पुराने कपड़े- नया अंदाज, इकोफ्रेंडली हुए अब दुल्हन के परिधान
फैशन जगत के दिग्गज पिछले काफी समय से पर्यावरण के अनुकूल फैशन तैयार करने की दिशा में कोशिशें कर रहे हैं। अब तो दुल्हन के परिधान भी इसी रंग में रंगे नजर आ रहे हैं। यह लहंगा एंटीक किंग ख्वाब ब्रोकेड का है, जिस पर जरदोजी और आरी की कारीगरी की गई है। यह कढ़ाई सुनहरे, सफेद और टरकॉयज रंगों के सीक्वन से की गई है। साथ में वेलवेट का जरदोजी बॉर्डर है, जिसके किनारे पर गोटा है। ऑफ शोल्डर ब्लाउज पारंपरिक परिधान को आधुनिक अंदाज दे रहा है। दुपट्टे पर भी जरदोजी का काम है, और इसके किनारों पर टुकड़ी गोटा पट्टी जरदोजी बॉर्डर है।
शादी से पहले की रस्मों में मौज-मस्ती तो होती ही है, ऐसे में मौके को यादगार बनाने के लिए आप प्लीटेड रफल्ड चंदेरी टॉप पहन सकती हैं, जिस पर हाथ से लूप डिटेलिंग की गई है। इसे चंदेरी साड़ी के साथ पहना जा सकता है। साड़ी में भी हाथ से बना मेटलिक लूप बॉर्डर है। इसमें कोई दो राय नहीं कि भविष्य में सभी को प्रकृति की ओर लौटना होगा। रीसाइकिल किए गए पॉलीमर्स से तैयार इस परिधान के डिजाइनर हैं अमित अग्रवाल। यह कॉकटेल पार्टी के लिए आदर्श पहनावा होगा।
नेचुरल डाई किसी भी परिधान को खास और खूबसूरत बना देती है। इससे पोशाक को पूरी तरह प्राकृतिक रूप मिलता है। जैसे इस तस्वीर के कॉटन सिल्क फैब्रिक में महसूस किया जा सकता है। इसमें मॉडल ने जेड ग्रीन कलर की ड्रेस पहनी है, जिस पर हाथ की कढ़ाई है। इसे एजो-फ्री डाइज का उपयोग करके बनाया गया है।
इस साल इको फ्रेंडली परिधान न सिर्फ फैशन डिजाइनर्स की, बल्कि आम लोगों की भी पहली पसंद बने हुए हैं। यहां तक कि शादी की शॉपिंग के दौरान भी इस पहलू का ध्यान रखा जा रहा है। भारत में शादियों का मार्केट बहुत बड़ा माना जाता है, खासतौर पर आमदनी के लिहाज से। यही वजह है कि जो डिजाइनर दुल्हनों के लिए अपने सबसे बढ़िया कलेक्शन बनाना चाहते हैं, वे उन्हें प्रोत्साहित कर रहे हैं कि अपने खास दिन पर वे इकोफ्रेंडली और दिलचस्प पोशाकें पहनें।
समय की मांग
फैशन डिजाइनर श्रुति संचेती कहती हैं, ‘पर्यावरण के प्रति दुनिया की बढ़ती जागरूकता का प्रभाव नए दौर की दुल्हनों पर भी पड़ा है। शायद यही वजह है कि अब शादियां भी बहुत तड़क-भड़क और चकाचौंध वाली नहीं रहीं। आज की दुल्हनें ऐसे परिधान पहनना चाहती हैं, जिनमें सांस लेने की गुंजाइश हो, जो हल्के हों और शालीन भी दिखें। इसलिए वे ऐसे फैब्रिक्स की ओर आकर्षित हो रही हैं, जैसे मलमल मोगा, समर सिल्क या टसर। आराम महसूस करने के लिए कई दुल्हनें विस्कोज जैसे रीजेनरेटेड फैब्रिक्स का भी प्रयोग करने से नहीं हिचकिचातीं।’फैशन डिजाइनर पूजा श्रॉफ भी मानती हैं कि मिलेनियल्स (नब्बे के दशक के बाद पैदा हुई पीढ़ी) पुरानी पीढ़ी की तुलना में पर्यावरण को लेकर ज्यादा सतर्क है। श्रॉफ कहती हैं, ‘मैं
सिलुएट्स के लिए ऑर्गेनिक फै्र्रिरक ही चुनना पसंद करती हूं, क्योंकि इनकी मांग हर वक्त बदलते रहने वाले ट्रेंड्स के बीच भी बरकरार रहती है। इसने फैशन इंडस्ट्री को एक नयी दिशा प्रदान की है, जिससे हम अपनी पृथ्वी और पर्यावरण को सुरक्षित रखने के हजारों मौके तो हासिल कर ही सकते हैं, साथ ही समय के साथ भी चल सकते हैं।’
पुराने कपड़े, नया अंदाज-
हालांकि हम सभी की दिलचस्पी यह जानने में रहती है कि आजकल चलन में क्या है, लेकिन अगर आप इकोफ्रेंडली फैशन के नियमों के मुताबिक चलना चाहते हैं तो आपके लिए हमेशा फैशन की सोच कर चलना जरूरी नहीं है। हाउस ऑफ कोटवारा की क्रिएटिव डायरेक्टर समा अली कहती हैं, ‘हमारे नए ब्राइडल कलेक्शन में भारतीय बुनाई को नए अंदाज में पेश करने की कोशिश की गई है।
दुल्हन का सेट बनाने के लिए पहले से मौजूद ऐसे परिधानों का इस्तेमाल किया जा सकता है, जो लड़कियों को विरासत में अपनी मां, नानी या दादी से मिले हों। उदाहरण के तौर पर, कोई अपनी पुरानी ब्रोकेड साड़ी का इस्तेमाल कर सकता है। इससे दुल्हन का लिबास बनाया जा सकता है। ऐसे लिबास का न सिर्फ एक भावनात्मक मूल्य होगा बल्कि यह बढ़ते उपभोक्तावाद पर भी विराम लगाने में कामयाब होगा।’ इकोफ्रेंडली या सस्टेनेबल होना कई अर्थों में महत्वपूर्ण है। इससे न सिर्फ हम अपनी पुरानी परंपराओं को बचाए रख सकते हैं, बल्कि उन कारीगरों के काम की अहमियत भी बरकरार रख सकते हैं, जो पीढ़ियों से अपनी खास परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं।
उदार बनें, अतीत की ओर लौटें-
दुल्हनें चाहें तो ऐसे डिजाइनर का परिधान भी अपने खास मौके के लिए पसंद कर सकती हैं, जो परिधान बनाने में ‘जीरो वेस्ट दृष्टिकोण’ का पालन करता हो। फैशन डिजाइनर प्रियंका राजीव कहती हैं, ‘हमारे पैचवर्क लहंगे वेस्ट फैब्रिक्स से बनाए जाते हैं, जिन्हें हमारे अपने स्टूडियो में ही तैयार किया जाता है। हमारे पास एक छोटा-सा बॉक्स है, जिसे हमने नाम दिया है-इरादा। इसमें हम फैब्रिक्स और मैटीरियल्स के नष्ट हो चुके टुकड़ों को एकत्र करते हैं, जिनसे बाद में जैकेट्स और ब्राइडल लहंगे तैयार करते हैं।
हम पैचवर्क लहंगे बनाते हैं, जो बेहद आधुनिक दिखते हैं और इन्हें दुल्हन अपनी कॉकटेल पार्टी या मेहंदी जैसे मौकों पर पहन सकती है।’हालांकि शादी के तमाम आयोजन एकाध दिन या हफ्ता भर तक ही चलते हैं, लेकिन पर्यावरण पर इनका प्रभाव लंबे समय तक पड़ता है। इसलिए इस वर्ष अगर आप शादी करने जा रही हैं तो इकोफ्रेंडली परिधान ही चुनें ताकि आप अन्य तमाम दुल्हनों के लिए एक मिसाल पेश कर सकें।
अक्षता शेट्टी