजा जाएगा। रिसर्च डायरेक्टर्स को भी कई तरह के निर्देश दिए गए हैं। इस पर शोध कर अधिक से अधिक विकास करने का प्रयास किया जाएगा। खास बात यह है कि इस पर बीयू के आर्किटेक्चर पर शोध किया जा रहा है। पितृसत्तात्मक ही रीडर भी जायेंगे. इससे किसानों की खेती की लागत कम हो जाएगी। इसके लिए पूरे राज्य के 30 किसानों का चयन किया गया है. ऐसे में किसानों को 30 नई तकनीक मिलेगी, जिससे खेती करना आसान हो जाएगा।

पारंपरिक उत्पादों को बेहतर बनाया जा सकता है

साथ ही उन्होंने सुझाव दिया कि पारंपरिक परम्पराओं को जीवित रखने और देशी स्वरूप को बढ़ावा देने के लिए इसपर शोध किया जा रहा है। कई इलाकों के किसान पारंपरिक विधि से खेती कर रहे हैं। 30 टेक्नोलॉजी पर बीयू रिसर्च कर रही है। ऐसे में किसानों के पास एक साथ 30 नई कृषि तकनीकें हैं, जिससे किसानों की समस्या भी दूर होने की संभावना है और खेती में लागत भी कम होगी। कृषि को आसान बनाने के लिए आप कई तरह की खोज कर रही हैं, ताकि किसान आसानी से सफल खेती कर सकें। इतना ही नहीं बीयू, किसानों की मार्केटिंग को लेकर भी सोचती है। इसके लिए टीम भी तैयार हो चुकी है।

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15/03/25