क्राइम

ये है साइबर क्राइम का ‘अदृश्य जाल’, यहां 40,000 का बर्गर तो उबर पर 60%, लेकिन झांसे में मत आना

साइबर अपराध और ऑनलाइन धोखाधड़ी: जाने माने साइबर क्राइम विशेषज्ञ और लेखक अमित भाई, भारतीय पुलिस और जांच एडवाइजर के साथ जुड़े हुए हैं और उन्हें अपनी सेवाएं देते हैं। अमित जायरीन खड़गपुर से तालीम हासिल कर एक कुशल इंजीनियर हैं। अमित दुबे की ‘रिटर्न ऑफ द ट्रोजन हॉर्स: टेल्स ऑफ क्रिमिनल इन्वेस्टिगेशन’ साइबर क्राइम की सच्ची कहानियों पर आधारित पहली ऐसी किताब थी, जो बेहद लोकप्रिय रही है। अमित ‘हिडन फाइल्स’ नाम से एक रेडियो कार्यक्रम भी करते हैं, जिसमें सच्ची कहानियाँ और अपने खुद के दोस्तों पर आधारित साइबर क्राइम की रोचक कहानियाँ सुनाई जाती हैं। अमित जॉय की ‘हिडन फाइल्स’ पर आधारित साइबर क्राइम की सच्ची कहानियों का एक संग्रह ‘अदृश्य जाल’ नाम से ‘अनबाउंड स्क्रिप्ट’ (अनबाउंड स्क्रिप्ट) से प्रकाशित हुआ है। इस पुस्तक के लेखन में अधिकारी प्रो. त्रिवेणी सिंह ने भी अहम भूमिका निभाई है।

‘अदृश्य जाल’ में साइबर फ़्रॉड से जुड़े दस्तावेज़ किस्से हैं। एक ऐसा ही किस्सा है जिसमें एक महिला को ऑफलाइन बिजनेस ऑफर करना बहुत महंगा पड़ा। 470 रुपए के दो बर्गर की कीमत 40,000 रुपए रखी गई। प्रस्तुत है कहानी 40,000 का बर्गर

सुस्मिता एक मीडिया हाउस में काम करती है और नागपुर में रहने वाली है।
“घर का खाना खाते-खाते बोर हो गए हैं… चलो आज कुछ बाहर का खाते हैं।” सुष्मिता ने अपने पति को किशोर से कहा।
“अरे, अभी भी रेस्तरां खुले नहीं हैं।” किशोर ने उत्तर दिया. “खुले हैं न, घर की दुकान तो हो रही है।” सुस्मिता ने फेसबुक पर कुछ देखते हुए कहा- ”मैं अभी कुछ अच्छा-सा सीखती हूं।”
सुष्मिता ने फूड जॉइंट्स के लिए ऑनलाइन ऑर्डर करना शुरू कर दिया है। वह कोई भी ऑफ़लाइन मशीनरी गेमप्ले और मीनू-ऑप्शन चेक करने लगी।
“अच्छा… बर्गर खाओगे?” उसने किशोर से पूछा.
“ठीक है. फ़्रेंच फ़्रीज़ भी उधार लिया। किशोर के मुँह में भी पानी आ गया था.

“ठीक है, ये लो ये ऑर्डर 30-40 मिनट में आ जाएगा. सिर्फ 470 रुपए और ये रही हमारी शानदार दावत।”

शी वाज़ हैप्पी कि आज कुछ नया खाने को मिलेगा। दोनों टीवी देखने के करीब 30 मिनट बाद किशोर ने सुस्मिता को याद किया-“अरे वह फे बर्गर का क्या… अभी तक तो आपको पता होना चाहिए न!”

“हां! अब बर्गर की याद से पेट में और भूख लगी है… अभी तक तो जानना चाहिए था। मैं चेक करता हूं।” सुस्मिता फिर से मोबाइल ऐप में खो गई।

“अरे! कोई स्टेटस चेंज तो नहीं आ रहा… हो सकता है रास्ते में हो!”

“इससे अच्छा तो घर में कुछ बना लेना।” किशोर ने मुंह फोड़ लिया कहा.
“थोड़ा इंतज़ार भी नहीं कर सकता।” सुस्मिता ने आइन तारेरी.
थोड़ी देर में सुस्मिता ने फिर से स्टेटस देखा। “अरे ये क्या, हमारा ऑर्डर तो कैंसिल हो गया!” सुष्मिता ने चौंकाते हुए कहा.

“ये लो! मुझे पता था कि इस ब्लॉग में कोई घर खाना डिलीवर नहीं करने वाला… मैं ही कुछ काम कर रहा हूं।” किशोर उठाव और रसोई की ओर बढ़ गया। सुस्मिता अभी भी अपने मोबाइल में बिजी थी।

“मेरे पैसे नोट पर कैंसिल हो गया क्यों नहीं आया!”

“आओगे… कई बार थोड़ा सा समय लगता है।” किशोर ने रसोई से आवाज दी।

शाम हो गई और जब पैसा नोट नहीं आया तो सुष्मिता ने गूगल पर उस क्लासिक रेस्तरां चेन का कस्टमर केयर नंबर ढूंढा। पहली लिंक में ही उसे कस्टमर केयर नंबर मिल गया।
“हैलो, XYZ रेस्तरां?” सुष्मिता ने पूछा.

“हैलो, मैं राज यादव बोल रहा हूँ… बताओ हम आपकी क्या सेवा कर सकते हैं?” कस्टमर केयर एजेंट ने दिया जवाब.

“आपके रेस्तरां चेन में मैंने सुबह दो बर्गर का ऑर्डर दिया था… बॉर्डर तो कैंसिल हो गया पर मेरा पैसा अभी तक नहीं आया!” सुष्मिता ने लगाई याचिका की.

“नो इशुज मैम! हमारे सिस्टम में कुछ सैटेलाइट हो गई होगी… आप मुझे अपना डिटेल्स डिटेल्स बताएं, मैं आपका पैनल रिवर्ट कर देता हूं।”

“हां, कृपया कृपया… डाउनलोड करें..”

और उसके बाद सुस्मिता ने अपने 400 रुपये वापस पाने के चक्कर में उस कस्टमर केयर एजेंट को सब कुछ बताया।

“मैडम, आपको एक और फॉलोअर्स कोड आया होगा वह आपको बताएगा… इसके बाद आपका पैसा वापस आ जाएगा।” कस्टमर केयर एजेंट ने कहा.

सुष्मिता ने जैसे ही एक स्टूडेंट कोड बताया, उन्हें एक एसएमएस आया- “आपका खाता 40,000 रुपये के साथ डेबिट किया गया है।”

“हैं! यह क्या… मेरे खाते से पैसे निकले!! वह एकदम सही से चौंकाने वाली.

“किशोर, इलेक्ट्रिक पास वाले स्थान पर रखे गए हैं क्या?” वह एक ओर भाग गया।

“मैं पैसे क्यों निकालूँगा!” किशोर ने भी आश्चर्य से कहा.

“कुछ समानता है!” सुष्मिता ने उस दिन एक यूजर कोड का मैसेज देखा।

“अरे! ये तो बैंक का ओटीपी था… मैंने ध्यान ही नहीं दिया!… तो उस कस्टमर केयर वाले ने हमारा पैसा निकाला है! “

सुष्मिता ने कॉल करने की कोशिश में उस नंबर को वापस ले लिया, लेकिन नंबर अब पिक नहीं हो रहा था।

“रुको, मैं आशुतोष को फ़ोन करता हूँ।” आशुतोष किशोर का दोस्त है जो मुझे बताता है।

आशुतोष ने किशोकर से कहा- “तुम अमित को भी डिटेल दे दो, मैं नंबर भेजता हूं”
***
आशुतोष के बयान पर किशोर का कॉल मुझ तक पहुंचा। मैंने टीनएजर्स से साड़ी डिटेल्स ले ली कि कौन-सी वेबसाइट पर सुस्मिता को यह कस्टमर केयर नंबर मिला था, ट्रांज़ैक्शन पता क्या है ताकि हमें यह पता चल सके कि पैसा कहाँ रखा गया है, आदि। मैं अभी इस केस पर काम कर रहा था कि मुझे साइबर सेल से फोन आया कि “सर, इन फ्रॉडस्टर्स ने एक नई तकनीक इजाद कर ली है… सुबह से चार ऐसे केस आ गए हैं।”

“अब क्या किया?” मैंने अपने दोस्त अमजद से पूछा.

अरे सर, यह उबर टैक्सी है न… अभी एक डॉक्टर को फोन आया कि वह उबर के कॉल सेंटर से बोल रहा है। कहा कि इस महामारी में जो डॉक्टर्स अपने सम्मान में काम कर रहे हैं, आप लोगों को हमारे कैब यूज़ पर 50% अलग किया जा रहा है। यह लगभग एक साल तक वैध रहेगा। उसने कहा कि वह एक लिंक भेज रहा है और डॉक्टर के लिए उस लिंक को प्राप्त करने के लिए उसे सारी जानकारी दी जाएगी। उसके बाद यह वॉल्यूम कोड उसके ऐप से लिंक हो जाएगा और साल भर तक रहेगा। डॉक्टर ने दिए गए लिंक पर वे सारी डिटेल्स भर दी। थोड़ी देर में कॉल सेंटर से फिर फोन आया कि सर आपको एक और यूजर कोड आया होगा तो वह बताएं तो मैं आपके ऐप से लिंक कर दूं डॉक्टर को एसएमएस पर जो कोड आया था उसने फिर बताया और अपने अकाउंट से 55,000 रुपये निकाल लिए .

मॉड्स ऑरेंडी काफी हद तक इसी तरह की थी-क्रिमिनल एक बार रेस्टोरेंट चेन का कॉल सेंटर एक्जीक्यूटिवा बनाया गया था और दूसरी बार कैब कंपनी का। दोनों केस एक ही दिन की रिपोर्ट थे.

“एक बार जो हमारे देश भर के साइबर सेल के ग्रुप हैं न, इनमें ये दोनों मोबाइल नंबर डालो और पूछो कि पिछले दो-तीन दिनों में कहीं और इस तरह का कोई कंप्लेंट आया है क्या?”

हाल ही में ग्रुप में करीब आठ लोगों ने जवाब दिया कि अलग-अलग सर्विस ऑफर करने के नाम पर ग्रुप से करीब 5 स्टेट्स में शामिल हो गए थे। किसी को बर्गर 40,000 रुपये का मिलता था तो किसी को टैक्सी को 60,000 रुपये की. किसी व्हाट्सएप में लॉटरी का चक्कर लगाया गया था तो किसी को ‘कौन बनेगा करोड़पति’ से पूरा करने के चक्कर में खुद के दांतों से हाथ का सामान ले लिया। इन कुछ ही नंबरों का उपयोग कर वे अलग-अलग राज्यों में क्राइम लोगों को अंजाम दे रहे थे। सभी नंबरों की आखिरी बेकार वस्तुएं निकल गईं और उनके सी-स्टॉक भी निकल गए, जिससे यह तय हो गया कि यह एक ही गिरोह था… अब जरूरत थी बेकार एक-एक बेकारों की।

“उसको एक ही गेम में भटकते हैं ना सर! अगर वह पीड़ित को लालची करवा लिंक दे सकता है तो हम भी कुछ करते हैं न!”

एक क्रमांक जो सक्रिय था, हमने उसे फोन किया-“हैलो, मैं डॉ. श्रीधर बोल रहा हूं… मैंने एक ऑर्डर किया था और वह कांसिल हो गया था पर अपोलो नहीं आया।’

“नो इशूज़ सर! मैं दीपक शर्मा बोल रहा हूं… आप मुझे अपने बैंक का स्क्रीनशॉट दे देते हैं, मैं अभी भी उपहार देता हूं।

“ओह सो नाइस ऑफ यू! लाइक करें और फिर मैंने उसे कुछ गलत टेम्पलेट्स चित्र दिए…”

“डॉ. श्रीधर आपको एक कोड आया होगा।”
“नहीं, कोड तो नहीं आया।”
“थोड़ी देर में आऊंगा।”
इस बीच मैंने नंबर चेक किया तो वह ओडिशा का ही था।
“अभी कोड आया क्या?”

“नहीं भाई, कोई कोड नहीं आया है।” मैंने छोटी बच्ची को देखा कहा. “सुनो यार, मैं अभी हॉस्पिटल में हूं और दो-तीन घंटे में बात कर सकता हूं क्या?” मैं उन्हें थोड़ा सा समय लेकर पुलिस को उस तक पहुंचने का मौका देना चाहता था।
“नहीं इशू सर, मैं दो-तीन घंटे में कॉल करता हूँ।”

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एक घंटे बाद कॉल आया ये कॉल दीपक का नहीं था। “डॉ. श्रीधर सर, मैं राजन, उबेर रोड से बोल रहा हूं… इस महामारी में कंपनी आपकी सेवाओं को 50% छूट ऑफर दे रही है। यह लगभग एक साल तक लगातार अपने हर स्कूल पर प्राप्त कर लेगा।

इस कॉल से यह बात तो साफ हो गई कि ये दोनों गैंग एक ही ग्रुप के हैं। ये अच्छा मौका था… मैंने जवाब दिया- ”50% जोड़!.. फेसबुक पर मैंने ऐड देखा था तो 60% जोड़ दे रहे हैं।”

“हो गया सर… मैं चेक कर सकता हूँ।” विश्वास को शायद इस तरह के रिस्पांस की उम्मीद नहीं थी। वह तैयार नहीं था. और मैंने बोला- “देखिए, मैं आपको यह भेजा हुआ लिंक भेज रहा हूं जहां 60% की बात जा रही है… चेक करिए, फिर बताइए।” मैंने कट के शौक़ीन एक सहयोगी लिंक पार्टनर राजन को व्हाट्सअप कर दिया। अब देखें कि राजन लिंक पर क्लिक करें या बिना लिंक के कॉल करें पर क्लिक करें। 3-4 मिनट में उसके कॉल आ-उसने लिंक पर क्लिक नहीं किया।

“सर, आप सही थे… कंपनी ने कुछ खास जिलों में लगभग 60% कर दिया है। आप विस्तृत जानकारी लें, मैं ऑलवेज ऑल करा देता हूं।’

“देखिये, मैं अस्पताल में हूं… मेरे पास के रंगीन पैनल का समय नहीं है।” मैंने एक गूगल डॉक लिंक पर अपना सारा डिटेल डाला हुआ है… मैं – आपको लिंक भेजता हूं… आप वहां से डिटेल ले लीजिए और कुछ मिसिंग हो तो मुझे पूछ लीजिए।’

फ़ोन कट कर मैंने फिर एक नया लिंक राजन को भेजा। इस लिंक में मेरे फ़र्निचर डिटेल्स थे पर सीवी नंबर नहीं था। इस बार शायद राजन डेस्पेरेट का भुगतान हो गया था और लिंक पर क्लिक करें। मुझे उनके एक्ज़ैक्टिव इंटेलिजेंट, उनके ब्राउजर डिटेल्स और डिपेंडेंट यूजर आईडी भी मिल गए थे। पहुँचने तक यह सब कुछ था। खोजे गए पुलिस स्टेशन को विस्फोट के लिए ताकीद दिया गया। राजन के फोन पर 10 मिनट में ही फिर से आया- ”सर आपके कार्ड के पीछे एक तीन अंक का नंबर होगा, वह गायब है।” वह दे देता है और मैं आपका एक साथ कन्फर्म कर देता हूं।’

“अरे यार, मैं अभी एक स्क्रैप में हूं… स्टर्लिंग एन ऑपरेशन एंड वाइज कैरी नहीं कर रहा हूं। कृपया मुझे 3 साल पहले कॉल करें।” मैंने उनका छोटा सा समय मांगा। पहुँचने तक ये तीन घंटे बहुत लगे। राजन को पकड़ लिया गया और उसके साथ उसके बाकी गैंग के सदस्य भी शामिल हो गए।

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