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रसोई है इनकी पसंदीदा जगह, अस्थमा, डायरिया और टाइफाइड की बनते वजह, कॉकरोच से छुटकारा कैसे पाएं?

दुनियाभर के घरों में चूहों, मच्छर, छिपकली के साथ-साथ कॉकरोच का दिखना आम है. अमेरिका में हुए सर्वे में 63% घरों में इन्हें पाया गया, वहीं दुनियाभर के 83% लोगों ने माना कि उन्होंने अपने घरों में कॉकरोच कभी ना कभी देखे जरूर हैं. कॉकरोच को तिलचट्टा भी कहा जाता है. दुनिया में इनकी 4 हजार से ज्यादा प्रजातियां हैं. कॉकरोच भले ही इंसानों को काटते नहीं हैं लेकिन यह कई खतरनाक बैक्टीरिया को पूरे घर में फैला सकते हैं. कॉकरोच से सांस से जुड़ी बीमारी भी हो सकती है.

पेट से जुड़ी दिक्कत
यूनाइटेड स्टेट्स एनवायरनमेंटल प्रोटेक्शन एजेंसी के अनुसार कॉकरोच अपने पैरों से खाने को खराब कर सकते हैं. दरअसल पैरों के जरिए यह बैक्टीरिया फैला देते हैं. इनसे पैरों की वजह से खाने में बैक्टरिया चिपक जाते हैं और गंदा खाना खाने से साल्मोनेला नाम का इंफेक्शन हो सकता है. इसमें पेट में दर्द, बुखार और डायरिया हो सकता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार यह कीड़ा टाइफाइड, हैजा समेत कई तरह के आंतों के इन्फेक्शन का कारण बन सकता है. दुनिया में हर साल 2 लाख से ज्यादा लोग इनकी वजह से अपनी जान से हाथ धो बैठते हैं.

बच्चों को हो सकती है एलर्जी
जनरल ऑफ एलर्जी, अस्थमा एंड इम्यूनोलॉजी रिसर्च की स्टडी के अनुसार कॉकरोच से एलर्जी हो सकती है. कॉकरोच के पंखों, अंडों और थूक में ऐसे कई एंजाइम होते हैं जो बड़ों से ज्यादा बच्चों को एलर्जी कर सकते हैं. अगर बार-बार खांसी आए, नाक बंद हो जाए, नाक बहने लगे, गले में खराश हो या छाती में भारीपन हो तो यह कॉकरोच से फैली एलर्जी हो सकती है. इससे कई बार कान में इंफेक्शन या त्वचा पर लाल चकते पड़ सकते हैं. कॉकरोच से एलर्जी है या नहीं, इसके लिए एलर्जी टेस्ट किया जाता है.

कॉकरोच −122 °C में भी जिंदा रह सकते हैं (Image-Canva)

अस्थमा हो सकता है
पारस हॉस्पिटल में इंटरनल मेडिसिन विभाग में डॉ. संजय गुप्ता कहते हैं कि कॉकरोच सांस से जुड़ी एलर्जी का कारण बन सकते हैं. इनसे अस्थमा भी हो सकता है. दरअसल कॉकरोच के मल और थूक में एक प्रोटीन होता है जिसमें एलर्जी के कारक एंजाइम होते हैं. यह हवा के जरिए तेजी से फैलते हैं. जहां कॉकरोच ज्यादा होते हैं वहां अगर अस्थमा का मरीज हो तो उन्हें इसका अटैक अधिक देखने को मिलता है.

ऐसे पाएं कॉकरोच से छुटकारा
घर में अगर कॉकरोच बढ़ गए है तो बोरिक एसिड का छिड़काव करें. इसके संपर्क में आते ही कॉकरोच मर जाते हैं. इसके अलावा घर की सफाई पर ध्यान देना बहुत जरूरी है. कॉकरोच अक्सर गंदगी में ही पनपते हैं. किचन और घर के कोने इनका घर होते हैं इसलिए हर हर कोचे को सील कर दें. नालियों में ऐसी जाली लगाएं कि कॉकरोच घर में आ ना पाएं. घर को सूखा रखें. किचन में हर कंटेनर को टाइट करके रखें. बर्तनों को इस्तेमाल करने के बाद तुरंत उन्हें धो लें, इन्हें सिंक में रातभर ना रखें. खाने को खुला ना छोड़ें. खाना बनाने के बाद गैस के चूल्हे को साफ कर दें. रसोई में गीला कपड़ा ना छोड़े. फर्श को हर रोज पोछे से साफ करें. डस्टबिन को ढककर रखें. फर्निचर, अलमारी, शेल्फ और फ्रिज को नियमित रूप से साफ करते रहें. घर में सीलन हो तो उसे तुरंत ठीक कराएं.

चप्पल से भी आ सकते हैं कॉकरोच
कॉकरोच के अंडे चप्पलों, जूतों या फिर बैग पर चिपककर भी घर में पहुंच सकते हैं और इन अंडों से निकलने वाले कॉकरोच घर में फैल सकते हैं. इसलिए बाहर की चप्पलों और जूतों को घर से बाहर ही उतारें. बैग को भी छाड़कर अलमारी में रखें.  पैदा हुआ एक दिन का कॉकरोच का बच्चा तेजी से चलता है और 36 दिन में ही एडल्ट हो जाता है. अगर कॉकरोच का सिर कट जाए तब भी वह 1 हफ्ते तक जिंदा रह सकता है. मरे हुए कॉकरोच में बैक्टीरिया 10 दिन तक जिंदा रहते हैं. यानी जिंदा ही नहीं मरे हुए कॉकरोच भी खतरनाक होते हैं.

कॉकरोच धरती पर डायनासोर से भी पुराने हैं (Image-Canva)

कॉकरोच से बनती डिशेज!
दुनिया के लोगों के लिए जहां कॉकरोच एक सिरदर्द बन गए हैं, वहीं कुछ ऐसे भी देश हैं, जहां कॉकरोच से डिशेज तैयार की जाती हैं. थाईलैंड और मैक्सिको में इनका सिर और पैर निकालकर इन्हें बॉयल, ग्रिल, सॉटे या फ्राई करके स्नैक्स के तौर पर खाया जाता है. चीन में कॉकरोच से टैकोज, स्प्रेड और फ्राइज बनते हैं. फ्राइज को कॉटेज चीज के साथ सर्व किया जाता है. ताइवान का कॉकरोच ऑमलेट दुनियाभर में पॉपुलर है.

इस कीड़े से बनती है दवा
चीन की मेडिसिन इंडस्ट्री में कॉकरोच का खूब इस्तेमाल होता है. इस देश में 100 से ज्यादा कॉकरोच फार्म हैं. कॉकरोच में प्रोटीन होता है जो बहुत सस्ते दामों पर मिलता है. इस प्रोटीन से दवा के साथ ही कॉस्मेटिक भी बनते हैं. चीन के साथ साउथ कोरिया में भी इस पर खूब रिसर्च हुई है और इन्हें दवा के लिए इस्तेमाल किया. कॉकरोच के प्रोटीन से कैंसर, डाइटरी सप्लीमेंट और कम बालों की समस्या का इलाज होता है.

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