स्किन के रंग में ये बदलाव हैं काली पीलिया के लक्षण, जानें कारण और बचाव के उपाय
देहरादून. हम अपने दैनिक जीवन में कई तरह की ऐसी चीजों का सेवन करते हैं जिनसे पेट की क़ई तरह की बीमारियां लग जाती है. कुछ सामान्य लक्षणों को तो हम नजरअंदाज कर देते हैं जैसे थकान, पेट दर्द होना. इसी के साथ ही आंखों का पीलापन. यह इतना भयंकर हो सकता है कि काला पीलिया, कोलन कैंसर और फिर लीवर ट्रांसप्लांट की स्थिति होने तक व्यक्ति पहुंच जाता है और उसको बचाना भी मुश्किल होता है. काला पीलिया लिवर में होने वाला एक खतरनाक वायरल इंफेक्शन है. यह हेपेटाइटिस बी और सी के वायरस के कारण होता है.
राजधानी देहरादून के मैक्स अस्पताल के गैस्ट्रोलॉजी के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. मयंक गुप्ता ने लोकल 18 बताया कि काला पीलिया लिवर में होने वाला एक खतरनाक वायरल इंफेक्शन है. यह हेपेटाइटिस बी और सी के वायरस के कारण होता है. हेपेटाइटिस बी और सी के वायरस के इंफेक्शन के कारण बॉडी में बिलीरुबिन का लेवल बढ़ जाता है. इस स्थिति को जॉन्डिस कहते हैं. समय पर उपचार नहीं होने पर इंफेक्शन बढ़ने लगता है. इसे काला पीलिया कहते हैं. साल 2022 में दुनियाभर में हेपेटाइटिस बी और सी से 1.3 मिलियन लोगो की मौत हुई थी. इसका मतलब है कि हर 30 सेकंड में एक व्यक्ति की भयंकर बीमारी के चलते मौत हो रही है.
रंग पड़ जाता है काला
डॉ. मयंक गुप्ता ने बताया कि लिवर में कार्बन जमा होने के कारण व्यक्ति क्रॉनिक हेपेटाइटिस बी का शिकार हो जाता है, इससे लिवर के डैमज होने और कैंसर जैसी बीमारियों के होने का खतरा बढ़ जाता है. इस बीमारी के कारण पीड़ित का रंग काला पड़ने लगता है इसीलिए बोलचाल में इस बीमारी को ब्लैक जॉन्डिस कहा जाता है.
ब्लैक जॉन्डिस के लक्षण
बुखार, हमेशा थकान का अनुभव, आंखों का रंग पीला पड़ जाना, यूरिन का रंग पीला होना, नाखूनों का रंग पीला पड़ना, ज्वाइंट्स में पेन, उल्टी और डायरिया की शिकायत, पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द
ब्लैक जॉन्डिस का कारण
डॉ मयंक गुप्ता बताते हैं कि आमतौर पर ब्लैक जॉन्डिस का कारण हेपेटाइटिस बी और सी होता है. हेपेटाइटिस बी और सी के वायरस ब्लड के जरिए बॉडी में पहुंचते हैं और लिवर को प्रभावित करते हैं. समय पर उपचार नहीं होने पर लिवर में कार्बन जमा होने के कारण कैंसर से लेकर किडनी डैमेज होने और स्किन से संबंधित परेशानियां होने लगती हैं. कभी कभी उपचार के बावजूद हेपेटाइटिस बी और सी वायरस लिवर में रह जाते हैं जिससे पीड़ित का लिवर सिकुड़ने लगता है और डैमेज हो जाता है.
ब्लैक जॉन्डिस से बचाव के उपाय
ब्लड लेने से पहले हेपेटाइटिस बी और सी के बैक्टेरियां की जांच जरूर करवाएं.
प्रेगनेंट महिलाओं को हेपेटाइटिस बी का टीका लगवाना चाहिए.
एक ही इंजेक्शन का उपयोग एक से ज्यादा लोगों को नहीं करना चाहिए.
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पहले प्रकाशित : 29 जुलाई, 2024, 3:16 अपराह्न IST
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