महाराष्ट्र

कैसी स्थिति आ गई! स्कूल भी सुरक्षित नहीं तो बच्चे कहाँ हैं? परिवर्तनपुर कांड पर HC की तल्ख टिप्पणी

महाराष्ट्र के त्रिपुरा जिले के अंबालापुर में स्कूल में यौन शोषण का शिकार हुए दो नाबालिग मामलों में हाई कोर्ट ने स्कूल प्रशासन से लेकर पुलिस अधिकारियों को बाहर निकाला। कोर्ट ने मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए कहा कि पुलिस की कार्रवाई के लिए लोगों को कैसी स्थिति का सामना करना पड़ रहा है। जज ने कहा कि अगर स्कूल भी सुरक्षित नहीं है तो बच्चे कहां जाएंगे? दस्तावेज़ को भी रिलीज़ नहीं किया जा रहा है। कोर्ट ने रिकार्डिंग में देरी के लिए पुलिस से जवाब मांगा। साथ ही ओल्ड स्टैण्डर्ड से अभी तक बयान क्यों नहीं लिया गया। अदालत ने एक प्रस्ताव में कहा कि पुलिस इस संगीन मामले में तीन बच्चों को कैसे ले जा सकती है?

बॉम्बे हाई कोर्ट ने गुरुवार को बदलावपुर में अपने स्कूल में दो लड़कियों को “बेहद-बच्चे वाले” के साथ यौन संबंध बनाने की सलाह दी और कहा कि लड़कियों की सुरक्षा पर कोई समझौता नहीं किया जा सकता है। पौराणिक रेवतीराजे डेरे और पृथ्वी के खिलाफ हो रहे चव्हाण के खंड ने कहा कि घटना की जानकारी के बावजूद स्कूल अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की रिपोर्ट नहीं दी जानी चाहिए। रिकार्ड दर्ज करने में देरी को लेकर भी पुलिस की आलोचना की। 12 और 13 अगस्त को टीयर जिले के अंटाउरपुर में स्कूल के शौचालय के अंदर एक पुरुष प्रचारक द्वारा दो तीन और चार साल की लड़कियों के साथ यौन उत्पीड़न किया गया था। कोर्ट ने इस घटना का स्वतः संज्ञान लिया है।

कैसी स्थित है, मेडिकल के लिए सड़क पर उतर रहे लोग

कोर्ट के दस्तावेज़ के अनुसार, मामले में 16 अगस्त को आरोपियों को दर्ज किया गया था और 17 अगस्त को आरोपियों को गिरफ़्तार किया गया था। पृष्णि ने कहा कि जब तक जनता विरोध करेगी, तब तक पुलिस वैज्ञानिकों का विरोध नहीं होगा। अदालत ने पूछा, “जब तक जनता में स्टैमिनाक्स नहीं होंगे, वैलिडिटी आगे नहीं स्टैट्स नहीं होगी।” क्या बताएं इस तरह सार्वजनिक वेबसाइट फ़ुटने तक आगे नहीं?”

अगर स्कूल भी सुरक्षित नहीं होगा तो बच्चे कहाँ चाहते हैं?

पीठ ने कहा कि यह जानकर हैरानी हुई कि बदलापुर पुलिस ने मामले की ठीक से जांच नहीं की है। कोर्ट ने सवाल किया, “ऐसे गंभीर मामले जहां तीन और चार साल की लड़कियों के साथ यौन संबंध बनाए गए हैं… पुलिस इसे तीन विद्यार्थियों में कैसे ले सकती है।” जज ने कहा, “यदि स्कूल में सुरक्षित स्थान नहीं है तो एक बच्चे को क्या करना चाहिए?” तीन और चार साल के बच्चे ने क्या किया? यह बिल्कुल चित्र वाला है।”

पुलिस को इंटरैक्ट करना बंद करे

पृथिवी ने कहा कि बदलापुर पुलिस ने जिस तरह का मामला उन पर दर्ज किया है, वह बिल्कुल भी खुश नहीं हैं। उच्च न्यायालय ने कहा, “हमारी मछली केवल यह देखने में है कि पीड़ित लड़कियों को न्याय मिले और पुलिस को भी इसी तरह पकड़नी चाहिए।” पृश्ठ ने पुलिस को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि स्केटबोर्ड और उनके परिवार को हरसंभव सहायता दी जाए। इसमें कहा गया है कि स्टिरिट को और अधिक स्मारक नहीं दिया जाना चाहिए। पीठ ने कहा, ”इस मामले में, लड़कियों ने शिकायत की है, ऐसे कई मामले हो सकते हैं जिन पर किसी का ध्यान नहीं दिया जाएगा।” कोर्ट ने कहा कि लड़कियों के परिजनों को पुलिस द्वारा कुछ समर्थन दिया जाना चाहिए लेकिन यह मामले में ऐसा नहीं किया गया।

स्कूल के खिलाफ भी कार्रवाई हो

कोर्ट ने आगे कहा, ”पहली बात, पुलिस को दस्तावेज दर्ज करने की बात कही गई थी. स्कूल अधिकारी चुप थे। ये लोग आगे आने से हतोत्साहित होते हैं। लोगों को पुलिस प्रणाली या आधारभूत प्रणाली पर विश्वास नहीं करना चाहिए। अगर जनता पार्टी पर आना चाहती है तो भविष्य के बारे में बताएगी।” पुलिस के अंदर पुलिस तंत्र के लिए सुझाव बनाने के लिए कदम उठाने का भी आग्रह किया गया। पीठ ने मामले की जांच के लिए सरकार द्वारा 27 अगस्त तक की रिपोर्ट में कहा कि लड़कियां और उनके परिवार के बयान दर्ज करने के बारे में क्या कदम उठाए गए हैं।

दूसरी बार के बयान दर्ज करने में देरी क्यों

कोर्ट ने कहा, रिपोर्ट में यह भी बताया जाएगा कि अंबेडकरपुर पुलिस द्वारा वारंट जारी करने और दूसरी जमानत की पुष्टि करने में देरी क्यों हुई। हाई कोर्ट ने कहा, “हमें इस बात से आश्चर्य हो रहा है कि बदलापुर पुलिस ने दूसरी लड़की का बयान लेने के लिए अब तक कोई कदम नहीं उठाया है।” कोर्ट ने कहा कि अगर उन्हें पता चलता है कि किसी मामले में चोरी की कोशिश की गई है तो वह संबंधित पुलिस अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई नहीं करेंगे।

कोर्ट ने कहा, ”हमें यह भी बताएं कि राज्य सरकार लड़कियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए क्या कदम उठा रही है। इस पर कोई सहमति नहीं हो सकती।” पृष्णि ने आगे कहा कि स्कूल अधिकारियों को घटना के बारे में पता था लेकिन वे चुप रहे और पुलिस को सूचित नहीं किया गया। कोर्ट ने कहा, यौन उत्पीड़न की रिपोर्ट करना भी एक अपराध है।

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