महाराष्ट्र

आपको उर्दू से परेशानी क्या है, सुप्रीम कोर्ट में याचिका देखिए फूटा जज साहब का गुस्सा

सुप्रीम कोर्ट: अरबिया सिनेबोर्ड को हटाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक पदचिह्न हुआ था, जिस पर न्यायाधीशों ने कड़ी खोज की तलाश की थी। अदालत ने प्रॉडक्ट से सवाल किया कि अरबी भाषा से क्या समस्या है। असल में, पाटूर नगर परिषद के अरबी साइनबोर्ड को हटाने की मांग की गई थी। नगर परिषद का नाम मराठी के साथ उर्दू में भी लिखा है।

याचिका पर जस्टिस सुधांशु डस्टिया और जस्टिस एहसानुद्दीन अमानआजाद की बेंच सुनवाई कर रही थी। उन्होंने बताया कि भारतीय संविधान की 8वीं अनुसूची में उर्दू भी शामिल है। साथ ही कहा कि अरबिया के उपयोग से कोई समस्या नहीं होनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को इस संबंध में पक्ष साफ करने के लिए कहा है। इस मामले पर आगे की सुनवाई 9 सितंबर को होगी।

बार एंड बेंच के मुताबिक, कोर्ट ने कहा, ‘तुम्हें मानवता से परेशानी क्या है? आप मानते हैं कि यह 8वीं अनुसूची की एक भाषा है। ‘समूह इसे पूरे राज्य में लागू नहीं कर सकता है, लेकिन केवल उस क्षेत्र में लागू कर सकता है जहां एक विशेष भाषा ही समझ में आती है।’ बेंच बॉम्बे हाई कोर्ट के खिलाफ नागपुर बेंच की तरफ से 10 अप्रैल को जारी आदेश के खिलाफ अपील पर सुनवाई कर रही थी।

रिपोर्ट के मुताबिक, हाई कोर्ट ने कहा था कि चीन में किसी भी भाषा के साथ साइनबोर्ड बनाने पर कोई रोक नहीं है। खबरें हैं कि अकोला जिला मराठी भाषा समिति के अध्यक्ष को कोर्ट का रुख जारी करने के निर्देश के लिए ऑर्केस्ट्रा ने साइनबोर्ड हटा दिया था। उच्च न्यायालय को यह बताया गया कि महाराष्ट्र लोक प्राधिकरण (ऑफिशियल लैंग्वेज) अधिनियम, 2022 के तहत नागरिक अधिकारों के साइनबोर्ड पर मराठी के अलावा अन्य संस्थाओं का उपयोग नहीं किया जा सकता है।

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