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Cerebral Palsy: बच्चों के दिमागी विकास में रुकावट? कहीं आपके बच्चे को तो नहीं ये समस्या! जानें लक्षण और बचाव के उपाय

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Cerebral Palsy Neurological Disorder: सिरेब्रल पाल्सी एक न्यूरोलॉजिकल बीमारी है, जो बच्चों के दिमागी विकास और मांसपेशियों को प्रभावित करती है. इसके लक्षणों में मांसपेशियों की जकड़न, बोलने और चलने में दिक्कत शाम…और पढ़ें

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सिरेब्रल

सिरेब्रल पाल्सी बीमारी में रुक जाता है दिमाग का विकास.

देहरादून. कई बार छोटे बच्चों को ठीक से चलने, बोलने या बैठने में दिक्कत होती है. कुछ बच्चों की मांसपेशियां ज्यादा कमजोर होती हैं, तो कुछ को संतुलन बनाने में परेशानी होती है. अगर ऐसा हो रहा है, तो यह सिरेब्रल पाल्सी (Cerebral Palsy) हो सकता है. यह एक न्यूरोलॉजिकल बीमारी है, जो बच्चों के दिमागी विकास में रुकावट पैदा करती है और उनके शरीर के मूवमेंट को प्रभावित करती है. उत्तराखंड के देहरादून में लोकल 18 ने डॉ तृप्ति पांडे (फिजियो) से इस बीमारी को लेकर बातचीत की और इसके लक्षणों और उपायों को बारीकी से समझा.

सिरेब्रल पाल्सी का जिक्र करते हुए डॉ तृप्ति पांडे लोकल 18 को बताती हैं कि इस बीमारी के लक्षण छोटे बच्चों में जल्दी नजर आने लगते हैं. अगर आपका बच्चा समय से बैठना, चलना या बोलना नहीं सीख पा रहा है, तो यह चिंता का विषय हो सकता है. लक्षणों पर बात करके हुए उन्होंने कहा कि इस बीमारी के होने पर बच्चे की मांसपेशियां बहुत ज्यादा टाइट या बहुत ज्यादा ढीली लगती हैं. इसके साथ ही बच्चे को चलने में परेशानी होती है या देर से चलना सीखता है. कई मामलों में तो बच्चों को बोलने और खाने-पीने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. इस बीमारी से ग्रसित बच्चों को चीजें समझने या सीखने में ज्यादा समय लगता है.

सिरेब्रल पाल्सी बीमारी क्यों होती है?
वह बताती हैं कि यह बीमारी ज्यादातर बच्चे के जन्म से पहले गर्भ में या जन्म के समय होने वाली परेशानी की वजह से होती है. इसके कुछ कारण ये हो सकते हैं, जैसे- प्रेग्नेंसी के दौरान मां को कोई गंभीर संक्रमण होना, जन्म के समय बच्चे को पर्याप्त ऑक्सीजन न मिलना, समय से पहले जन्म (प्रीमैच्योर डिलीवरी), बच्चे के सिर पर किसी कारण चोट लगना आदि.

क्या सिरेब्रल पाल्सी का इलाज संभव है?
डॉ तृप्ति पांडे ने कहा कि इस बीमारी का पूरी तरह से इलाज तो नहीं है लेकिन सही देखभाल और थेरेपी से बच्चा बेहतर जीवन जी सकता है. फिजियोथेरपी, स्पीच थेरेपी, सर्जरी और दवाइयां इसमें मददगार हो सकती हैं. फिजियोथेरेपी से मांसपेशियां मजबूत होती हैं और मूवमेंट में सुधार आने लगता है. जिन बच्चों को बोलने में दिक्कत हैं, वे स्पीच थेरेपी के जरिए अपनी इस समस्या को दूर कर सकते हैं. कुछ ऐसी दवाइयां हैं, जो मांसपेशियों की जकड़न और झटकों को कम करने में मददगार होती हैं. अगर आपके बच्चे में ये लक्षण नजर आ रहे हैं, तो बिना देर किए डॉक्टर से सलाह लें. सही समय पर इलाज और देखभाल से बच्चा स्वस्थ और आत्मनिर्भर जीवन जी सकता है.

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बच्चों के दिमागी विकास में रुकावट? जानें सिरेब्रल पाल्सी के लक्षण और उपाय

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